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झारखंड की राजधानी रांची की बहुत सी खासियतें हैं और ऐसी ही एक विशेषता है यहां की आदिवासी थाली. इसे प्रोटीन का पावरहाउस भी कहते हैं. इसमें रुगड़ा की सब्जी, केकड़े की सब्जी और खुखड़ी की सब्जी, जैसे बहुत से आइटम होते हैं साथ ही दो-तीन तरह के साग भी होते हैं. पोषण के मामले में ये थाली नॉनवेज थाली को भी बीट करती है.

सबसे पहले बात करते हैं रुगड़ा की. जी हां! मॉनसून थाली की बात हो और रुगड़ा का नाम न आए ऐसा हो नहीं सकता. ये खाने में चिकन-मटन को फेल कर देता है. इसे शाकाहारियों का मटन भी कहते हैं. प्रोटीन की बात करें तो इसमें केवल 100 ग्राम में 50 से 60 ग्राम तक प्रोटीन होता है. अब आप समझ जाइए यह प्रोटीन का कितना बड़ा सोर्स होगा.

इसके अलावा इस थाली में खुखड़ी भी होती है. दरअसल, यह मशरूम की एक प्रजाति होती है जो खासतौर पर रांची के आसपास के जंगलों में पायी जाती है. इसकी डंडी काफी लंबी होती है और एकदम छत्ता जैसा बड़ा मशरूम होता है. खाने में इसका कोई जवाब नहीं. इसे खाने पर ऐसा लगेगा कि आप मछली खा रहे हैं.

यह अच्छे-खासे तेल मसाले के साथ बनता है. जैसे आप चिकन बनाते हैं तेल मसाला डालकर, बिल्कुल वैसे ही इसे बनाने की प्रक्रिया है. कम से कम 10- 2 प्याज डालकर अच्छे से भूनकर मसाले पीसकर बनाया जाता है. इसका स्वाद अगर आप एक बार चख लें तो यकीन मानिए दोबारा खाए बिना नहीं रह पाएंगे. बाजार में इसकी कीमत ₹500 किलो तक होती है.

इसके बाद बात करें साग की तो आदिवासी थाली में सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है, फुटकल का साग या पोई साग. यह सबसे अधिक पसंद किया जाता है. यह दोनों ही साथ खाने के बाद खट्टा-मीठा और गोलगप्पे जैसा लगता है. आपको अचार की जरूरत नहीं पड़ेगी. कई बार तो ऐसा होता है कि लोग सिर्फ साग में ही पूरा चावल लपेट लेते हैं.

इसके बाद थाली में आता है केकड़ा. जी हां! दरअसल, बरसात के मौसम में धान की क्यारी के बीच में कई सारे केकड़ा देखने को मिलते हैं. किसान उसी को चुनकर लाते हैं और घर में एकदम मसाला मार के जबरदस्त फ्राई करते हैं.

वहीं, चावल की बात करें तो आदिवासी खासतौर पर रेड चावल खाना पसंद करते हैं जो डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान साबित होता है. क्योंकि, इसमें कैलोरी ना के बराबर होती है और स्टार्च की मात्रा बहुत कम होती है. ये भी प्रोटीन का काफी अच्छा खासा सोर्स होता है.

झारखंड की राजधानी रांची के जाने माने आयुर्वेदिक डॉक्टर वीके पांडे बताते हैं, इस पूरी थाली के प्रोटीन की बात करें तो अगर आप एक बार में यह थाली खाते हैं तो 90 ग्राम तक प्रोटीन आपको मिल जाएगा. हांलाकि उनका कहना है कि सामान्य व्यक्ति के लिए एक बार में इतना प्रोटीन लेना सही नहीं है.

इसलिए आप इस थाली का इस्तेमाल हफ्ते में एक बार करेंगे तो अच्छा रहेगा या फिर 10 दिन में भी एक बार करें तो अच्छा है. क्योंकि, एक बार में बहुत अधिक प्रोटीन लेना कई बार प्रोटीन लीकेज का कारण भी बन सकता है. इसीलिए इसे अच्छे से खाइए लेकिन थोड़ा आराम से और एक हफ्ते या 10 दिन में एक बार तब कोई दिक्कत नहीं है. हालांकि आप जिम करते हैं, एथलीट हैं या ऐसा ही कुछ तो एक्सपर्ट की सलाह से इसे डाइट में शामिल कर सकते हैं.
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