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रामपुर का हब्शी हलवा नवाबी दौर में अफ्रीका से आए हकीम ने नवाब हामिद अली खान के लिए तैयार किया था. यह हलवा जड़ी-बूटियों और मेवों से बना है और अब देश-विदेश में प्रसिद्ध है. जानें इसकी खास रेसिपी.

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रामपुर का हब्शी हलवा एक हकीम की रेसिपी, जिसने नवाब से लेकर अमेरिका तक सबको दीवान

हाइलाइट्स

  • रामपुर का हब्शी हलवा नवाबी दौर में अफ्रीका से आए हकीम ने बनाया था.
  • यह हलवा जड़ी-बूटियों और मेवों से बना है और देश-विदेश में प्रसिद्ध है.
  • हब्शी हलवा अब रामपुर की हर दुकान में उपलब्ध है.

अंजू प्रजापति/रामपुर. भारत के हर कोने में खास खाने की परंपरा है, लेकिन, रामपुर का हब्शी हलवा अपनी अलग पहचान रखता है. इस मिठाई की शुरुआत नवाबी दौर में हुई, जब अफ्रीका से आए एक हकीम ने नवाब हामिद अली खान के लिए जड़ी-बूटियों और मेवों से खास हलवा तैयार किया. तब से आज तक हब्शी हलवा रामपुर की शान बना हुआ है और इसकी लोकप्रियता अब देश-विदेश तक फैल चुकी है.

रामपुर में हब्शी हलवा की शुरुआत नवाब खानदान ने सन् 1930 के आसपास करवाई थी. हकीम जी की दुकान के संचालक मोहम्मद आरिफ बताते हैं कि आज इस हलवे को बनाने वाली तीसरी पीढ़ी काम कर रही है. हब्शी हलवे का इतिहास भी बहुत रोचक है. रामपुर के नवाब हामिद अली खान ने अफ्रीका से एक हकीम को बुलाया था और उसे कुछ खास बनाने का आदेश दिया. हकीम ने जड़ी-बूटियों, विभिन्न मेवों, दूध और देसी घी को मिलाकर एक खास हलवा तैयार किया. जब नवाब ने यह हलवा चखा तो वह इसके स्वाद के दीवाने हो गए. बस तभी से इस हलवे का नाम हब्शी हलवा पड़ गया.

जानें हलवे की रेसिपी
हब्शी हलवा बनाने की विधि भी काफी खास होती है. सबसे पहले दूध को अच्छे से पकाया जाता है, फिर उसमें सूजी, चीनी, देसी घी और खास जड़ी-बूटियां मिलाई जाती हैं. इसके बाद बादाम और पिस्ता डालकर हलवे को पूरी तरह तैयार किया जाता है. इस हलवे की मिठास और स्वाद ऐसा होता है कि जो भी इसे एक बार चख लेता है, वह बार-बार इसे खाने के लिए रामपुर जरूर आता है.

रामपुर की हर दुकान में उपलब्ध
नवाबी दौर से लेकर आज तक यह हलवा रामपुर की शान बना हुआ है. जिले के हर तहसील और मोहल्ले में हब्शी हलवे की कई बड़ी-बड़ी दुकानें हैं. जो भी रामपुर घूमने आता है, वह इस हलवे को खरीदना नहीं भूलता. हब्शी हलवा अब सिर्फ शाही खानपान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आम लोगों के लिए भी आसानी से उपलब्ध है. यह मिठाई न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि अपनी ऐतिहासिक विरासत की वजह से भी खास मानी जाती है.

अफ्रीका से आए हकीम ने किया था तैयार
रामपुर का यह हब्शी हलवा आज भी अपने अनोखे स्वाद और खास बनाने की विधि के कारण देश-विदेश में लोकप्रिय है. इसके पीछे नवाब खानदान की दूरदर्शिता और अफ्रीका से आए हकीम की विशेषज्ञता दोनों की अहम भूमिका रही है. यही वजह है कि हब्शी हलवा आज भी रामपुर की शाही संस्कृति और पारंपरिक खान-पान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है.

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