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आईसीसी की सिडनी पिच पर टेढ़ी नजर, 8 सेशन में खत्म हुआ मैच

सिडनी . डेड पिच के बारे में आपने बहुत सुना होगा पर बोलती पिच पिच के बारे में आपने कम सुना या देखा होगा . पर डेथ वॉरेंट वाली पिच कई साल बाद चर्चा में आती है .सिडनी की पिच को डेथ वॉरेंट वाली पिच की कैटगरी में आराम से रखा जा सकता है क्योंकि बाइस गज की पट्टी पर इतने अनगिनत सवाल थे जिसका कोई भी जवाब भारतीय टीम मैनेजमेंट के पास नहीं था.

पिच को लेकर सवाल सबसे पहले ग्रेट सुनील गावस्कर और पूर्व विकेटकीपर सबा करीम ने भी कई सवाल उठाए जिनमें सबसे बड़ा सवाल ये ही था कि कोई भी टेस्ट सिर्फ़ ढाई दिन में ख़त्म हो जाता है तो ये बहुत गंभीर बात है. पूर्व सेलेक्टर और क्रिकेटर ने तो यहां तक कह दिया कि ऐसी पिचों पर टेस्ट मैच खेलने का क्या फायदा जहां सिर्फ गेंदबाजों को एडवांटेज मिले. भारत में स्पिन होती पिचों पर हल्ला होता है तो सिडनी की पिच का लेकर सब खामोश क्यों है.

सिडनी की पिच से ऑस्ट्रेलिया भी सहमा

जिस पिच पर मेजबान टीम के बल्लेबाज़ भी सहम जाए चोट लगने का डर उनके पैर ना आगे जाने दे , हर गेंद पर आउट होने का दबाव हो और रन बनाने के लिए जूझना पड़े उस पिच पर सवाल तो उठने चाहिए . सिडनी टेस्ट में खेल तीसरे दिन लंच के तुरंत बाद ख़त्म हो गया . पहली पारी में भारत ने 72 ओवर बल्लेबाज़ी की . बाक़ी तीन पारियों में टीम 50 ओवर भी नहीं खेल पाई . चार पारियों में सबसे ज़्यादा 61 रन ऋषभ पंत ने बनाए .पूरे टेस्ट में सिर्फ़ दो अर्धशतक लगे और 34 विकेट गिरे जिसमें स्पिनर को सिर्फ़ 1 विकेट मिला . कोई भी टीम 200 का आँकड़ा भी पार नहीं कर पाई . आँकड़ों साफ़ है कि पिच पर बल्लेबाज़ी करना लगभग नामुमकिन था . टेस्ट मैच के तीसरे दिन की सुबह बोलंड की एक गेंद सुंदर के लेग स्टंप पर गिरी और सीम करके आफ स्टंप के बाहर गई तो तब कॉमेट्री कर रवि शास्त्री ने कहा कि ये तो तेज ऑफ स्पिन थी जिसको खेलना नामुमकिन था . पूरे मैच में ऐसी बातें आम हो चुकी थी .

चोट खाते रहे खिलाड़ी

मैच ख़त्म हो गया है भारतीय खिलाड़ियों के दिल में बड़ी चोट भी लगी है पर इससे पहले शारीरिक रूप से लगी चोट ने भी सभी बल्लेबाजों का आत्मविश्वास हिला दिया . राहुल , जायसवाल , पंत, सिराज सबके शरीर पर सिडनी के निशान हैं सिर्फ़ भारतीय बल्लेबाज नहीं ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को भी काफ़ी चोट लगी पर वो मैच जीत गए तो शायद उनका दर्द कम होगा .ऐसा नहीं है कि भारत मैच हार गया तो पिच ख़तरनाक नज़र आ रही है . और ज़रूरी नहीं कि कोई गंभीर रूप से चोटिल हो तभी पिच को डेंजर्स माना जाए . भारत में पिच ज़रूरत से ज़्यादा घूमती है तो पूरे दुनिया में हल्ला मच जाता है कि ऐसे पिच को डि मेरिट प्वाइंट दिया जाए उन लोगों से मेरा अब सवाल है कि सिडनी की पिच को बैन करना चाहिए या नहीं ..वैसे ऑस्ट्रेलिया भी क्रिकेट का पावरहाउस है मैच रेफरी को मैनेज कर लिया गया होगा पर सच तो यहीं है कि जिसनें भी नंगी आँखों से पिच देखा वो हाथ उठा कर बोलेगें कि अंडर प्रिपेयर्ड पिच पर मैच कराया गया जो एक ख़तरनाक कदम था.

Tags: Border Gavaskar Trophy, Gautam gambhir, ICC, India vs Australia, Jasprit Bumrah, Rohit sharma, Saba karim, Sunil gavaskar, Sydney Test, Virat Kohli

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