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Agency:News18 Uttar Pradesh

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Aligarh Famous Handcuffs: यूपी के अलीगढ़ में खास तरीके की हथकड़ियां बनाई जार ही हैं. इन हथकड़ियों की मांग देश के साथ ही अब विदेशों में भी खूब हो रही है. इस हथकड़ी की गुणवत्ता और मजबूती का अंदाजा इससे लगाया जा स…और पढ़ें

अलीगढ़ की हथकड़ी का दुनिया में बज रहा डंका, 35 देशों के कैदी किए जा रहे काबू

यूपी के इस शहर की हथकड़ियां विदेशों में भी हैं मशहूर

हाइलाइट्स

  • अलीगढ़ की हथकड़ियां 35 देशों में निर्यात होती हैं.
  • अलीगढ़ की हथकड़ियां गुणवत्ता और मजबूती के लिए प्रसिद्ध हैं.
  • अलीगढ़ में 1932 से हथकड़ियों का निर्माण हो रहा है.

अलीगढ़: यूपी में अलीगढ़ का ताला और तालीम दुनियाभर में मशहूर है. हालांकि अब अलीगढ़ ने अपनी हथकड़ियों को लेकर पूरे दुनिया में खास पहचान बनाई है. अपने गुणवत्ता और मजबूती की वजह से यहां की हथकड़ी देश के साथ-साथ विदेशों में भी पसंद की जाती है. इस खास हथकड़ी की गुणवत्ता और मजबूती का अंदाजा इसकी विदेशों से डिमांड के आधार पर लगाया जा सकता है. हालिया सालों में तालों के साथ हथकड़ी की डिमांड विदेशों में बढ़ी है. इसे बनाने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.

इस खास हथकड़ी को बनाने के लिए उत्तम किस्म की धातु का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी वजह से हथकड़ी मजबूत होने के साथ इसमें जंग भी नहीं लगती है. इन्हीं खूबियों की वजह से अलीगढ़ में बनने वाली हथकड़ी कई देशों में काफी फेमस है. भारत के सभी राज्यों के साथ दुनिया के 35 देशों में अपराधियों को काबू में करने के लिए अलीगढ़ की हथकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. यहां की हथकड़ियां अंग्रेजों के समय से अलीगढ़ में बनाई जा रही हैं. अब तक 90 साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद इनके आकार और डिजाइन में कोई बदलाव नहीं हुआ है. दो, सवा दो, ढाई और पौने तीन इंच की माप में बनने वाली ये हथकड़ियां अलीगढ़ से देश-विदेश में भेजी जाती हैं.

93 साल से यहां बन रही हैं हथकड़ियां

अलीगढ़ के सराय मानसिंह इलाके में सोनपाल मिश्रा ने सन 1932 में सबसे पहले हथकड़ी और बेड़ियां बनाने का काम शुरू किया था. वह लोहे को ढालकर कुंडेनुमा हथकड़ी बनाते थे, जिसे खास तरह की पेंचदार चाबी से ही खोला जा सकता था. उनकी इस हथकड़ी को ‘फिक्स्ड हैंड कफ’ के नाम से जाना जाता था. सोनपाल मिश्रा के बाद उनकी तीसरी पीढ़ी के वंशज सुधांशु मिश्रा ने इस कारोबार को संभाला था. वह बताते हैं कि अंग्रेजों ने अपराधियों की कलाई का अध्ययन करने के बाद चार प्रकार की माप तय की थी, जो आज तक इस्तेमाल हो रही है.

हथकड़ियों के डिजाइन में हुआ है बदलाव

1970 के दशक में सोनपाल मिश्रा के बेटे उदय मिश्रा ने हथकड़ियों के डिजाइन में बदलाव किया. उन्होंने ‘यूके मॉड हैंडकफ’ का निर्माण शुरू किया. इसके लिए इंग्लैंड से हथकड़ी का नमूना मंगवा कर अलीगढ़ में तैयार किया गया. इस नए डिजाइन की हथकड़ी में ताले को कम या ज्यादा करने की सुविधा थी, जिससे कैदियों को थोड़ी राहत मिलती थी. साल 2010 में पुलिस विभाग की मांग पर हल्के वजन की हथकड़ियों का उत्पादन शुरू किया गया. ब्रिटेन की हिंजेस मॉडल की प्रेरणा से अलीगढ़ में ऐसी हथकड़ियां तैयार की गईं, जिनका वजन कम था और जो डबल लॉक सिस्टम से लैस थीं. ये हथकड़ियां कार्बन स्टील से बनती हैं और आज सबसे अधिक प्रचलित हैं.

यहां के हथकड़ियों की विदेश तक है मांग

भारत के सभी राज्यों में इस्तेमाल होने वाली अलीगढ़ की हथकड़ियां अब नेपाल, श्रीलंका, नाइजीरिया, केन्या, अमेरिका, मलेशिया समेत 35 देशों में निर्यात की जाती हैं. इन देशों में आरई मॉडल की हथकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि चीन, ताइवान और इंग्लैंड जैसे देशों में भी हथकड़ियों का उत्पादन होता है, लेकिन अलीगढ़ में बनने वाली हथकड़ियां अपनी गुणवत्ता और डिजाइन के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं. अलीगढ़ में बनने वाली हथकड़ियां न केवल भारत की न्याय प्रणाली का हिस्सा हैं. बल्कि विश्व के कई देशों में भी अपनी जगह बना चुकी हैं.

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अलीगढ़ की हथकड़ी का दुनिया में बज रहा डंका, 35 देशों के कैदी किए जा रहे काबू

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