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Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुल 160 जज हैं. जबकि आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में 37, बॉम्बे हाईकोर्ट में 94, कलकत्ता हाईकोर्ट में 72, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 22 जज हैं, मद्रास हाईकोर्ट में 75, पंज…और पढ़ें

अजीबोगरीब फैसलों से क्यों बदनाम है इलाहाबाद हाईकोर्ट, जानें यहां कितने जज हैं?

इलाहाबाद हाईकोर्ट.

हाइलाइट्स

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट में 160 जज हैं.
  • रेप मामले में विवादित टिप्पणियों से चर्चा में है.
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ लगाई.

इलाहाबादः उत्तर प्रदेश की हाईकोर्ट इन दिनों खूब सुर्खियों में है. कभी जजों की नियुक्ति को लेकर तो कभी मामले के फैसला सुनाने के दौरान की गई टिप्पणियों को लेकर. हाल ही में हाईकोर्ट की तरफ से रेप मामले की सुनवाई के दौरान बड़ी टिप्पणियां सामने आई हैं, जिसे लेकर एक बार सुप्रीम कोर्ट भी लताड़ लगा चुका है. सोशल मीडिया पर भी लोग जजों की टिप्पणियों को लेकर हैरानी जता रहे हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है. पूरे देश के हाईकोर्ट की बात करें तो सबसे अधिक जज इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही हैं.

कहां कितने हैं जज?
प्राप्त जानकारी के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुल 160 जज हैं. जबकि आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में 37, बॉम्बे हाईकोर्ट में 94, कलकत्ता हाईकोर्ट में 72, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 22 जज हैं, मद्रास हाईकोर्ट में 75, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्च में 85, दिल्ली हाईकोर्ट में 60, गुजरात हाईकोर्ट में 52, कर्नाटक हाईकोर्ट में 62, केरल हाईकोर्ट में 47, मध्य प्रदेस हाईकोर्ट में 53, सिक्किम हाईकोर्ट में 3, त्रिपुरा हाईकोर्ट में 5, मणिपुर हाईकोर्ट में 5, मेघालय हाईकोर्ट में 4 और उत्तराखंड हाईकोर्ट में 11 जज हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से अबतक की विवादित टिप्पणियां

10 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में टिप्पणी की, जिसे लेकर विवाद शुरू हो गया. कोर्ट ने अभियुक्त को जमानत देते हुए कहा कि महिला ने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया था, उसके साथ जो भी हुआ, वो उसके लिए खुद जिम्मेदार है. इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश संजय कुमार कर रहे थे. पूरा मामला सितंबर 2024 का है. उन्होंने कहा, ‘अदालत मानती है कि अगर पीड़िता के आरोपों को सही मान भी लिया जाए तो भी इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि महिला ने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया और घटना के लिए वो खुद भी जिम्मेदार है.’

‘स्तन छूना ना रेप ना रेप का प्रयास’
इससे पहले जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने एक फैसले में उन्होंने कहा कि स्तनों को छूना और पायजामी की डोरी तोड़ना रेप या रेप की कोशिश के दायरे में नहीं आता. उन्होंने ये टिप्पणी यूपी के कासगंज जिले के पॉक्सो के एक केस की सुनवाई के दौरान की गई. कोर्ट ने कहा कि अगर ये साबित करना है कि रेप का प्रयास हुआ, तो अभियोजन पक्ष को यह दिखाना होगा कि अभियुक्तों का इरादा अपराध को अंजाम देना था.

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