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Ruhollah Khomeini UP Connection : यूपी के बाराबंकी का ईरान से बहुत पुराना और खून का रिश्ता है. ईरान में हुई इस्‍लामिक क्रांति के नेता रूहुल्‍लाह खुमैनी की जड़ें यहां के एक छोटे से गांव से निकलती हैं.

बाराबंकी. इजरायल, अमेरिका और ईरान के बीच चल रहे चरम तनाव के बीच एक रोचक चीज सामने आई है. बहुत कम लोगों को पता होगा कि यूपी के बाराबंकी का ईरान से बहुत पुराना रिश्ता है. 1978 में ईरान में हुई इस्‍लामिक क्रांति के नेता रूहुल्‍लाह खुमैनी थे. खुमैनी के दादा सैयद अहमद मुसावी बाराबंकी के गांव किंतूर के रहने वाले थे. मुसावी का जन्‍म यहीं हुआ था.
वर्तमान में इजरायल और ईरान के के बीच मिसाइल हमलों से तनाव बढ़ा हुआ है. अब इसमें अमेरिका भी कूद पड़ा है. बाराबंकी के खुमैनी परिवार ने युद्ध को गलत बताया है.

कैसे पहुंचे बाराबंकी

खुमैनी के दादा सैयद अहमद मुसावी का जन्म उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में बाराबंकी के पास किंतूर गांव में हुआ था. उन्होंने बाद में भारत को अलविदा कहा और ईरान की ओर रुख किया. यात्रा के दौरान वे इराक के नजफ गए और अंततः 1834 के आसपास ईरान के खोमेन शहर में बस गए. वहीं से उनके परिवार की कहानी ईरान की राजनीति और क्रांति तक पहुंची. अहमद मुसावी हिंदी के पिता दीन अली शाह मिडिल ईस्ट से भारत आए थे और फिर बाराबंकी में बसे.

अहमद मुसावी ने अपने नाम के साथ ‘हिंदी’ जोड़कर भारत से अपने जुड़ाव को हमेशा जिंदा रखा. उन्हें इस्लामी पुनरुत्थान का समर्थक माना जाता है. 1869 में उनका निधन हुआ और उन्हें कर्बला में दफनाया गया. उनके पोते रूहुल्‍लाह खुमैनी ने आगे चलकर 1979 में ईरानी इस्लामी क्रांति का नेतृत्व किया और ईरान को एक धर्मतंत्र में बदल दिया. वे देश के पहले सर्वोच्च नेता बने और आज भी ईरानी सत्ता की नींव उन्हीं के विचारों पर टिकी है. 1979 में शुरू हुई अमेरिका के साथ ईरान की ‘झड़प’ आज तक कायम है.

इतिहास का दुर्लभ चैप्टर

किंतूर गांव में रहने वाले खुमैनी के खानदानी सैय्यद निहाल अहमद काजमी मौजूदा युद्ध को गलत ठहराते हैं. उन्होंने कहा कि जंग नहीं होनी चाहिए. इसमें मासूम लोग मारे जा रहे हैं. किसी भी हाल में शांति और संवाद ही एकमात्र रास्ता होना चाहिए. यह इतिहास का एक दुर्लभ अध्याय है, जहां एक छोटे से गांव से निकला व्यक्ति दुनिया की सबसे चर्चित क्रांतियों में से एक की नींव रखने वाले परिवार का हिस्सा बना. यह दिखाता है कि कैसे इतिहास और विरासत, भूगोल की सीमाओं से परे जाकर एक वैश्विक कहानी रचते हैं.

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