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Agency:News18 Uttar Pradesh

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हस्तिनापुर में अब पर्यटक एक क्लिक में महाभारत कालीन मंदिरों का इतिहास जान सकेंगे. क्यूआर कोड के माध्यम से कर्ण मंदिर, पांडेश्वर मंदिर और द्रौपदी घाट जैसे प्रमुख स्थानों का इतिहास हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी में …और पढ़ें

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अब एक क्लिक में जान पाएंगे महाभारत कालीन मंदिरों का इतिहास

कर्ण मंदिर हस्तिनापुर

हाइलाइट्स

  • पर्यटक क्यूआर कोड से मंदिरों का इतिहास जान सकेंगे.
  • हस्तिनापुर महोत्सव में इस पहल की शुरुआत होगी.
  • क्यूआर कोड हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी में उपलब्ध होगा.

मेरठ: अगर आप भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ से 45 किलोमीटर दूर हस्तिनापुर में महाभारत कालीन धरती पर घूमने के लिए आ रहे हैं और विभिन्न ऐतिहासिक मंदिरों के दर्शन करना चाहते हैं, लेकिन इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आपको एक अच्छा गाइड मिल पाएगा या नहीं, तो आपके लिए अच्छी खबर है. अब हस्तिनापुर से संबंधित सभी महाभारत कालीन मंदिरों का इतिहास आप एक क्लिक के माध्यम से मिनटों में जान सकेंगे.
लोकल 18 से खास बातचीत में नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रियंक भारती ने बताया कि इसकी शुरुआत 6 फरवरी 2025 को हस्तिनापुर महोत्सव के साथ होगी.

सभी मंदिरों के बाहर लगेंगे क्यूआर कोड
प्रियंक भारती ने बताया कि नगर पंचायत और मेरठ जिला प्रशासन के सहयोग से हस्तिनापुर से संबंधित कर्ण मंदिर, पांडेश्वर मंदिर, द्रौपदी घाट, बूढ़ी गंगा के पुल और द्रौपदीश्वर मंदिर पर क्यूआर कोड लगाए जाएंगे. जिससे जो भी पर्यटक हस्तिनापुर घूमने आएंगे, वे डिजिटल इंडिया के तहत आधुनिक तकनीकी का उपयोग करते हुए क्यूआर कोड को स्कैन करते ही मंदिरों के इतिहास से रूबरू हो सकेंगे. उन्होंने बताया कि इसके लिए तीन भाषाओं हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी का सहारा लिया जाएगा, ताकि पर्यटक इन सभी इतिहासों को क्यूआर कोड के जरिये पढ़ सकें.

विभिन्न धार्मिक ग्रंथों से लिया गया है रिकॉर्ड
प्रियंक भारती ने बताया कि किसी भी ऐतिहासिक पहलू का अध्ययन करते समय सबसे जरूरी बात यह है कि उस विषय की सटीक जानकारी हो. इसलिए हस्तिनापुर से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में क्यूआर कोड लगाए जा रहे हैं. महाभारत, श्रीमद्भागवत गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने के बाद, किदवंतियों को भी शामिल करते हुए यह पूरा इतिहास क्यूआर कोड में शामिल किया गया है. इससे जो भी लोग यहां घूमने आएंगे, वे उन मंदिरों के ऐतिहासिक पहलुओं को जानकर 5000 साल पुरानी महाभारत कालीन सभ्यता के बारे में जान सकेंगे.

पुरातत्व विभाग करता है खुदाई
बता दें कि हस्तिनापुर में पुरातत्व विभाग द्वारा समय-समय पर टीलों पर खुदाई की जाती है, जिसमें आज भी ऐसी सामग्री प्राप्त होती है, जो हजारों साल पुरानी यादों को ताजा करती है. क्यूआर कोड लगाए जाने के बाद पर्यटकों को और भी ज्यादा फायदा होगा, जिससे पर्यटन के क्षेत्र में भी बढ़ावा देखने को मिलेगा.

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