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UP News: लखनऊ में बिजली निजीकरण के खिलाफ महापंचायत में सरकारी कर्मचारियों, किसानों और संगठनों ने 2 जुलाई 2025 को देशव्यापी विरोध और 9 जुलाई 2025 को हड़ताल का ऐलान किया. टेंडर जारी होते ही जेल भरो आंदोलन शुरू हो…और पढ़ें

बिजली महापंचायत में बड़ा फैसला, टेंडर जारी होते ही शुरू होगा जेल भरो आंदोलन

Lucknow News: यूपी में बिजली महापंचायत में बड़ा फैसला. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

  • बिजली निजीकरण के खिलाफ 2 जुलाई 2025 को देशव्यापी विरोध
  • 9 जुलाई 2025 को बिजली कर्मचारियों की एक दिन की हड़ताल
  • निजीकरण का टेंडर जारी होते ही जेल भरो आंदोलन शुरू होगा

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण के खिलाफ रविवार को लखनऊ के डॉ. भीमराव अंबेडकर ऑडिटोरियम में आयोजित विशाल महापंचायत में एक बड़ा फैसला लिया गया. इस महापंचायत में बिजली, रेलवे समेत अन्य सरकारी कर्मचारियों, किसानों, उपभोक्ताओं और विभिन्न संगठनों ने एकजुट होकर बिजली निजीकरण के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन चलाने का ऐलान किया.

महापंचायत में उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “किसी भी हालत में बिजली निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा.” वहीं, संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने चेतावनी दी कि यदि निजीकरण का टेंडर जारी किया गया तो तत्काल “जेल भरो आंदोलन” शुरू कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे देश में फैलेगा.

देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और हड़ताल की घोषणा

महापंचायत में निजीकरण के खिलाफ ठोस रणनीति तैयार की गई. नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स (NCCEEE) ने ऐलान किया कि 2 जुलाई 2025 को पूरे देश में बिजली निजीकरण के खिलाफ जिला स्तर पर व्यापक विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे. इसके बाद, 9 जुलाई 2025 को देशभर के लगभग 27 लाख बिजली कर्मचारी एक दिन की सांकेतिक हड़ताल करेंगे. इस हड़ताल का उद्देश्य सरकार को निजीकरण की प्रक्रिया रोकने के लिए मजबूर करना है. शैलेंद्र दुबे ने बताया कि NCCEEE के राष्ट्रीय पदाधिकारी इस आंदोलन को और मजबूत करने के लिए अप्रैल और मई में देश के सभी राज्यों में बड़े सम्मेलन आयोजित करेंगे. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि वह तत्काल हस्तक्षेप कर उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण की प्रक्रिया को रद्द करे, क्योंकि इससे किसानों, घरेलू उपभोक्ताओं और गरीब तबके पर भारी बोझ पड़ेगा.

प्रमुख वक्ताओं ने जताया कड़ा विरोध

महापंचायत में ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा, संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वाई.एस. लोहित जैसे प्रमुख वक्ताओं ने हिस्सा लिया. सभी ने एक स्वर में निजीकरण को जनविरोधी करार दिया और कहा कि यह नीति केवल कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाई जा रही है. महापंचायत की शुरुआत में “इंकलाब जिंदाबाद” के नारों से माहौल गूंज उठा, जो निजीकरण के खिलाफ प्रतिरोध की दृढ़ता को दर्शाता था. प्रतिभागियों ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की दो बिजली वितरण कंपनियों—पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (PVVNL) और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (DVVNL)—के निजीकरण से बिजली की दरें बढ़ेंगी और उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.

यूपी सरकार पर दबाव, कर्मचारियों का दृढ़ संकल्प

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में बिजली क्षेत्र में छह महीने के लिए हड़ताल पर प्रतिबंध लगाया है, जिसे कर्मचारियों ने दमनकारी कदम बताया. NCCEEE ने इस प्रतिबंध की निंदा करते हुए कहा कि यदि सरकार ने कर्मचारियों के दमन की नीति जारी रखी, तो राष्ट्रीय स्तर पर और कड़ा जवाब दिया जाएगा. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि वे निजीकरण के खिलाफ पिछले 194 दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने प्रबंधन पर कर्मचारियों को डराने और परेशान करने का आरोप लगाया, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी भी कीमत पर निजीकरण को स्वीकार नहीं करेंगे.

Amit Tiwariवरिष्ठ संवाददाता

Principal Correspondent, Lucknow

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