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Caste Census: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगामी जनगणना में जातियों का सर्वे कराने का फैसला किया, जिससे विपक्षी दलों की जाति जनगणना की मांग शांत हो गई. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने इसे अपनी जीत बताया, जबकि भा…और पढ़ें

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मोदी के दांव से तेजस्वी-अखिलेश होंगे चित

हाइलाइट्स

  • प्रधानमंत्री मोदी ने जाति जनगणना का फैसला लिया.
  • अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने जाति जनगणना की मांग की थी.
  • कांग्रेस और सपा ने जाति जनगणना को लेकर सरकार पर दबाव बनाया.

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के उस फॉर्मूले ने कमला दिखाया जिसमें, उन्होंने यह नरेटिव सेट किया कि संविधान खतरे में है, आरक्षण खत्म हो जाएगा.  यह भी कहा गया कि अबकी बार 400 पार का नारा यही बताता है कि सरकार संविधान बदलने वाली है. इस नरेटिव का असर सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में देखने को मिला. इतना ही नहीं कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के इंडी गठबंधन ने जो जाति जनगणना की मांग की और कहा कि ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी’. अखिलेश यादव ने पीडीए का फार्मूला दे दिया. नतीजा रहा कि इंडी गठबंधन 43 सीट लोकसभा चुनाव में जीत गई. समाजवादी पार्टी देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गयी.

अब जो विपक्ष मांग शुरू करने जा रहा है, उसके मुताबिक आरक्षण की सीमा जातियों के आधार पर बढ़ाने की है. यानी जिसकी जीतिनि संख्या होगी उसे उतना आरक्षण देने की मांग. अभी तक जो व्यवस्था है उसके मुताबिक 50 प्रतिशत सामान्य और बाकी के 50 प्रतिशत में अनुसूचित जाति 22 प्रतिशत, अनुसूचित जन जाती 11 प्रतिशत और OBC वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है. इसके अलावा 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण की सुविधा का प्रावधान है. लेकिन RJD के तेजस्वी यादव ने कहा कि अब आरक्षण का दायरा बढ़ाना पड़ेगा.

लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के इस दांव को बस एक फैसले से शांत कर दिया. यह फैसला सिर्फ इतना ही था कि आगामी जनगणना में जातियों का भी सर्वे होगा. बिहार चुनाव से पहले लिए गए इस फैसले से उन्होंने एक तीर से कई निशाने साध लिए. विपक्ष जाति जनगणना को लेकर मुद्दा बना रहा था. अब यह सियासी मुद्दा भी विपक्षी नेताओं के उस बयान के साथ शांत  हो जाएगा कि पीएम मोदी उनकेदबाव में झुक गए. मतलब अब राहुल या अखिलेश इस मुद्दे को आज के बात नहीं उठा पाएंगे.

प्रधानमंत्री के इस फैसले का नतीजा यह रहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा कि ‘देर आए…दुरुस्त आए. जातीय जनगणना पर BJP & मोदी का बदलना राहुल गांधी और कांग्रेस की जीत है. सबसे पहले राहुल गांधी जी ने इस मुद्दे को उठाया,तब BJP&मोदी इसका विरोध कर रहे थे. भाजपा झूठ की फैक्ट्री है,उनकी नियत पर सवाल है, क्योंकि इनका किया कोई वादा पूरा नहीं हुआ.

ये INDIA की जीत
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी इस फैसले पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “नेता जी ने संसद में जातिवार जनगणना का मुद्दा केंद्र की हर सरकार में पुरज़ोर तरीक़े से उठाया था, क्योंकि वो जानते थे कि जाति की गणना न कराने से कमज़ोर-पिछड़ों के अधिकारों की हक़मारी की जा रही है. नेता जी अत्याचार, उत्पीड़न, शोषण और पिछड़ेपन के दंश को जानते थे और ये मानते थे कि जब तक सरकारों को झकझोरा और जगाया नहीं जाएगा, तब तक परंपरागत शक्तिशाली लोग न तो सत्ता में किसीको हिस्सा देंगे, न उनका अधिकार. उन सब समाजवादी नेताओं को सादर नमन जिन्होंने इसके लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया. ये सामाजिक न्याय और सामाजिक सशक्तीकरण के सभी गणमान्य विचारकों के निरंतर संघर्ष की जीत है और उनकी करारी हार जो सौ साल से इसे नकारने का षड्यंत्र रचते रहे. ये INDIA की जीत है.

कांग्रेस ने यूपीए सरकार में जाति जनगणना की जगह जाति सर्वे कराया
केंद्र सरकार के इस फैसले पर यूपी के डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य ने जातिगत जनगणना के फैसले को कहा कि केंद्र सरकार जाति जनगणना करवाएगी और यह आनेवाले जनगणना में ही होगा. 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं की गई है. कांग्रेस ने यूपीए सरकार में जाति जनगणना की जगह जाति सर्वे कराया. कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से जाति सर्वे किया है.जाति की जनगणना मूल जनगणना में ही सम्मिलित होना चाहिए. पीएम मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट ने जाति की जनगणना को आने वाले जनगणना में सम्मिलित करके किया जाए.

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