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Success story : कानपुर से बीटेक करने के बाद एक निजी कंपनी में जॉब करने लगीं. कोरोना काल में जॉब छोड़ी और घर आकर तैयारी करने लगीं. निकिता अब बाकियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं.

नितिका त्रिपाठी का परिवार
हाइलाइट्स
- गोंडा की निकिता त्रिपाठी का इसरो में चयन.
- कोरोना काल में जॉब छोड़कर घर पर तैयारी की.
- निकिता की सफलता युवाओं के लिए प्रेरणा है.
गोंडा. यूपी के गोंडा की एक लड़की ने इतिहास रच दिया है. घर पर तैयारी करके उसका सिलेक्शन Indian Space Research Organisation (इसरो) के असिस्टेंट के पद पर हो गया है. इसके लिए आईसीआरबी ने परीक्षा करवाई थी. लोकल 18 से बातचीत में नितिका त्रिपाठी कहती हैं कि बचपन से ही उन्हें कुछ बड़ा करने का शौक था. उनके बाबा हमेशा कहते थे कि ये लड़की कुछ बड़ा करेगी. निकिता ने अपनी स्कूली पढ़ाई गोंडा के रवि चिल्ड्रन एकेडमी में की. उसके बाद उन्होंने psit कानपुर से बीटेक की पढ़ाई की. उसके बाद एक निजी कंपनी में जॉब करने लगीं. कोरोना काल में जॉब छोड़कर घर पर आकर तैयारी करने लगीं. अब उनका सिलेक्शन इसरो में हो गया है.
समर्थन और सफलता
नितिका बताती हैं कि उनके बाबा हमेशा कहते थे कि ये लड़की कुछ बड़ा करेगी. परिवार के सहयोग और अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है. आईसीआरबी की ओर से आयोजित परीक्षा में उन्होंने सफलता पाई और अब उनकी नियुक्ति इसरो (बेंगलुरु) में हुई है. नितिका की सफलता से गोंडा में खुशी का माहौल है. उनकी कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं. निकिता ने ये साबित कर दिया कि सच्ची मेहनत और आत्मविश्वास से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.
कैसा रहा सपोर्ट
नितिका कहती हैं कि मेरे घर वालों का पूरा सपोर्ट रहा. मेरे भाई ने भी मेरा बहुत सपोर्ट किया है. मुझे जिस भी बुक की जरूरत पड़ती या मुझे किसी भी चीज की जरूरत पड़ती, वो मुझको लाकर देता था. पेपर देने जाना हो या कहीं और जाना हो, मैं उसी के साथ जाती. नितिका के पिता देवेश मणि त्रिपाठी बताते हैं कि वो पोस्ट ऑफिस बहराइच में नौकरी कर रहे हैं. नितिका ने जो किया है, अपनी मेहनत से किया है. नितिका की मां नीलम त्रिपाठी बताती है कि मैं हाउसवाइफ हूं. मेरे दो बच्चे हैं और दोनों जुड़वा हैं. हम लोगों ने पूरा सपोर्ट किया और वो आज इस मुकाम पर है.
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