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Manoj Muntashir New Video On Pahalgam Terrorist Attack Bhoolna Mat: मनोज मुंतशिर ने पहलगाम आतंकी हमले पर लगातार विरोध कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने 2:52 मिनट के वीडियो में पहलगाम में 22 अप्रैल मचे खूनी खेल क…और पढ़ें

‘अल्लाह-हू-अकबर बोलकर अपने माथे की बिंदी पोछी, भूलना मत…’, आतंकियों को लेकर ‘अपनों’ पर बरसे मनोज मुंतशिर!

मनोज मुंतशिर पहलगाम आतंकी हमले पर नाराजगी जाहिर की है.

हाइलाइट्स

  • मनोज मुंतशिर ने पहलगाम आतंकी हमले पर नया वीडियो शेयर किया.
  • इस वीडियो के साथ हर भारतीय को इस घटना को नहीं भूलने की बात की है.
  • ये भी भूल गए तो आगे भी तुम्हारे अपनों की चिंता ऐसी ही जलती रहेंगी: मनोज मुंतशिर

नई दिल्ली. मशहूर गीतकार और स्क्रिप्ट राइटर मनोज मुंतशिर शुक्ला ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर एक झकझोर देने वाला वीडियो शेयर किया है. एक वीडियो के जरिए वो इस घटना की पहले भी निंदा कर चुके हैं. अपने नए वीडियो को उन्होंने अपने ऑपिशियल एक्स हैंडल पर शेयर किया है, जिसका कैप्शन उन्होंने दिया है, ‘भूलना मत! पिछले वीडियो में उन्होंने पीएम मोदी को हिंदुओं का पिता बताते हुए बदला लेने की बात कही थी. अब उन्होंने 2:52 मिनट के वीडियो में पहलगाम में 22 अप्रैल मचे खूनी खेल के भयानक घटना को बयां किया है.

मनोज मुंतशिर अपनी बातों को अपने अंदाज में रखते हैं. पहलगाम में जो हुआ, वो उससे वो खासा दुखी हैं. हाल ही में उन्होंने इस वीडियो के साथ हर भारतीय को इस घटना को नहीं भूलने की बात की है. उन्होंने कड़े लहजे में कहा कि अगर ये भी भूल गए तो आगे भी तुम्हारे अपनों की चिंता ऐसी ही जलती रहेंगी.

नफरत ताकतवर नहीं, याददाश्त कमजोर है
मनोज मुंतशिर कहते हैं, ‘तुम भूल जाओगे, जैसे हम दिल्ली, मुर्शीदाबाद, कोलकाता भूले गए, पहलगाम भी भूल जाओगे. कल जो तड़प थी वो आज नहीं है. आज जो है वो कल नहीं होगी और फिर नफरत के नक्शे पर कोई और शहर खून से लाल कर दिया जाएगा. इसलिए नहीं कि नफरत बड़ी ताकतवर है, बल्कि इसलिए क्योंकि तुम्हारी याददाश्त कमजोर है, तुम भूल जाते हो. अपने बच्चों के लिए श्मशाम छोड़कर जाना चाहते हो तो ये वीडियो मत देखो, मुझे तुमसे कुछ नहीं कहना और अगर लगता है जिनको तुम दुनिया में लाए हो उनके लिए सुरक्षित दुनिया छोड़कर जाना तुम्हारा धर्म है, तो इस बार मत भूलना…

ईशानियां की मेहंदी से पहले मांग का सिंदूर छूट गया, भूलना मत
‘ईशानियां के हाथ से मेहंदी भी नहीं छूटी थी और मांग का सिंदूर छूट गया. उनके पति का नाम शुभम था, नीली शर्ट में थे शुभम जब उनको गोलियों से छल्ली कर दिया. 2 दिनों तक वो शर्ट पहनकर रोती रही, वो नीली शर्ट भूलना मत’.

अल्लाह-हू-अकबर बोलके अपने माथे की बिंदी पोछी, भूलना मत
‘पुणे के संतोष जगदाले जान बचाने के लिए अपनी पत्नी संगीता के साथ टेंट में जा छुपे. जिहादियों ने उन्हें खींचकर बाहर निकाला, खुद को और अपने परिवार को दहशत की गोलियों से बचाने के लिए अल्लाह-हू-अकबर बोलके अपने माथे की बिंदी पोछ ली, लेकिन उनकी आंखों के सामने संतोष को बेदर्दी से मार दिया गया, क्योंकि वो कलमा नहीं पढ़ पाई. एक सुहागन के माथे से उतरी वो माथे की बिंदी भूलना मत…’



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