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Want to More Happiness: खुश के पल बेहद अनमोल होते हैं. बहुत कम समय ऐसा होता है जब हम अंतर्मन से खुश होते हैं. हमें लगता है कि कोई अच्छी चीज हमें मिल, कोई बड़ी उपलब्धि हमें मिल जाए तो हम खुश होते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है खुश रहना एक कला है जिसे अभाव में भी हासिल किया जा सकता है. खुश रहना न केवल मानसिक रूप से बल्कि बायोलॉजिकल रूप से भी हमारे लिए फायदेमंद है. जब हम खुश होते हैं तो हमारे मस्तिष्क में डोपामिन, सेरोटोनिन, एंडॉर्फिन और ऑक्सीटोसिन जैसे हैप्पी हार्मोन्स रिलीज होता है. ये सारे हार्मोन तनाव को कम करते हैं और मूड को बेहतर बनाते हैं. यह हार्मोन इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं, जिससे शरीर बीमारियों से बेहतर तरीके से लड़ पाता है. खुशी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करती है, दिल की सेहत में सुधार करती है और इंफ्लामेशन को घटाती है. तो क्या आप खुश होना नहीं चाहेंगे. यहां हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ज्यादा खुशी कैसे हासिल की जाए इसके लिए तीन उपाय बताए हैं.
ज्यादा खुशी पाने के 3 तरीके
1. चाहारदीवारी से निकलें और शरीर में फुर्ति लाएं – हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के मुताबिक ताजी हवा और एक्सरसाइज मूड को बेहतर बनाने वाला पावरफूल टूल है. इसके चलना, साइक्लिंग करना, दौड़ना और अन्य एरोबिक गतिविधियों में शामिल होना चाहिए. इसमें ऐसे हार्मोन रिलीज होते हैं जो तनाव को कम करते हैं और आपको अच्छा महसूस कराते हैं. इसके लिए जरूरी है कि आप अपने घर की चाहरदीवारी से बाहर निकलें. इन गतिविधियों से मस्तिष्क में सेरोटोनिन नामक केमिकल का स्तर बढ़ता है. यह फील-गुड हार्मोन है और बेहतर मूड के लिए जरूरी है. एक अध्ययन में पाया गया कि सप्ताह में केवल 90 मिनट की गतिविधियां भी मूड को उसी तरह सुधार सकती है जैसे एंटी-डिप्रेशेंट दवाएं. जब दवाओं के साथ एक्सरसाइज़ की जाए तो कठिन इलाज से बेहतर काम करता है. इसलिए घर से बाहर निकलें. 10-15 मिनट की वॉक भी मूड को बेहतर कर सकती है.
2. छोटी-छोटी खुशियों में डूब जाएं- छोटी-छोटी परेशानियां अच्छे दिन को भी खराब कर सकती हैं. इन छोटी-छोटी परेशानियों को पहचानें. जैसे कि चाबियाँ खो जाना, पैर में ठोकर लगना या चिड़चिड़ा सहकर्मी मिलना. लेकिन इसका उल्टा भी सच है. छोटी-छोटी खुशियों में बड़ी खुशियां तलाश लें. शोध बताते हैं कि अगर हम रोजमर्रा की छोटी-छोटी सुखद चीजों पर ध्यान दें, तो हम अधिक खुश महसूस करते हैं. इसलिए जिस तरह आप शादी, बच्चे के जन्म या छुट्टियों की यादगार को संजोते हैं, उसी तरह दैनिक छोटे पलों को भी महत्व दें. जैसे कि बागवानी करना (गमलों में ही सही), धूप वाली खिड़की में बैठकर खुशबूदार चाय पीना, उत्साहजनक संगीत सुनना, दोस्तों और परिवार के साथ हंसना या मुलायम कंबल में लिपटकर किताब या पॉडकास्ट का आनंद लेना. छोटी सफलताओं का जश्न मनाएं. चाहे वह कोई प्रोजेक्ट हो या दिन का कोई लक्ष्य. हर दिन इन छोटे-छोटे पलों को महसूस करने की आदत डालें.
3. ऑप्शन के बोझ को कम करें- ऐसा लग सकता है कि ढेर सारे विकल्प होना अच्छा है, लेकिन असल में बहुत ज्यादा ऑप्शन बहुत मुश्किलें पैदा करती है. इसलिए कम विकल्प को चुनें और जल्दी से एक को फाइनल कर लें. हालांकि विकल्प ज़रूरी हैं, क्योंकि जीवन में नियंत्रण की भावना होनी चाहिए, लेकिन बहुत अधिक विकल्प होने पर पछतावे की संभावना भी बढ़ जाती है. इसी वजह से ध्यान और आत्मिक शांति वाले रिट्रीट में सीमित विकल्प दिए जाते हैं ताकि कम फैसले लेने पड़ें. इससे मानसिक बोझ भी कम होता है. इसका एक सरल उपाय यह है यदि कोई फैसला बहुत बड़े असर वाला नहीं है, तो उसे लेने के लिए समय सीमित कर दें या विकल्प कम रखें. एक बार फैसला हो जाए, तो उसे लेकर पछताना छोड़ दें. बड़ी बातों के लिए सोचने का समय रखें, लेकिन तब भी पीछे मुड़कर न देखें.
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