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पुराने ज़माने में नवाबों के दरबार की शान रही ये डिश आज भी बड़े इवेंट और खास मौकों पर परोसी जाती है. रामपुर के शाही कूक माहीर अहमद बताते हैं कि उनके दादा और परदादा नवाब साहब के लिए यही मुर्ग मुसल्लम बनाया करते थे. चलिए जानते हैं इस शाही डिश की खासियत…

शाही कूक माहीर अहमद बताते हैं कि उनके दादा और परदादा रामपुर नवाब के दरबार में खाना बनाते थे. उन्हीं से उन्होंने ये शाही पकवान बनाना सीखा है. आज भी वे खास आयोजनों में शाही अंदाज में खाना परोसते हैं.

रामपुर के नवाबों की रसोई में मुर्ग मुसल्लम खास स्थान रखता था. ये डिश नवाबी दावतों की शान हुआ करती थी. माहीर अहमद बताते हैं कि नवाब साहब को यह व्यंजन बेहद पसंद था.

मुर्ग मुसल्लम को खास तरीके से तैयार किया जाता है. पूरे मुर्गे को मसालों में मेरिनेट करने के बाद उसके अंदर कीमा या उबले अंडे भरे जाते हैं. ये अंदर की भरावन इसे और भी खास बना देती है.

इस डिश का मसाला भी बहुत खास होता है. इसमें दही, काजू, बादाम, खसखस, प्याज और ढेर सारे गरम मसाले पीसकर इस्तेमाल किए जाते हैं. इसका स्वाद बेहद लजीज और मलाईदार होता है. इन सभी मसालों को साबुत चिकन में भरकर दो घंटे के लिए ऐसे ही रख दिया जाता है.

शाही अंदाज में इसे घी में भूनकर और फिर दम पर पकाया जाता है. धीमी आंच पर पकने से मसाले अंदर तक रस बस जाते हैं. ऊपर से केसर और चांदी का वर्क इसे और भी खास बना देता है.

माहीर अहमद बताते हैं कि आज भी रामपुर और आसपास के बड़े इवेंट, शादियों और रिसेप्शन में लोग उनसे मुर्ग मुसल्लम बनवाते हैं. इसके बिना दावत अधूरी लगती है.
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