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गाजीपुर: संगीत और भूख का गहरा रिश्ता होता है. मनोवैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक, जब लोग पसंदीदा संगीत सुनते हैं तो उनका मूड अच्छा होता है और स्ट्रेस कम होता है. इससे लोगों को भूख भी खुलकर लगती है. ये काम गाजीपुर के बबलू अनजाने में करते हैं. बबलू को संगीत और भूख और तनाव कुछ नहीं पता लेकिन, वो गाना सुनते हैं और दाना खिलाते हैं.

1995 से अब तक- सुरों के साथ दाने की कहानी
बबलू गुप्ता दाना बेचने वाले एक आम लेकिन अनोखे इंसान हैं. वह पिछले 30 सालों से अपने ठेले पर गाना बजाकर दाना बेचने का काम कर रहे हैं. उनकी दुकान में भुजा, मूंगफली, चना और कॉर्न हर दाने के साथ एक सुर भी चलता है.

कहां लगता है ठेला
गाजीपुर के ददरी घाट मोड़ पर हर दिन उनका ठेला सजता है. यही जगह उनकी पहचान बन गई है. यहां लोग न सिर्फ़ दाना खाने आते हैं, बल्कि सुरों की मिठास भी लेने पहुंचते हैं. जब उन्होंने ठेला लगाना शुरू किया तब उनके ठेले पर वो पुरानी रेलगाड़ी टाइप कैसेट प्लेयर चलता था. तब उसमें लता मंगेशकर, रफी और मुकेश के सदाबहार नग़मे बजती थी. अब जमाना बदल गया है. उनके ठेले पर स्पीकर है और पेन ड्राइव लगाकर गाना चलाते हैं लेकिन, एक बात आज भी है- बिना गाना, न दाना!

कौन-कौन से गाने बजते हैं?
बबलू गुप्ता को पुराने गानों से खास लगाव है. वो कहते हैं “हमरा पसंदीदा गाना हऽ–‘लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो न हो’, ‘कभी कभी मेरे दिल में’, ‘चुरा लिया है तुमने जो दिल को’, ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’ आ ‘ऐ मेरी जोहरा जबीं’… ई सब गाना जब बजे ला त ठेले पर रौनक आ जाला.”

भोजपुरी में बबलू गुप्ता के बोल
बबलू भोजपुरी में कहते हैं “हमरा ठेले पर जब तक गाना ना बाजी, तब तक हम दाना के बोरा लेके निकली ही ना. कुछ लोग त कहे लगते हैं भाई रउआ जे गाना बजाइला, ऊ सुनके बचपन के याद आ जाला. कई बार त लोग कैसेट के डिमांड करे लगेला”

गाना ही है पहचान
बबलू बताते हैं कि अगर कभी गाना नहीं बजा ठेले पर तो लोग समझ ही नहीं पाते कि दाना वाला आ गया है और उस दिन दाने की बिक्री भी कम हो जाती है. कुछ लोग तो ऐसे हैं जो आधा-आधा घंटा ठेले के पास बैठ जाते हैं. ठेले के पास गाना सुनते हैं और दाना खाते-खाते गुज़रे जमाने की यादों में खो जाते हैं.

सिपाही जी की बात
लोकल 18 ने एक सिपाही से पूछा कि वो दाना कहां से लेते हैं, तो बोले “हम त बबलूवा से ही दाना लेतानी, ई चटनी बिना के दाना मजेदार बा. अउर जब गाना बजेला त दाना खाये के और मजा आ जाला”

2025 की धुन पर 1980s के गाने
बबलू गुप्ता आज भी 1980 के दशक के गाने ज्यादा बजाते हैं. वह मुस्कुराते हुए कहते हैं ‘ये रेशमी जुल्फें,’ ‘दीवाना हुआ बादल’ ई गाना से दाना बिके ला, अउर दिल के भी खुशी मिलेला.”

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