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सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अधिकारी नरेंद्र नाथ धर दुबे के जीवन पर आधारित हालिया रिलीज फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ में अभिनेता इमरान हाशमी के साथ दीपक परमेश अहम भूमिका में नजर आ रहे हैं. फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ में इमरान के…और पढ़ें

शेयर किया शानदार अनुभव
हाइलाइट्स
- इमरान हाशमी के साथ काम करना दीपक का सपना था.
- दीपक ने फिल्म ग्राउंड जीरो से हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया.
- फिल्म ग्राउंड जीरो 25 अप्रैल 2025 को रिलीज हुई.
नई दिल्ली. फिल्म ग्राउंड जीरो हाल ही में 25 अप्रैल 2025 को रिलीज हुई है. ये फिल्म बीएसएफ ऑफिसर नरेंद्र नाथ धर दुबे की जिंदगी पर आधारित है, जिन्होंने 2003 में उस ऑपरेशन को लीड किया था जिसमें गाजी बाबा उर्फ राणा ताहिर नदीम मारा गया था. इस फिल्म में इमरान हाशमी लीड रोल में हैं, और उनके साथ अहम किरदार निभाया है एक्टर दीपक परमेश ने.
दीपक के लिए ये फिल्म काफी खास रही क्योंकि ये उनकी पहली हिंदी फिल्म है. इससे पहले वो साउथ इंडियन फिल्मों में काम करते रहे हैं. हिंदी फिल्मों में काम करने को लेकर वो पहले थोड़ा झिझक रहे थे, खासकर भाषा की वजह से. लेकिन ग्राउंड जीरो ने उन्हें वो आत्मविश्वास दिया जिसकी उन्हें जरूरत थी. उनका कहना है कि तमिल सिनेमा ने उन्हें एक एक्टर के तौर पर गढ़ा और अब वो हिंदी फिल्मों में भी खुद को साबित करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
इमरान के साथ काम करना सपने से कम नहीं
फिल्म में इमरान हाशमी के साथ काम करने के अनुभव को लेकर दीपक ने बताया कि इमरान बहुत ही मददगार और डाउन टू अर्थ इंसान हैं. उन्होंने कभी ये नहीं जताया कि वो कितने सीनियर एक्टर हैं. दीपक ने कहा कि इमरान को जब ये पता चला कि उन्हें हिंदी बोलने में थोड़ी परेशानी है, तो उन्होंने शूटिंग के दौरान उनका पूरा साथ दिया. साथ ही सेट पर माहौल भी हल्का और कंफर्टेबल बनाए रखा. दीपक ने कहा कि उन्होंने इमरान की फिल्में देखकर बड़े हुए हैं और उनके साथ काम करना किसी सपने के सच होने जैसा था.
फिल्म से काफी कुछ सीखा
फिल्म के डायरेक्टर तेजस प्रभा विजय देओस्कर के बारे में बात करते हुए दीपक ने कहा कि तेजस सर एक बहुत अच्छे डायरेक्टर हैं. वो कुछ थोपते नहीं बल्कि गाइड करते हैं. उन्होंने दीपक को उनके किरदार ‘बीनू’ को समझने और निभाने में बहुत मदद की. दीपक ने कहा कि इस फिल्म के दौरान उन्होंने एक एक्टर के तौर पर काफी कुछ सीखा. तेजस सर सेट पर हमेशा पॉजिटिव माहौल बनाए रखते थे और एक यथार्थवादी फिल्म बनाने की कोशिश कर रहे थे, जो उन्होंने ग्राउंड जीरो के जरिए कर दिखाया.
अब जब दीपक ने हिंदी सिनेमा में कदम रख ही लिया है, तो वो चाहते हैं कि आगे भी उन्हें ऐसी ही फिल्में मिलें जो असली और चुनौतीपूर्ण किरदारों से भरी हों. उन्हें गर्व है कि वो अब हिंदी सिनेमा की उस दुनिया का हिस्सा बन गए हैं जो अब ग्लोबल लेवल पर पहुंच चुकी है.
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