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LADA Disease: टाइप 1.5 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें शरीर धीरे-धीरे इंसुलिन बनाना बंद कर देता है. इसके लक्षण टाइप 1 और टाइप 2 दोनों से मिलते हैं. सही समय पर डायग्नोज और इंसुलिन थेरेपी से इसे कंट्रोल क…और पढ़ें

इस बीमारी को पहचानने में डॉक्टर्स भी हो जाते हैं कंफ्यूज, आखिर क्या है LADA, यहां जानें सबकुछ

टाइप 1.5 डायबिटीज को मेडिकल की भाषा में LADA कहा जाता है.

हाइलाइट्स

  • LADA एक ऑटोइम्यून स्थिति है जिसमें शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है.
  • LADA के लक्षण टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज से मिलते-जुलते होते हैं.
  • इंसुलिन थेरेपी और सही डायग्नोज से LADA को नियंत्रित किया जा सकता है.

All About Type 1.5 Diabetes: जब भी डायबिटीज की बात होती है, तो अक्सर लोग टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज को लेकर चर्चा करते हैं. डायबिटीज को इन्हीं दो टाइप में बांटा जाता है और इसके अनुसार ही मरीजों का इलाज किया जाता है. हालांकि कई मरीजों में टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज दोनों के लक्षण नजर आने लगते हैं और डॉक्टर्स भी कंफ्यूज हो जाते हैं. अधिकतर लोगों को यह पता नहीं होता कि डायबिटीज का एक तीसरा प्रकार भी होता है, जिसे टाइप 1.5 डायबिटीज कहा जाता है. इसे मेडिकल भाषा में लेंटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज इन अडल्ट (LADA) कहा जाता है. यह डायबिटीज वयस्कों में होती है और यह धीरे-धीरे बढ़ती है. यही वजह है कि इसे पहचानने में डॉक्टर्स से भी गलती हो जाती है.

मायो क्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक टाइप 1.5 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम पैंक्रियाज में मौजूद बीटा सेल्स पर हमला करने लगता है. इसके कारण शरीर धीरे-धीरे इंसुलिन बनाना बंद कर देता है. बीटी सेल्स ही हमारे शरीर में इंसुलिन को प्रोड्यूस करती हैं और टाइप 1.5 डायबिटीज में इन्हीं सेल्स पर अटैक होने लगता है. यह डायबिटीज बेहद धीमी रफ्तार से बढ़ती है और यह पहली बार में पकड़ में नहीं आती है. कई जेनेटिक फैक्टर, पर्यावरणीय कारक और कुछ वायरल संक्रमणों भी टाइप 1.5 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकते हैं.

टाइप 1.5 डायबिटीज के लक्षणों की बात करें, तो इस बीमारी के लक्षण टाइप 1 और टाइप 2 दोनों से मिलते-जुलते हैं. अत्यधिक प्यास लगना और बार-बार पेशाब आना, अचानक वजन कम होना, थकान और कमजोरी, धुंधली दृष्टि, भूख में वृद्धि, त्वचा और घावों का धीरे-धीरे ठीक होना आदि टाइप 1.5 डायबिटीज के लक्षण होते हैं. यह टाइप 2 की तरह धीरे-धीरे डेवलप होती है, इसलिए कई बार इसका पता तब चलता है, जब टाइप 2 डायबिटीज का सामान्य इलाज काम नहीं करता है.

इस प्रकार की डायबिटीज को डायग्नोज करना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि इसके लक्षण टाइप 2 जैसे लगते हैं, लेकिन इंसुलिन की कमी धीरे-धीरे बढ़ती है. टाइप 1.5 की पुष्टि के लिए कुछ विशेष ब्लड टेस्ट किए जाते हैं. इसमें GAD एंटीबॉडी टेस्ट होता है, जो यह दिखाता है कि क्या आपकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली पैंक्रियास पर हमला कर रही है. इसके अलावा C-पेप्टाइड टेस्ट किया जाता है. यह जांचता है कि शरीर कितना इंसुलिन बना रहा है. अगर टाइप 2 डायबिटीज की दवाओं से ब्लड शुगर नियंत्रित नहीं हो रहा हो, तो यह संकेत हो सकता है कि मरीज को टाइप 1.5 डायबिटीज है.

टाइप 1.5 डायबिटीज के इलाज में इंसुलिन थेरेपी मुख्य भूमिका निभाती है. शुरुआत में कुछ मरीजों को टाइप 2 डायबिटीज की तरह ओरल मेडिकेशन दी जाती है, लेकिन कुछ समय बाद इंसुलिन लेना जरूरी हो जाता है. मरीज को अपने ब्लड शुगर लेवल की नियमित जांच करनी चाहिए और हेल्दी डायट, एक्सरसाइज और स्ट्रेस मैनेजमेंट पर ध्यान देना चाहिए. सही समय पर इंसुलिन शुरू करना इस स्थिति को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकता है. यह एक ऑटोइम्यून रोग है, इसलिए इसे पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ सावधानियां अपनाकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है.

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अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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इस बीमारी को पहचानने में डॉक्टर्स भी हो जाते हैं कंफ्यूज, आखिर क्या है LADA

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