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गर्मी में बाड़मेर जैसे रेगिस्तानी इलाके में पशुओं की देखभाल जरूरी है. डॉ रावत राम भाखर के अनुसार, ठंडा पानी, हरा चारा और पोषक आहार से पशु स्वस्थ रहते हैं और दूध उत्पादन बढ़ता है.

गर्मी का मौसम आते ही तपती धूप और लू का कहर न सिर्फ इंसानों, बल्कि पशुओं पर भी पड़ता है. सही देखभाल और थोड़ी सी सावधानी से आपकी गाय-भैंस न सिर्फ स्वस्थ रहेंगी, बल्कि बाल्टी भर दूध भी देंगी! खासकर बाड़मेर जैसे रेगिस्तानी इलाके में जहां गर्मी अपने चरम पर होती है, पशुओं की देखभाल के लिए कुछ खास उपाय अपनाने जरूरी होते हैं.

बाड़मेर एक रेगिस्तानी जिला है जहां गर्मियों में अत्यधिक तापमान 50 डिग्री को पार कर जाता है. गर्म हवाओं की वजह से पशुओं को लू लगने का खतरा बढ़ता है जिससे दूध उत्पादन में 20-30 फीसदी तक कमी और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

गर्मी में गाय-भैंस की सही देखभाल से न सिर्फ उनकी सेहत बनी रहती है, बल्कि दूध उत्पादन भी बढ़ता है. बाड़मेर जैसे गर्म इलाके में छाया, पानी और पौष्टिक आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

ईशरोल के पशु चिकित्साधिकारी डॉ रावत राम भाखर के मुताबिक गर्मी में पशुओं को दिन में कम से कम तीन बार साफ और ठंडा पानी पिलाना चाहिए. पानी में थोड़ा नमक और आटा मिलाने से डिहाइड्रेशन का खतरा कम होता है. पशुओं को हरा चारा अधिक खिलाएं, क्योंकि इसमें 70-90% पानी होता है जो पशुओं को हाइड्रेट रखता है. पशुओं को शांत और कम शोर वाली जगह पर रखना चाहिए.

गर्मी में पशु को जल्दी बीमार होने से बचाने के लिए उन्हें पोषक आहार देना चाहिए. कई तरह के टॉनिक आते हैं जिन्हें पशुओं को देने से खनिज की पूर्ति होती है और दूध उत्पादन में वृद्धि के साथ गुणवत्ता में भी सुधार होता है.

पशुओं को हरा चारा के साथ सूखा चारा भी देना चाहिए. हरा चारा नहीं है तो लोबिया, नेपियर या अजोला घास की खेती कर सकते हैं यह गर्मी में पशुओं को फायदा देते हैं.
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