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Fever Nut Health Benefits: क्या आपने कभी फीवर नट के बारे में सुना है या इसे खाया है? अगर पहली बार फीवर नट का नाम सुन रहे हैं तो जान लें कि इसे आयुर्वेद में बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि मानी गई है. फीवर नट को हिंदी में लताकरंज, पूतिकरंज कहा जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम कैसलपिनिया क्रिस्टा है. यह एक कांटेदार झाड़ी या बेल है, जो देश के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है. जानिए फीवर नट के फायदों के बारे में यहां.

फीवर नट के फायदे

-आयुर्वेद में लताकरंज के पत्तों, जड़, छाल और इसके कड़वे बीजों का औषधीय उपयोग किया जाता है. सुश्रुत संहिता में लताकरंज की जड़ का उपयोग बुखार, विशेषकर मलेरिया और अन्य प्रकार के विषम ज्वर और पेट के कीड़ों को कम करने के लिए किया जाता है. इसी कारण से शायद इसे ‘फीवर नट’ भी कहते हैं.

-चरक संहिता में कहा गया है कि लताकरंज के प्रयोग से मल त्यागने में आसानी होती है. वहीं, बवासीर में लताकरंज का उपयोग अलग-अलग तरीकों से किया गया है. इसके जड़, छाल, पत्ते आदि का उपयोग किया जाता है. इसके पत्तों को पीसकर रोगी को पिलाने से फायदा मिलता है.

‘फीवर नट’ के गुण विशेष, ज्वर का नाश करने वाली औषधि की फूल-पत्ती और जड़ में छिपा है कई समस्याओं का समाधान

-छोटे बच्चों को अक्सर पेट में कीड़े हो जाते हैं. इन कीड़ों को भगाने में लताकरंज बहुत लाभकारी है. इसके तेल को पिलाने से कीड़े मर जाते हैं.

-त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे दाद, खुजली, फंगल इन्फेक्शन और अन्य त्वचा विकारों में बहुत उपयोगी है. इसके पत्तों को पीसकर कनेर की जड़ के साथ मिलाकर लेप लगाने से लाभ मिलता है.

-उल्टी होने पर भी आप फीवर नट का सेवन कर सकते हैं. उल्टी होने पर इसके पाउडर को शहद में मिलाकर चाटने से आराम मिलता है. इसका चूर्ण और इसकी गोलियां बनाकर भी रख सकते हैं. उसका भी उपयोग उल्टियों को रोकने में किया जा सकता है.

-ये आंखों की समस्याओं, कान बहने जैसी स्थितियों में भी बेहद कारगर है.

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