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Urad Moong Farming Tips : पौधा हरी पत्तियों की मदद से भोजन बनाते हैं. इस रोग में हरी पत्ती खराब हो जाती है. इससे फसल को काफी नुकसान पहुंचता है. इसकी रोकथाम के लिए कई तरीके आजमाए जा सकते हैं.
सहारनपुर. यूपी के कई हिस्सों में खरीफ के सीजन में उड़द और मूंग की खेती बड़े स्तर पर की जाती है. इन दिनों उड़द और मूंग के पौधों के पत्ते पीले होते जा रहे हैं, जो किसानों के लिए बड़ी समस्या हैं. पीला मोजेक रोग, जो सफेद मक्खी जैसे कीटों से फैलता है, फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है. इसकी रोकथाम के लिए रोगग्रस्त पौधों को तुरंत हटाकर नष्ट करना, सफेद मक्खी की रोकथाम करना और प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करना चाहिए. नीम के तेल का इस्तेमाल भी इसे फैलने से रोकता है और उत्पादन को प्रभावित होने नहीं देता.
रोग लगते ही दिखने लगता है असर
सहारनपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ आईके कुशवाहा लोकल 18 से कहते हैं कि पीला मोजेक रोग का प्रसार रोग ग्रसित बीज से होता है. इसका द्वितीय संक्रमण कीट से फैलता है जो रस चूसने वाली सफेद मक्खी होती है. यह रोग खरीफ की फसल में मुख्यतः उड़द, मूंग और भिंडी में ज्यादा देखा जाता है. इसका रोग लगते ही पत्तियों पर पीले-पीले घेरे बन जाते हैं और धीरे-धीरे बढ़ते रहते हैं. जिन खेतों में इसका प्रकोप ज्यादा होता है, उनमें उत्पादन बहुत ही कम हो जाता है. पौधा हरी पत्तियों से ही भोजन बनाते हैं और जब हरी पत्ती पीली हो जाती है, तब सही से पौधे को भोजन नहीं मिल पाता. इससे उत्पादन प्रभावित होता है. बीज के माध्यम से आगे बोई जाने वाली फसल में भी इसका प्रकोप दिखता है.
नियंत्रण का सबसे आसान जुगाड़
पीला मोजेक रोग अगर किसी पौधे को लग जाए तो जब तक उस पौधे को नष्ट नहीं किया जाता तब तक यह बीमारी पूरी तरह से खत्म नहीं होती है. अगर किसानों को अपने उड़द, मूंग की फसल में पत्तों पर पीलापन दिख रहा है तो ऐसे पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें. जमीन में गड्ढा खोदकर दबा दें. ऐसा करने से यह रोग आगे फैलने से रुक जाता है. डॉ. आईके कुशवाहा बताते हैं कि पीला मोजेक रोग आने पर 10 हजार पीपीएम का नीम का तेल दो शैम्पो लेकर एक मिली लीटर मात्रा, एक लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव कर दें. 10 दिन के अंतराल पर इसके तीन छिड़काव करें. ऐसा करने पर पीला मोजेक रोग खत्म हो जाता है. नीम का तेल भी इसे रोकर सकता है.
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