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उत्तराखंड की फूलों की घाटी दुनियाभर में मशहूर है. इस वैली को देखने के लिए कई लोग महीनों से इंतजार कर रहे होंगे. अब ये इंतजार खत्म हो गया है. 1 जून से यह घाटी पर्यटकों के लिए खोल दी गई है लेकिन यहां जाने के लिए …और पढ़ें

इंतजार हुआ खत्म, फूलों की घाटी आपके स्वागत के लिए तैयार,  जानिए यहां जाने के लिए कितने रुपए में और कैसे मिलता है परमिट

बारिश में फूलों की घाटी बेहद खूबसूरत लगती है लेकिन ट्रैकिंग खतरनाक हो सकती है (Image-Canva)

हाइलाइट्स

  • फूलों की घाटी 1 जून से पर्यटकों के लिए खुली.
  • यहां जाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन परमिट लेना होगा.
  • भारतीयों के लिए परमिट फीस 200 रुपए है.

How to visit Valley of Flowers: फूल प्रकृति की ऐसी खूबसूरत देन हैं जिसे देखते ही लोगों के चेहरे खिल जाते हैं. कपल्स फूलों के जरिए ही अपने प्यार का इजहार करते हैं. पूजा हो, शादी हो या त्योहार हर शुभ काम फूलों के बिना अधूरा है. अगर आप एक साथ कई वैरायटी के फूल एक जगह देखना चाहते हैं तो उत्तराखंड के चमोली पहुंच जाएं. यहां पहाड़ों की गोद में बसी फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खोल दी गई है.

क्यों खास है फूलों की घाटी
वैली ऑफ फ्लावर्स या फूलों की घाटी किसी स्वर्ग से कम नहीं है. इस जगह को यूनेस्को ने वर्ल्ड हैरिटेज साइट घोषित किया हुआ है. यह जगह जून से अक्टूबर तक खुलती है और देश-दुनिया से हजारों लोग यहां पहुंचते हैं. यहां फूलों की 500 से ज्यादा प्रजातियां देखने को मिलती हैं. लाल, नीले, पीले, बैंगनी, गुलाबी समेत कई रंग के फूल पहाड़ों पर कारपेट जैसे बिछे हुए दिखते हैं. यहां कई दुर्लभ फूल और जड़ी बूटियां भी मिलती हैं. इतिहासकार मानते हैं कि पहले इस जगह पर भोटिया जनजाति के लोग रहते थे. इस वैली की खोज ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस. स्मिथ ने की. उन्होंने ही इस जगह की खूबसूरती को देखकर इसे वैली ऑफ फ्लावर्स का नाम दिया. उन्होंने इस जगह पर एक किताब भी लिखी. 

 प्रकृति प्रेमियों के लिए जन्नत
फूलों की घाटी समुद्र तल से करीब 3500 मीटर ऊंचाई पर है. यह जगह बेहद शांत है. लोग यहां प्रकृति की सुंदरता को देखने पहुंचते हैं. इस घाटी तक पहुंचने के लिए कई किलोमीटर तक चलना पड़ता है. लंबे सफर के बाद जब इस जगह पर लोग पहुंचते हैं तो सारी थकान कुछ सेकंड में ही दूर हो जाती है. नेचर लवर्स के लिए यह जगह जन्नत है. यहां कई जंगली जानवर भी घूमते हैं. फूलों की घाटी नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व में आती है. यहां रात में रुकने की इजाजत नहीं है.

यहां पहुंचने के लिए आरामदायक ट्रैकिंग शूज पहनें (Image-Canva)
घांघरिया से 5 किलोमीटर तक करनी होगी ट्रैकिंग
जो लोग इस घाटी तक पहुंचना चाहते हैं, उन्हें दिल्ली या दूसरी जगहों से पहले ऋषिकेश पहुंचना होगा. इस जगह से गोविंदघाट जाना होगा. यह ऋषिकेश से 270 किमी दूर है. फूलों की घाटी बद्रीनाथ धाम के पास है. यहां पहुंचने के लिए गोविंदघाट कस्बे से पुष्पावती नदी के किनारे भ्यूंडार के रास्ते घांघरिया पहुंचना होता है. घांघरिया में ही लोगों को होटल या गेस्ट हाउस मिल सकते हैं. यहां से फूलों की घाटी पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर का ट्रैक है. यानी इस वैली पर पहुंचने के लिए एक दिन आने-जाने में लग जाता है.

ऑनलाइन-ऑफलाइन मिलता है परमिट
फूलों की घाटी में जाने के लिए सरकार से परमिट लेना पड़ता है. इसके बिना आपको प्रवेश नहीं मिलता. परमिट ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से मिल सकता है. ऑनलाइन परमिट के लिए उत्तराखंड सरकार की ऑफिशियल साइट पर जाना होगा. https://valleyofflower.uk.gov.in पर आपको अपना आईडी फ्रूफ, फोटो और बाकी डिटेल अपलोड करनी होगी. ई-परमिट मिलते ही इसे मोबाइल पर सेव कर लें. साथ में प्रिंट भी निकाल लें. इसके लिए रजिस्ट्रेशन फीस भी जमा करनी होती है. भारतीयों के लिए यह फीस 200 रुपए और विदेशी पर्यटकों के लिए 800 रुपए है. वहीं आपको ऑफलाइन परमिट घांघरिया पहुंचकर फॉरेस्ट चेक पोस्ट से लेना होगा. यहां भी सारे डॉक्यूमेंट जमा करने होंगे.

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Aishwarya Sharma

Active in journalism since 2012. Done BJMC from Delhi University and MJMC from Jamia Millia Islamia. Expertise in lifestyle, entertainment and travel. Started career with All India Radio. Also worked with IGNOU…और पढ़ें

Active in journalism since 2012. Done BJMC from Delhi University and MJMC from Jamia Millia Islamia. Expertise in lifestyle, entertainment and travel. Started career with All India Radio. Also worked with IGNOU… और पढ़ें

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फूलों की घाटी जाने के लिए कितने रुपए में और कैसे मिलता है परमिट

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