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Ghazipur News: शुभम श्रीवास्तव ने B.Tech के बाद मरीन इंजीनियर की नौकरी छोड़ भूगोल में मास्टर्स किया और JRF क्वालिफाई किया. अब वे भूगोल और AI का संगम कर रिसर्च करेंगे.

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इंजीनियर की नौकरी छोड़…गाजीपुर के शुभम ने पास की JRF की परीक्षा, अब AI की मदद से करेंगे रिसर्च

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AI इंजीनियर से भूगोल रिसर्चर तक: गाजीपुर के शुभम का कमाल का सफर!

: एक तरफ जहां युवा इंजीनियरिंग की नौकरी में ही संतुष्ट हो जाते हैं, वहीं गाजीपुर के रहने वाले शुभम श्रीवास्तव ने B.Tech की डिग्री लेने के बाद अपनी मरीन इंजीनियर की नौकरी (एक आईटी कंपनी) को अलविदा कहकर रिसर्च का रास्ता चुना. अब तक वो अपने करियर में पिछले दो साल से एक AI इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे, लेकिन UPSC की तैयारी के दौरान उन्हें यह एहसास हुआ कि उनकी असली रूचि भूगोल में है.

UPSC की तैयारी के लिए उन्होंने दिल्ली में तीन साल बिताए, लेकिन परीक्षा की तैयारी के दौरान उन्हें महसूस हुआ कि अगर सिविल सर्विसेज नहीं भी निकलता है, तो कम से कम किसी एक विषय में विशेषज्ञता जरूर हासिल करनी चाहिए.  इसी सोच के साथ उन्होंने गाजीपुर के सहजानंद कॉलेज से भूगोल में मास्टर्स किया.

फिर  उन्होंने UGC-NET की परीक्षा दी और JRF (Junior Research Fellowship) क्वालिफाई कर ली, जो भारत में रिसर्च की दुनिया में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है. शुभम अब भूगोल पर रिसर्च करेंगे और अपना ज्ञान तकनीक के साथ जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

शुभम बताते हैं कि भूगोल जैसे विषय में गहराई से पढ़ाई करना जरूरी होता है. उन्होंने कहा कि जब आप किसी विषय को डूबकर पढ़ते हैं, तब मॉक टेस्ट आसान लगने लगते हैं. पिछले 3–4 सालों के पेपर सॉल्व कीजिए, आपको पैटर्न भी समझ आएगा और कॉन्सेप्ट भी क्लियर होंगे.

AI इंजीनियर की पृष्ठभूमि होने के कारण वह Geospatial Data को भूगोल में इनोवेटिव तरीके से प्रयोग करना चाहते हैं. सामान्य भाषा में समझाते हुए. उन्होंने कहा कि  जैसे गंगा नदी की बात करें तो हम हर बार जाकर नहीं देख सकते कि पानी कितना है, गहराई कितनी है, गंदगी कितनी है.  AI की मदद से सैटेलाइट इमेज का विश्लेषण कर हम यह जान सकते हैं. इससे हमें गंगा की रियल टाइम हेल्थ रिपोर्ट मिल सकती है.

इस रिसर्च विज़न में उनके प्रोफेसर विलोक सिंह (सहजानंद कॉलेज) का अहम योगदान रहा. शुभम कहते हैं कि सर ने ही मुझे पहली बार बोला कि तुम्हारी विषय पर पकड़ है, तुम रिसर्च कर सकते हो. परिवार का सहयोग भी इस सफर में उनके लिए बेहद अहम रहा. जब उन्होंने COVID के समय नौकरी छोड़ दी थी, तो आर्थिक दबाव काफी था, लेकिन माता-पिता ने उनका साथ नहीं छोड़ा और उन्हें रिसर्च के रास्ते पर आगे बढ़ने का पूरा मौका दिया. आज शुभम श्रीवास्तव AI और भूगोल का अनूठा संगम बनाकर रिसर्च की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने के लिए तैयार हैं.

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इंजीनियर की नौकरी छोड़…गाजीपुर के शुभम ने पास की JRF की परीक्षा

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