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Explainer- सर्दी के मौसम में जगह-जगह अलाव जलता दिखता है. सर्द हवाओं में इससे बहुत राहत मिलती है. अक्सर अच्छे मौकों पर आग जलाई जाती है. लोहड़ी हो या घर में हवन, इसके बिना अधूरा है. अलाव को जलाना कई देशों में गुड लक माना…और पढ़ें

लोहड़ी हो या होली, घर में हवन हो या पार्टी अलाव जरूर जलाया जाता है. इसे हिंदी में अलाव और अंग्रेजी में बोनफायर कहते हैं. सर्दी में अलाव हर सड़क पर मिल जाएगा और 13 जनवरी यानी लोहड़ी के दिन लोग इसके आसपास झूमते हुए दिख जाएंगे. बोनफायर को हमेशा से सेलिब्रेशन से जोड़ा गया है. दुनिया के हर देश में इसे जलाने का रिवाज है.  

हजारों साल से जल रही है बोनफायर
घर के बाहर आग जलाने को बोनफायर कहते हैं. इसे ज्यादातर लकड़ियों, पत्तों और कागज से जलाया जाता है. इसका सबसे पहले जिक्र जॉन मिर्क की किताब  ‘Book of Festivals’  में मिलता है. किताब के अनुसार बोनफायर को जलाने का रिवाज 15वीं शताब्दी में शुरू हुआ. इसे फ्रांस में मनाए जाने वाले सेंट जॉन ईव फेस्टिवल में जलाया जाता था. तब बोनफायर संतों को याद करने के लिए जलाई जाती थी. फ्रेंच भाषा में बोन का मतलब है अच्छा और फायर का मतलब आग यानी बोनफायर को अच्छी आग बताया गया. वहीं इसे हड्डियों से जलने वाली आग भी कहा गया.  

बुरी आत्माओं को दूर रखने का जरिया
ग्रीक इतिहासकार मानते हैं कि 15वीं शताब्दी में मध्य यूरोप में रहने वाले आदिवासी जिन्हें Celts कहा जाता था, वह जानवरों की हड्डियों से अलाव जलाते थे. उनका मानना था कि ऐसा करने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं. सेल्ट्स समुदाय के लोग दुनिया के ऐसे पहले लोग थे जिन्होंने यूरोप में पहली बार ट्राउजर पहनना शुरू किया. 

लोहड़ी हो या होली बोनफायर के बिना अधूरी, 15वीं शताब्दी से जल रहा अलाव, इसे जलाना क्यों अच्छा माना जाता है?

सर्दी में आग जलाने से बॉडी में हैप्पी हार्मोन्स रिलीज होते हैं (Image-Canva)

चेक रिपब्लिक में फर्टिलिटी का जश्न
खराब लाइफस्टाइल के चलते आजकल कपल्स का मां-बाप बनने का सपना बहुत मुश्किल हो गया है. दरअसल स्ट्रेस और जंक फूड से फर्टिलिटी खराब हुई है. ऐसे में यूरोप में एक ऐसा भी देश है जो फर्टिलिटी की दुआ मांगता है और जश्न मनाता है. चेक रिपब्लिक में 30 अप्रैल और 1 मई की रात के बीच Burning the Witches नाम का फेस्टिवल मनाया जाता है. इस दिन लोग एकसाथ इकट्ठा होकर अलाव जलाते हैं और सेलिब्रेट करते हैं. लोगों का मानना है कि इस दिन चुड़ैल आती हैं और गुफाओं में बंद खजाने का दरवाजा खुल जाता है. इस त्योहार पर युवा आग के ऊपर से उछलते हैं और फर्टिलिटी की दुआ मांगते हैं. वह अपनी गायों को भी अलाव की राख पर चलवाते हैं ताकि उनकी गाय बच्चे दे. इस बोनफायर की राख को बाद में खेतों में डाल दिया जाता है. लोगों का विश्वास है कि ऐसा करने से फसलें अच्छे से उगेंगी और उन्हें मुनाफा होगा.  

हेलोवीन पर भी जलती है अलाव
आयरलैंड में हर साल 31 अक्टूबर और 11 जुलाई को बोनफायर जलाई जाती है. 31 अक्टूबर को हेलोवीन होता है. इस दिन लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और अजीबोगरीब ड्रेस पहनते हैं. इस दिन आग बुरी आत्माओं से बचने के लिए जलाई जाती है. वहीं 11 जुलाई को जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है. इस दिन 1690 में हुई बोयने नदी के पास हुए युद्ध में इंग्लैंड के किंग विलियम तृतीय की जीत हुई थी.  

बोनफायर का सिग्नल की तरह होता इस्तेमाल
जब टेलीफोन या टेलीग्राम नहीं हुआ करते थे, तब अलाव जलाकर ही दूर के लोगों से कम्यूनिकेशन होता था. दरअसल आग दूर से नजर आती है और इसका धुंआ ऊपर आसमान में दिखता है. आग जलाकर लोग बताते थे कि वह इस जगह मौजूद हैं. इसी तरह रात में जंगली जानवरों से बचने के लिए आग जलाई जाती थी. आग युद्ध और जीत का भी प्रतीक थी. इसका धुंआ खतरे की तरफ इशारा करता था. वहीं अलाव जलाने का मतलब लोगों को एक जगह पर इकट्ठा करना भी था. 

बोनफायर को अधिकतर देशों में मौसम और फसल से जोड़ा गया (Image-Canva)

मनोरंजन का अहम हिस्सा
जब भी कोई पार्टी हो या फिर जंगल में कैंप लगा हो तो बोनफायर होता ही है. रात में बोनफायर के सामने आराम से बैठकर नाच-गाना अलग ही सुकून देता है. बोनफायर को हमेशा से मनोरंजन से जोड़ा गया है. बॉलीवुड की फिल्मों ने तो बोनफायर को रोमांटिक तक बना दिया. आग के सामने गिटार बजाकर गीत गाना और सबके सामने अपने प्यार का इजहार करना आम सी बात लगने लगी थी. आज भी युवा बोनफायर के सामने खूब मस्ती करते हैं.

बोनफायर से बढ़ता खाने का स्वाद
शेफ अमृत अरोड़ा कहते हैं कि कुछ लोग बोनफायर की आग में तरह-तरह की चीजें पकाते हैं. जब होली आती हैं तो अधिकतर लोग होलिका दहन के बाद उसमें छिलके समेत छोलिये यानी हरे छोले को जलाते हैं. वहीं सर्दियों में अलाव में शकरकंद और आलूओं को भूना जाता है. लोगों का मानना है कि इस आग में खाने की चीजों को भूनने का अलग ही मजा है. इससे खाने का स्वाद भी बढ़ जाता है. इसी वजह से दुनियाभर के लोग बारबीक्यू के फैन हैं.

सेहत के लिए अच्छी है बोनफायर
बोनफायर को खुले में जलाया जाता है. इंग्लैंड में हुई स्टडी के अनुसार घर के बाहर फ्रेश हवा होती है और ऐसे में अलाव जलाई जाए तो लंग्स को अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है जिससे बॉडी में एनर्जी महसूस होती है और पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है. वहीं जब बोनफायर किया जाए तो बॉडी में सेरोटोनिन नाम के हार्मोन्स रिलीज होते हैं जो खुशी को बढ़ाते हैं और तनाव को दूर करते हैं. मेंटल हेल्थ अच्छी रहती है तो व्यक्ति भी तंदुरुस्त होता है. आग जलाने से आसपास कीड़े-मकोड़े भी नहीं पनपते. 

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लोहड़ी हो या होली बोनफायर के बिना अधूरी, 15वीं शताब्दी से जल रहा अलाव

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