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Akhilesh Yadav News: 19 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को आगरा जाना है और जिस तरह से करणी सेना लगातार अखिलेश यादव का पूरे देश में विरोध कर रही है.

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव.
हाइलाइट्स
- आंबेडकर जयंती मनाएगी समाजवादी पार्टी.
- समाजवादी पार्टी की दलित वोट बैंक साधने की कोशिश
- पीडीए फॉर्मूले को 2027 तक खींचने का प्लान.
लखनऊः उत्तर प्रदेश में आगामी 2027 के चुनाव के नजदीक आने के साथ ही सियासी पार्टियां अपने हिसाब से वोट बैंक को साधने की कोशिश भी तेज कर रही हैं. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी , भारतीय जनता पार्टी के पिच पर जाकर बैटिंग नहीं करना चाहती है. भारतीय जनता पार्टी इससे पहले दर्जनों मुद्दों पर न सिर्फ मजबूत घेराबंदी कर चुकी है. बल्कि वह पिछले दिनों वक़्फ़ के मुद्दे पर भी घेराबंदी करती हुई नजर आई. समाजवादी पार्टी चाहती है कि भारतीय जनता पार्टी को जातिगत राजनीति के पिच पर खींच कर लाया जाए और शायद यही वजह है कि रामजीलाल सुमन के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी फ्रंटफुट पर आकर बल्लेबाजी कर रही है.
जातीय मुद्दे पर बीजेपी को घेरेगी सपा
19 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को आगरा जाना है और जिस तरह से करणी सेना लगातार अखिलेश यादव का पूरे देश में विरोध कर रही है, उससे समाजवादी पार्टी दो दो हाथ करना चाहती है. समाजवादी पार्टी जातीय मुद्दों पर न सिर्फ और आगे बढ़ना चाहती है बल्कि इस मुद्दे को 2027 तक खींचने की कोशिश कर रही है. समाजवादी पार्टी ने इस बार अंबेडकर जयंती को 8 अप्रैल से ही मनाना शुरू कर दिया है.
2024 के फॉर्मूले को अपनाएगी समाजवादी पार्टी
14 अप्रैल को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद भी लखनऊ स्थित हैं अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण के लिए जाएंगे और इस मुद्दे को उत्तर प्रदेश के तमाम जिले में फैलाना चाहते हैं. समाजवादी पार्टी इस बात को बखूबी जानती है कि जिस तरह से 2024 के विधानसभा चुनाव में PDA के फार्मूले पर उसने चुनाव लड़ा और उन्हें काफी बढ़कर सीटें मिलीं. ऐसे ही 2027 की विधानसभा चुनाव में भी मैदान में जाया जाए और शायद यही वजह है कि समाजवादी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को सांप्रदायिक मुद्दों से खींचकर जातिगत मुद्दों पर लाना चाह रही है.
रामजीलाल सुमन के बहाने वोट बैंक साधने की कोशिश
इस बीच रामजीलाल सुमन का जो घटनाक्रम हुआ उसके बाद समाजवादी पार्टी को लगने लगा कि यह मुद्दा न सिर्फ गरम है बल्कि दलित वोट बैंक को अपनी तरफ लाने के लिए सबसे बेहतर और शानदार मुद्दा है.
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