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हर साल 21 जून को पूरी दुनिया में इंटरनेशनल योगा डे मनाया जाता है. ये दिन याद दिलाता है कि हमारे शरीर और मन की सेहत सिर्फ दवाइयों से नहीं, बल्कि योग जैसी भारतीय परंपरा से भी सुधारी जा सकती है.कोरोना के बाद से ही लोगों में हेल्थ को लेकर जागरूकता बढ़ी है और योग की अहमियत और भी ज़्यादा महसूस हुई है. इस बार की थीम है “Yoga for one earth, one health\” यानी खुद की भलाई के साथ-साथ समाज के लिए भी योग ज़रूरी है. इसी मौके पर हमने बात की दिल्ली के योग टीचर प्रशांत जी से, जो पिछले कई सालों से योग सिखा रहे हैं.
इन गलतियों से बचें
योग करते समय कई लोग जल्दबाजी करते हैं और कठिन आसनों से शुरू कर देते हैं, जिससे चोट लग सकती है. प्रशांत जी कहते हैं कि योग में धैर्य सबसे ज़रूरी चीज़ है. बिना तैयारी या सही गाइडेंस के योग न करें. आजकल लोग योग को लेकर ज्यादा एक्टिव हो रहे हैं, खासकर ऑनलाइन क्लासेस, ऐप्स, और योगा रिट्रीट का चलन तेजी से बढ़ा है, जिससे अब गांव तक में लोग घर बैठे योग सीख पा रहे हैं.
योग को लेकर लोगों में कई गलतफहमियां हैं जैसे ये सिर्फ बुजुर्गों के लिए है या बहुत समय चाहिए. प्रशांत जी इन बातों को पूरी तरह गलत बताते हैं और कहते हैं कि योग हर किसी के लिए है, बस जरूरत है रोज़ थोड़ा वक्त देने की. टेक्नोलॉजी ने योग के प्रसार में भी बड़ी भूमिका निभाई है. ऐप्स और वर्चुअल क्लासेस ने इसे बहुत आसान बना दिया है.
मानसिक शांति में कैसे मदद करता है?
प्रशांत ने कहा योग से दिमाग को आराम मिलता है. ध्यान और प्राणायाम करने से चिंता और गुस्सा कम होता है. नींद भी अच्छी आती है.वही डिप्रेशन और चिंता जैसी दिक्कतों में योग बहुत असरदार है.
योग डाइट कैसी होनी चाहिए?
प्रशांत जी ने बताया कि घर का बना, कम मसाले वाला, फ्रेश खाना सबसे अच्छा होता है. जैसे दाल, सब्ज़ी, चपाती, फल, सलाद और छाछ.बहुत तला-भुना या मसालेदार खाने से बचे उससे बॉडी में सुस्ती आती है.
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