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Weight Loss Diet Harm Intestine health: आजकल वजन कम करने के लिए लोग कई तरह की फालतू डाइट पर रहने लगते हैं जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. इन्हीं में से एक है फाड डाइट. एक स्टडी में पाया गया है कि फाड डाइट आतो…और पढ़ें

फाड डाइट से आंतों को बहुत नुकसान.
Weight Loss Diet Harm Intestine health: वजन कम करना कोई मैजिक नहीं. इसके लिए कई मोर्चे पर एक साथ काम करना होगा. कम खाना होता है, ज्यादा एक्सरसाइज करनी होती है और तनाव को कम करना होता है. लेकिन सोशल मीडिया पर वजन कम करने के लिए तरह-तरह के शॉर्ट-कॉर्ट डाइट के बारे में बताई जाती है कि इस डाइट से दो से तीन दिनों में 10 किलो वजन हो जाएगा कम तो इस चीज को खाने से इतना किलो वजन हो जाएगा कम. इसी तरह की एक डाइट है जिसे फाड डाइट कहा जाता है. इसमें तीन-चार दिनों तक सिर्फ जूस पर रहा जाता है. लेकिन आपको यदि वजन कम करना है तो ऐसा भूलकर भी न करिएगा क्योंकि सिर्फ जूस पर रहने से आंतों के अंदर का पूरा माइक्रोबायोम बर्बाद हो जाएगा जिसका असर बहुत दिनों तक आपके शरीर में तबाही मचाता रहेगा.
3 दिनों तक सिर्फ जूस डाइट
न्यूट्रिएंट्स जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया है कि जो लोग वजन कम करने के लिए या पेट को साफ करने के लिए सिर्फ जूस डाइट का सेवन करते हैं उसके पेट में अच्छे बैक्टीरिया की जगह खतरनाक बैक्टीरिया की भरमार हो जाती है. रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन में 14 लोगों को शामिल किया गया और उन्हें तीन समूहों में बांट दिया गया. पहले समूह को 3 दिन तक सिर्फ जूस डाइट पर रखा गया. दूसरे समूहों को मिक्स डाइट दी गई जबकि तीसरे समूह को प्लांट बेस्ड डाइट पर तीन दिनों तक रखा गया. अब इसके बाद इन सभी डाइट के आंत पर किस तरह प्रभाव पड़ा, इसके लिए जांच की गई. इसमें स्टूल और स्लाइवा की जांच की गई. इसके अलावा आंतों की अंदरुनी सेहत किस तरह की है, इसकी जांच की गई. इन सभी लोगों की नॉर्मल जांच फाड डाइट लेने से पहले भी कई गई थी और डाइट लेने के 14 दिन बाद भी की गई.
आंतों का पूरा माइक्रोबायोम बदल गया
जब जांच का परिणाम सामने आया तो शोधकर्ता हैरान हो गए.शोधकर्ताओं ने जांच में पाया कि जिन लोगों ने सिर्फ जूस डाइट ली थी उनके आंत में सूजन बनाने वाले बैक्टीरिया की संख्या में खरबों की वृद्धि हो गई. आंत का पूरा माइक्रोबायोम ही बदल गया. इससे पेट में इंफ्लामेशन बढ़ गया. रिसर्च पेपर में कहा गया कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जूस लेने के कारण पेट में सिर्फ हाई शुगर गया जबकि फाइबर बहुत कम हो गया. इतना ही नहीं जांच में यह भी पाया गया कि इन इंफ्लामेशन वाले बैक्टीरिया का सीधा असर दिमाग पर पड़ा. इससे बौद्धिक क्षमता में भी कमी देखी गई. यहां तक कि आंतों में पोषक तत्वों को अवशोषित करने की जो क्षमता होती है वह कम हो जाती है. इस डाइट के कारण आंतों की लाइनिंग में जो फिल्टर होती है वह कमजोर हो गया जिसके कारण भोजन से जो पोषक तत्व निकलकर खून में जाता था वह कम हो गया.
ऐसी डाइट से दूर रहे
रिसर्च में कहा गया कि जूस डाइट के कारण ओरल और गट माइक्रोबायोटा में भारी परिवर्तन आया. मतलब मुंह में और आंतों में जो सूक्ष्मजीवों का एक वातावरण था जिसमें अच्छे और बुरे दोनों तरह के सूक्ष्मजीव रहते थे, उनमें बुरे सूक्ष्मजीवों की संख्या ज्यादा हो गई. इससे इम्यूनिटी भी प्रभावित होती है. हालांकि सिर्फ तीन दिनों के प्रयोग से इस बात की पूरी तस्वीर सामने नहीं आती है लेकिन कमोबेश यह स्टडी इस बात पर जोर देती है कि वजन कम करने के लिए कोई शॉर्ट-कट डाइट नहीं है. इससे फायदा मामूली और नुकसान बहुत ज्यादा होता है. इसलिए बिना डॉक्टरों की सलाह से ऐसी डाइट से दूर रहें तो ज्यादा अच्छा है.
February 27, 2025, 14:11 IST
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