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Heart Attack in Young: अब वो जमाना गया जब सिर्फ बुजुर्गों में हार्ट अटैक होता था. आजकल 20-25 की उम्र में लोगों को हार्ट अटैक होने लगा है. आखिर ऐसा क्यों होता है, क्या है इसका कारण आइए इसके बारे में जानते हैं.

किसी को भी आ सकता है हार्ट अटैक.
Heart Disease in Young: पहले के जमाने में माना जाता था कि हार्ट की बीमारी 50-60 साल की उम्र के बाद ही होती है लेकिन आजकल 20-25 साल के लोगों को भी आप हार्ट अटैक से मरते हुए देखते हैं. एक्सपर्ट ने चेताया है कि अब हार्ट अटैक का उम्र से कोई वास्ता नहीं है. हार्ट अटैक अब किसी को भी हो सकता है, इसलिए युवाओं को सबसे ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है. कम उम्र में हार्ट अटैक के कई कारण है जिसमें सबसे ज्यादा लाइफस्टाइल की खराबी है. हाल के अध्ययनों से पता चला है कि खराब खान-पान, तनाव, हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं इसके लिए जिम्मेदार हैं. इसके अलावा, हमेशा बैठे रहने की आदत, स्मोकिंग, शराब का सेवन और मोटापा भी इस खतरे को बढ़ा रहे हैं. युवाओं में हार्ट डिजीज के मामले बढ़ने से स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंतित हैं.
कोलेस्ट्रॉल और बीपी सबसे बड़ी चुनौती
एक प्रमुख दवा कंपनी यूएसवी के अध्ययन में सामने आया कि युवा भारतीयों में हाई कोलेस्ट्रॉल का लेवल आम हो गया है. इस अध्ययन में लाइफस्टाइल और डायबिटीज से जुड़े ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन के उच्च स्तर को प्रमुख जोखिम बताया गया. एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि 35 से 45 साल की उम्र के लोगों में उच्च रक्तचाप की समस्या तेजी से बढ़ रही है. धूम्रपान, मोटापा, पारिवारिक इतिहास और शराब का सेवन इसके मुख्य कारण हैं. ये नतीजे बताते हैं कि अनियंत्रित डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं युवाओं में हार्ट डिजीज को बढ़ा रही हैं. पटना मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. उपेंद्र नारायण सिंह ने बताया कि 40 साल से कम उम्र के लोगों में हृदय रोग के मामले बढ़े हैं. भारत में यह समस्या विकसित देशों की तुलना में कम उम्र में और ज्यादा बार देखी जा रही है. इसका कारण आधुनिक जीवनशैली और तनाव के साथ-साथ खराब आदतें हैं.
हार्ट डिजीज को युवाओं में रोका जा सकता है
डॉक्टरों का कहना है कि अच्छी खबर यह है कि हार्ट डिजीज को रोका जा सकता है. अगर युवा समय रहते सही कदम उठाएं, तो वे अपने दिल को स्वस्थ रख सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले 20 की उम्र से ही रेगुलर चेकअप कराते रहना चाहिए. यह बहुत आसान और सस्ता है. इसके लिए सिर्फ लिपिड प्रोफाइल टेस्ट और शुगर पैनल टेस्ट हर छह महीने पर कराते रहना चाहिए. इससे पता चलेगा कि आपमें शुगर और हाई कोलेस्ट्रॉल का जोखिम तो नहीं है. अगर इसमें कोई गड़बड़ी है तो डॉक्टर अन्य टेस्ट करने की सलाह देते हैं. चूंकि इन बीमारियों में कोई लक्षण नहीं दिखता, इसलिए अगर आप टेस्ट करा लेते हैं तो हार्ट डिजीज की परेशानियों से बच सकते हैं. इससे बीमारी के जोखिम को दवा से रोका जा सकता है.
बिना दवा हार्ट डिजीज से बचने का तरीका
अगर आपकी लाइफस्टाइल सही है तो हार्ट डिजीज या शुगर होने का खतरा बहुत कम हो जाता है. इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है हेल्दी भोजन और रेगुलर एक्सरसाइज. रोज आधा से एक घंटा एक्सरसाइज करें. चाहे जैसा भी हो शरीर को हिलाएं-डुलाएं. हमेशा एक्टिव रहें. एक जगह देर तक न बैठें. अगर बैठने वाली नौकरी है तो वहां हर आधे-एक घंटे पर उठ जाएं और हिले-डुलें. सीढ़ियां चढ़े, रोज वॉक करें. इसके बाद खान-पान को सही करें. बाहर का फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड, शराब, सिगरेट आदि का सेवन न करें. भोजन में हर दिन कई तरह की सब्जियां और फल का सेवन करें. सीड्स, हरी सब्जियां, कई तरह के फ्रूट्स आदि का सेवन करें. इसलिए अपने दिल की सेहत के लिए आज से ही शुरुआत करें. (इनपुट-आईएएनएस)
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