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Childhood Trauma Impact on Brain: बचपन का तनाव बच्चों के दिमाग पर गहरा असर डालता है, जिससे डिप्रेशन और बाइपोलर डिसऑर्डर का खतरा बढ़ता है. इटली के शोधकर्ताओं ने इन्फ्लेमेटरी मार्कर्स की पहचान की है.

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बचपन में तनाव या मुश्किलें झेलनी पड़ें, तो बच्चों की जिंदगी खराब हो सकती है.

हाइलाइट्स

  • बचपन का तनाव मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत गहरा असर डाल सकता है.
  • तनावपूर्ण बचपन से डिप्रेशन और बाइपोलर डिसऑर्डर का खतरा बढ़ता है.
  • इन्फ्लेमेटरी मार्कर्स मानसिक बीमारियों के नए उपचार में मदद कर सकते हैं.

Stress in Childhood Affect Brain: बच्चे नटखट होते हैं और खेलकूद में उन्हें खूब मजा आता है. बचपन में बिताए गए अच्छे पल बच्चों के लिए जिंदगीभर फायदेमंद होते हैं. अगर किसी बच्चे का बचपन अच्छा नहीं रहता है, तो उसका असर भी पूरी जिंदगी देखने को मिलता है. एक हालिया स्टडी में खुलासा हुआ है कि बचपन का तनाव बच्चों के दिमाग पर गहरा असर डालता है. बचपन में झेले गए तनाव और कठिन अनुभव मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं. बचपन में होने वाली बुरी घटनाओं का दिमाग पर परमानेंट असर हो सकता है. कठिन और तनावपूर्ण बचपन कई मेंटल डिसऑर्डर की वजह बन सकता है.

इस रिसर्च में पता चला है कि बचपन की मुश्किलें ब्रेन स्ट्रक्चर और रोग प्रतिरोधक क्षमता में स्थायी बदलाव लाती हैं, जिससे डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर और अन्य मेंटल डिजीज का खतरा बढ़ जाता है. इटली के मिलान के आईआरसीसीएस ओस्पेडाले सैन रैफेल के वरिष्ठ शोधकर्ता सारा पोलेटी ने बताया कि शरीर का इम्यून सिस्टम सिर्फ संक्रमण से नहीं लड़ता, बल्कि यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य को आकार देने में भी अहम भूमिका निभाता है. बचपन का तनाव इस सिस्टम को बदल देता है, जिससे दशकों बाद मानसिक बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है.

वैज्ञानिकों ने इस स्टडी में उन इन्फ्लेमेटरी मार्कर्स की पहचान की गई है, जो बचपन के तनाव से जुड़े हैं. ब्रेन मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित स्टडी में मूड डिसऑर्डर के इलाज के लिए इम्यूनोमॉड्यूलेटरी एजेंट के इस्तेमाल पर ध्यान दिया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार मूड डिसऑर्डर दुनिया भर में अक्षमता, बीमारी और मृत्यु का प्रमुख कारण हैं. इससे भविष्य में डिप्रेशन की स्थिति बने रहने की दर करीब 12 प्रतिशत और बाइपोलर डिसऑर्डर की 2 प्रतिशत तक रह सकती है. मूड डिसऑर्डर में प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी, खासकर सूजन प्रतिक्रिया प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह गड़बड़ी इन विकारों का एक प्रमुख कारण बन सकती है.

शोध में पाया गया कि जो इन्फ्लेमेटरी मार्कर्स बचपन के तनाव से जुड़े हैं, वे भविष्य में मानसिक बीमारियों के नए और बेहतर उपचार विकसित करने के लिए आधार बन सकते हैं. ये संकेतक डॉक्टरों को यह समझने में मदद करेंगे कि बीमारी का इलाज कैसे किया जाए. शोधकर्ताओं का कहना है कि वह प्रतिरक्षा प्रणाली और पर्यावरण के बीच संबंधों को और ज्यादा समझना चाहते हैं. उनका लक्ष्य ऐसी रोकथाम रणनीतियां विकसित करना है, जो खासकर तनावग्रस्त बचपन वाले लोगों में मानसिक बीमारियों के जोखिम को कम करे. यह शोध साइकैट्रिक केयर को समझने और रोकथाम की दिशा में एक बड़ा कदम है.

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अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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