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Baansuree, Bansee Aur Muralee Mein Antar : आमतौर पर जिन लोगों का संगीत की दुनिया से बहुत नाता नहीं होता वो बांसुरी, बंसी या मुरली को एक ही समझते हैं. लेकिन बांसुरी, बंसी और मुरली की बनावट में बहुत फर्क होता है. हालांकि तीनों…और पढ़ें
पीलीभीत : आमतौर पर हम सब ये जानते हैं कि बांसुरी केवल एक ही प्रकार की होती है, कुछ लोगों के अनुसार बांसुरी श्रीकृष्ण का प्रिय वाद्य यंत्र है. लेकिन, हकीकत में ऐसा नहीं है बांसुरी जैसे ही वाद्य यंत्र उसके दो भाई बहन भी है. जिन्हें बंसी और मुरली नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण को मुरली ही प्रिय थी और वे मुरली का ही वादन करते थे. लेकिन हम से बहुत ही कम लोग इन तीनों के बीच का अंतर जानते होंगे.हम आपको बांसुरी, मुरली और बंसी के बीच का अंतर बताएं उससे पहले हम पीलीभीत में इनके निर्माण का इतिहास जान लेते हैं.
दरअसल, जानकारों के मुताबिक सदियों पहले सुभान शाह नामक एक सूफी संत पीलीभीत आए थे. इस दौरान उन्होंने देखा कि पीलीभीत में रोजगार के अवसरों की कमी थी जिसके चलते भुखमरी के हालात बने हुए थे. ऐसे में उन्होंने किसी अन्य जगहों से बांसुरी कारीगरों को पीलीभीत में ला कर बसा दिया था. समय बीतने के साथ ही बांसुरी कारीगरी ने पीलीभीत में अपने पांव पसार लिए और बांसुरी कारोबार पीलीभीत के लोगों का प्रमुख पेशा बन गया. एक समय तो ऐसा भी था जब पूरे भारत के बांसुरी कारोबार में पीलीभीत का हिस्सा लगभग 90 प्रतिशत था. लेकिन समय बीतने के साथ कारोबार में समस्या आईं और लोग इससे हाथ खींचते गए. हालांकि शहर के सैकड़ों परिवार आज भी बांसुरी कारीगरी को अपने पुश्तैनी कारोबार के रूप में चला रहे हैं.
बांसुरी में होते हैं 6 सुर
लंबे अरसे से बांसुरी कारोबार से जुड़े शहर के अनुभवी बांसुरी कारीगर जावेद शेख ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि वैसे तो तीनों वाद्य एक ही विधा से जुड़े हुए हैं लेकिन बावजूद इन तीनों में कुछ मामूली अंतर हैं. बांसुरी, मुरली व बंसी, तीनों एक ही परिवार के भाई-बहन हैं. अगर बांसुरी की बात करें तो अमूमन इसे इस्तेमाल करने वालों में विधा के छात्र व बच्चे आदि शामिल हैं. वहीं बांसुरी के ऊपरी हिस्से में अरहर, सेमल आदि की लकड़ी की डाट लगी होती है, जिसे उसके ऊपरी सिरे से बजाया जाता है इसमे 6 सुराख(सुर) होते हैं.
बंसी और मुरली में अंतर
वहीं अगर बंसी की बात करें तो इसमें भी 6 सुराख होते हैं. लेकिन इसका वादन शौकिया, पेशेवर व घराना परंपरा के लोग करते हैं. वहीं अगर बात श्रीकृष्ण की प्रिय मुरली की करें तो यह अपने आप में विशेष होती है और इसमें 7 सुर होते हैं. वैसे तो इसका भी वादन किया जाता है लेकिन क्योंकि मुरली का वादन कर श्रीकृष्ण समूची सृष्टि को मोहित करते थे ऐसे में इसका इस्तेमाल पूजा पाठ के कार्यों में किया जाता है. शुरुआती दौर में तो केवल बांस से ही बांसुरी बनाई जाती थी लेकिन आज के आधुनिक युग में तमाम धातुओं का इस्तेमाल भी बांसुरी बनाने में किया जाता है.
Pilibhit,Pilibhit,Uttar Pradesh
January 13, 2025, 20:15 IST
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