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Most Dangerous Dacoit in UP: यूपी में पुलिस एंकाउंटर में विनोद गड़रिया मौत के घाट उतर चुका है. लेकिन क्या आप जानते हो उसका बेटा ऑस्ट्रेलिया की बड़ी कंपनी में इंजीनियर है.

बेटा ऑस्ट्रेलिया की बड़ी कंपनी में इंजीनियर, तो बाप था यूपी का डकैट, विनोद गड़रिया को खुद की औलाद ने दिया था छोड़

डकैत विनोद गड़रिया की तस्वीर.

बुलंदशहर. 19 सालों तक आतंक का पर्याय बना डकैत विनोद गड़रिया आखिरकार पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. एक ऐसा नाम, जिसने अपराध को अपना पेशा बनाया और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आधा दर्जन जिलों में लूट, हत्या, फिरौती और अपहरण के जरिए दहशत फैलाई थी. पत्नी की हत्या से शुरू हुई विनोद गड़रिया की ये खूनी कहानी धीरे-धीरे अपराध की दुनिया में गहराती गई. घरेलू विवाद में अपनी पत्नी को मौत के घाट उतारने के बाद विनोद गड़रिया का संपर्क पश्चिमी यूपी के टॉप-10 अपराधियों से हुआ. इसके बाद उसने अपराध की उस काली दुनिया में कदम रखा, जहां से कभी वापसी नहीं हुई.

विनोद का परिवार मूल रूप से साधारण किसान परिवार था, उसके पिता गांव में किसानी करते थे. दो छोटे भाई प्राइवेट जॉब में हैं एक मेरठ की एक फैक्ट्री में सुपरवाइजर है, तो दूसरा हरियाणा में सिक्योरिटी गार्ड है, उसकी मां कुछ साल पहले बीमारी के चलते गुजर गई थीं. जबकि विनोद गड़रिया का एकलौता बेटा ऑस्ट्रेलिया में एक निजी मल्टीनेशनल कंपनी में आईटी इंजीनियर के तौर पर कार्यरत बताया गया है. बताया जाता है कि बेटे ने पिता से हमेशा दूरी बनाई और अपराध की दुनिया को सिरे से नकार दिया था.

जबकि विनोद गड़रिया धीरे-धीरे अपराधियों का सरगना बन गया था उसके खिलाफ 40 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए जिनमें हत्या, डकैती, बलात्कार, फिरौती अपहरण जैसे संगीन अपराध शामिल थे. जिसके बाद मुजफ्फरनगर पुलिस ने उसके ऊपर 1 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था. उसके लिए एसटीएफ (विशेष कार्य बल) और पुलिस की कई टीमें सालों से प्रयासरत थीं. वहीं दो दिन पहले बुलंदशहर के थाना जहांगीराबाद कोतवाली क्षेत्र में जब एसटीएफ ने घेराबंदी की, तो विनोद ने एक दर्जन से अधिक राउंड फायरिंग की जिसमें पुलिस के दो सिपाही सुमित और अनुज घायल हो गए और सब इंस्पेक्टर केशव शांडिल्य की जान उनकी ब्लडप्रूफ जैकेट ने बचाई थी.

तो कह सकते हैं कि महज 48 साल की उम्र में विनोद गड़रिया की कहानी खत्म हो गई. लेकिन उसका अंत भी किसी हिंसा से कम नहीं था. पुलिस मुठभेड़ के बाद दो पिस्टल, भारी मात्रा में कारतूस, एक मोटरसाइकिल, हेलमेट और एक बैग बरामद हुआ था. विनोद गड़रिया अब खत्म हो चुका है, लेकिन उसकी काली छाया अभी भी उन इलाकों में महसूस की जा सकती है जहां उसने वर्षों तक दहशत फैलाई. अब पुलिस उसकी गैंग के बचे हुए साथियों की तलाश में जुट गई है. विनोद गड़रिया की कहानी एक कड़वा सबक है कि अपराध चाहे जितना भी लंबा चले, उसका अंत हमेशा होता है और जब वो अंत आता है, तो अक्सर मुठभेड़ की एक रात में खत्म हो जाता है.

अभिजीत चौहान

न्‍यूज18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. वेब स्‍टोरी और AI आधारित कंटेंट में रूचि. राजनीति, क्राइम, मनोरंजन से जुड़ी खबरों को लिखने में रूचि.

न्‍यूज18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. वेब स्‍टोरी और AI आधारित कंटेंट में रूचि. राजनीति, क्राइम, मनोरंजन से जुड़ी खबरों को लिखने में रूचि.

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बेटा ऑस्ट्रेलिया की बड़ी कंपनी में इंजीनियर, तो बाप था यूपी का डकैट

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