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अंपायर्स कॉल डीआरएस का हिस्सा है. इसके तहत कई मौकों पर ऑन फील्ड अंपायर का फैसला माना जाएगा. यहां बॉल ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी के जरिए पता लगाया जाएगा कि गेंद इम्पैक्ट में है या फिर विकेट जोन में.सचिन तेंदुलकर से लेक…और पढ़ें

अंपायर कॉल के मायने क्या है.
हाइलाइट्स
- साल 2016 में पहली बार क्रिकेट में आया अंपायर्स कॉल नियम
- अंपायर्स कॉल पर दिग्गजों की अलग अलग राय है
- क्रिकेट में अंपायर्स कैसे करता है काम
नई दिल्ली. क्रिकेट में अंपायर्स कॉल डिसीजन रिव्यू सिस्टम का अभिन्न अंग बन गया है. अगर किसी बल्लेबाज को यह लगता है कि वह आउट नहीं है और फील्ड अंपायर उसे आउट दे देता है तो, बैटर इसके के बाद अंपायर के फैसले को चुनौती देता है. यानी फिर निर्णय के लिए थर्ड अंपायर के पास जाता है. तब एलबीडब्ल्यू के संदर्भ में टीवी अंपायर रीप्ले और बॉल ट्रैकिंग के जरिए नतीजे तक पहुंचने की कोशिश करता है. वर्तमान नियम के मुताबिक अगर अंपायर की नॉट आउट कॉल को चुनौती दी गई है, तो रिव्यू पर बल्लेबाज को एलबीडब्ल्यू घोषित करने के लिए गेंद का 50 फीसदी हिस्सा तीन स्टंपों में से कम से कम एक से टकराना चाहिए.
थर्ड अंपायर गेंद और स्टंप के बीच संपर्क होने का फासला बहुत छोटा या उसमें किसी तरह की भी शंका होने पर इसे अंपायर्स कॉल (Umpire’s call)करार देता है. यानी जो फैसला ग्राउंड अंपायर दे चुका है, वही फाइनल माना जाता है. क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था आईसीसी का इस नियम पर कहना है कि अंपायर्स कॉल डीआरएस का हिस्सा है. जिसमें कई मौकों पर ऑन फील्ड अंपायर का डिसीजन मान्य होगा. यहां बॉल ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी के जरिए पता लगाया जाएगा कि गेंद इम्पैक्ट में है या फिर विकेट जोन में.
बॉल ट्रेकिंग के 3 जोन
बॉल ट्रेकिंग के 3 जोन होते हैं.जिसमें पहला पिचिंग जोन है.स्टंप्स के दोनों सेटों के बीच का क्षेत्र, जिसकी सीमा दोनों छोर से बाहरी स्टंप्स तक होती है. दूसरा इम्पैक्ट जोन है.यह वही जोन है जहां बॉल पहली बार पैड या बैट को हिट करती है. तीसरा विकेट जोन है. यहां यह देखा जाता है कि गेंद विकेट को हिट कर रही है या मिस कर रही है. मिस हाइट और लाइन दोनों से कर सकती है.
साल 2016 में पहली बार लागू हुआ अंपायर्स कॉल
अंपायर्स कॉल नियम साल 2016 में पहली बार क्रिकेट में लागू किया गया. दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, शेन वॉर्न और रिकी पोंटिंग अतीत में इस नियम पर सवाल उठा चुके हैं. इन तीनों दिग्गजों का कहना है कि यदि गेंद स्टंप से टकराई है तो यह सवाल नहीं होना चाहिए कि यह मार्जिनल है या नहीं इसे आउट होना चाहिए. टीम इंडिया के पूर्व ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह भी कह चुके हैं कि अगर गेंद स्टंप्स को छू रही है तो फिर चाहे अंपायर ने आउट दिया हो या नॉट आउट इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए.
नासिर हुसैन अंपायर्स कॉल के सपोर्ट में हैं
दूसरी ओर इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन की अंपायर्स कॉल पर राय अलग है. नासिर हुसैन का कहना है कि अंपायर्स कॉल डीआरएस का हिस्सा बने रहना चाहिए. क्योंकि टेक्नोलॉजी एक जरिया है यह पता लगाने का कि गेंद पैड पर लगकर कहां जा रही है. इसमें पूरी सच्चाई नहीं होती. अगर अंपायर कॉल हटा दिया जाएगा तो टेस्ट मैच दो दिन से भी ज्यादा नहीं चलेगा क्योंकि फिर गेंदबाज पैड पर गेंद लगते ही बार-बार अपील करेंगे और 50 फीसदी का मार्जिन हटा देने पर बैटर आउट हो जाएगा.

करीब 15 साल से पत्रकारिता में सक्रिय. दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई. खेलों में खासकर क्रिकेट, बैडमिंटन, बॉक्सिंग और कुश्ती में दिलचस्पी. IPL, कॉमनवेल्थ गेम्स और प्रो रेसलिंग लीग इवेंट्स कवर किए हैं. फरवरी 2022 से…और पढ़ें
करीब 15 साल से पत्रकारिता में सक्रिय. दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई. खेलों में खासकर क्रिकेट, बैडमिंटन, बॉक्सिंग और कुश्ती में दिलचस्पी. IPL, कॉमनवेल्थ गेम्स और प्रो रेसलिंग लीग इवेंट्स कवर किए हैं. फरवरी 2022 से… और पढ़ें
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