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Cultivation of arvi रामपुर के कल्याणपुर गांव में किसान मौरसिंह ने 3 बीघा जमीन में देशी अरबी की खेती की है. अरबी वैसे तो एक आम सब्जी मानी जाती है, लेकिन इसकी खेती से मौरसिंह को डबल मुनाफा हो रहा है. वजह ये है कि अरबी की जड़ के साथ-साथ उसके पत्ते भी बिक जाते हैं और वो भी अच्छे दामों पर.

मुनाफे का सौदा है इस हरे पत्ते की खेती, कम पानी और कम मेहनत में होती है तैयार

मौरसिंह बताते हैं कि अरबी की खेती आसान नहीं है और मेहनत भी दोगुनी लगती है, लेकिन अगर ध्यान से देखभाल की जाए तो मुनाफा भी दुगुना हो जाता है. उन्होंने बताया कि एक बीघा जमीन से करीब 30 कुंटल अरबी निकल आती है.

इसके अलावा उसी खेत से करीब दो ट्रॉली पत्ते भी मिलते हैं, जो लोकल सब्जी मंडियों में बिक जाते हैं यानी जड़ भी बिक रही है और पत्ते भी.

अरबी की खेती में सबसे पहले अच्छे बीज का चुनाव जरूरी होता है. देशी अरबी की खास बात ये है कि इसका स्वाद बढ़िया होता है और जल्दी सब्जी बनाते समय पक भी जल्दी जाती है. इसमें पानी कम लगता है.

खेत को पहले अच्छी तरह जोतकर उसमें गोबर की खाद डाली जाती है. फिर बीजों को कतार में 1 से 1.5 फुट की दूरी पर लगाया जाता है. शुरुआत में 3 से 4 बार निराई-गुड़ाई करनी पड़ती है, ताकि खरपतवार न पनपे.

अरबी को बहुत ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन समय-समय पर सिंचाई जरूरी है. ज्यादा पानी हो जाए, तो इसकी जड़ सड़ सकती है. फसल करीब 3 से 4 महीने में तैयार हो जाती है.

अरबी की सब्जी तो हर घर में बनती है, लेकिन इसके पत्तों का भी खूब इस्तेमाल होता है. पत्तों से पत्तोड़े नाम की खास डिश बनाई जाती है, जो खासकर हर घर मे खूब पसंद की जाती है. यही वजह है कि मार्केट में इसके पत्तों की भी अच्छी कीमत मिल जाती है.

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