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पालतू जानवरों को छूने, उनके लार, मूत्र या मल के संपर्क में आने से से भी पशुओं की बीमारी मनुष्यों में आ जाती है.न पशुओं की बीमारियों से बचने के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

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अगर आप भी अपने पालतू जानवर से करते हैं प्यार, तो जरा संभल जाएं! एक चूक और शरीर हो जाएगा खराब, कैसे?

बीमारियों से बचने के लिए पालतू जानवरों को छूने के बाद हाथ धोए.

हाइलाइट्स

  • पालतू पशुओं से फैलने वाली बीमारियों से बचाव जरूरी है.
  • रेबीज, ब्रुसेला जैसी बीमारियों से बचने के उपाय अपनाएं.
  • पालतू पशुओं का टीकाकरण और स्वच्छता बनाए रखें.

जयपुर:- ऐसी अनेकों बीमारियां हैं, जो पालतू पशुओं से मनुष्य के अंदर आती हैं. इन बीमारियों का सबसे अधिक शिकार पशुओं की देखभाल करने वाले पशु पालक होते हैं. पशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी ने लोकल 18 को बताया कि पालतू पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों को जूनोटिक डिजीज कहा जाता है.

ये रोग बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या परजीवियों के कारण होते हैं और पशुओं के संपर्क में आने से मनुष्यों में फैल सकते हैं. जूनोटिक बीमारियों में रेबीज, ब्रुसेला, टोक्सोप्लाज़मोसिस और रिंगवर्म जैसी बीमारियां अधिकांश पशुओं से मनुष्यों में होती हैं. ऐसे में पशुपालक पशुपालन के समय कुछ बातों का ध्यान रखें.

ऐसे फैलती है ये बीमारियां, करें ये उपाय
पशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी ने लोकल 18 को बताया कि पालतू जानवरों को छूने, उनके लार, मूत्र या मल के संपर्क में आने से से भी पशुओं की बीमारी मनुष्यों में आ जाती है. इसके अलावा पशुओं के मल से दूषित खाद्य पदार्थ या पानी पीने, पिस्सू, जूं या टिक्स के काटने और कुछ बीमारियां सास के जरिए भी फैल सकती हैं.

पशु चिकित्सक ने बताया कि इन पशुओं की बीमारियों से बचने के लिए पालतू जानवरों को छूने के बाद हाथ धोएं. इसके अलावा पशुओं को रेबीज, लेप्टोस्पायरोसिस आदि के टीके लगवाएं. कच्चा मांस खाने से बचें और पानी उबालकर पिएं. पालतू जानवरों को पिस्सू और टिक्स से बचाने के लिए दवाइयां दें. खासतौर पर पशुपालक जो गाय भैंस पलते हैं, वे पशुओं का गोबर उठाते समय साफ सफाई का ध्यान रखें और इसे नंगे हाथों से न उठाएं.

पालतू पशुओं का टीकाकरण कराएं
पशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी ने Local 18 को बताया कि पालतू जानवरों से प्यार करने के साथ-साथ सावधानी भी जरूरी है. उचित स्वच्छता, टीकाकरण और जागरूकता से जूनोटिक बीमारियों को रोका जा सकता है. यदि पशु या मनुष्य में कोई लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर या पशु चिकित्सक से सलाह लें. दरअसल ये बीमारियां आगे चलकर बड़ा नुकसान कर सकती हैं.

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