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How Much Sleep You Need: हम अपनी ज़िंदगी का लगभग एक-तिहाई हिस्सा नींद में बिताते हैं. पहले इसे निष्क्रिय गतिविधि माना जाता था लेकिन अब विज्ञान ने साबित कर दिया है कि जब हम सोते हैं तभी हमारा शरीर अंदर से मरम्मत का काम करते रहता है. अध्ययनों से यह पता चला है कि सोने के दौरान ही हमारा मस्तिष्क कई तरह की गतिविधियों में लगा रहता है, जिनका हमारे स्वास्थ्य और भलाई पर गहरा असर होता है. इसका मतलब यह है कि नींद सिर्फ होश में नहीं रहने भर की स्थिति नहीं है, बल्कि यह एक सक्रिय और मेटाबोलिक स्थिति है. इसलिए जिस तरह सेहत के लिए संतुलित पोषण और पर्याप्त व्यायाम जरूरी है उसी तरह अच्छे स्वास्थ्य के लिए नींद भी जरूरी है. पर हमें एक दिन में कितनी नींद की जरूरत है. आइए इसके बारे में जानते हैं.
हमें कितनी नींद चाहिए?
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक हर व्यक्ति को कितनी नींद चाहिए यह उसके शरीर और कार्यशैली पर निर्भर करता है. नींद कितनी होनी चाहिए यह लिंग,जीन, जीवनशैली, शरीर की स्थिति, काम करने की क्षमता आदि पर निर्भर करता है. नींद की चार अवस्थाएं होती हैं. इन चारों अवस्थाओं से गुजरना जरूरी है. समय के साथ-साथ नींद की गुणवत्ता भी जरूरीहै. नींद की गुणवत्ता इस पर भी निर्भर करती है कि नींद के सभी चरण पूरे हो पा रहे हैं या नहीं. यह तभी संभव होता है जब मस्तिष्क रातभर नींद के चक्रों को अच्छी तरह से व्यवस्थित और पूरा कर सके. इसलिए समय के अलावा नींद कितनी सुकून से आती है, यह महत्वपूर्ण है क्योंकि नींद की गुणवत्ता जरूरी है.
किस उम्र में कितनी नीदं
बच्चे (3-5 वर्ष): रोज़ाना 10-13 घंटे- हेल्दी ग्रोथ और अच्छी सेहत के लिए बच्चों को हर दिन 10-13 घंटे की नींद चाहिए.इसमें दिन में झपकी भी शामिल हो सकती है.
बच्चे (6-13 वर्ष): रोज़ाना 9-12 घंटे- इस उम्र के बच्चों को पर्याप्त नींद दिलाने से ध्यान,व्यवहार, सीखने, याददाश्त और भावनात्मक नियंत्रण में सुधार देखा गया है. इसका कारण यह हो सकता है कि इस उम्र में बच्चे ज़्यादा समय गहरी नींद में बिताते हैं.
किशोर (14-17 वर्ष): रोज़ाना 8-10 घंटे-इस उम्र में नींद की कमी का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि वे सोने से पहले कृत्रिम रोशनी के संपर्क में अधिक आते हैं. साथ ही हार्मोनल बदलाव उनके शरीर को देर रात सोने की ओर झुका सकता है, जिससे सुबह की रोशनी का लाभ नहीं मिल पाता. स्कूल के समय और नियमों के कारण नींद की कमी हो सकती है. तय समय पर सोना आरईएम नींद को सपोर्ट करता है.
युवा (18-25 वर्ष): रोज़ाना 7-9 घंटे-इस उम्र के लोग किशोरों की तरह ही ज़्यादा नींद की ज़रूरत महसूस कर सकते हैं, खासकर अगर नींद की कमी की भरपाई करनी हो तो. देर रात तक मोबाइल चलाना, एक्सरसाइज की कमी और कैफीन ज़्यादा लेने से नींद में खलल आती है. इन सबसे नींद कम होती है.
वयस्क (25-65 वर्ष): रोज़ाना 7-8.5 घंटे-इस उम्र के लोगों को काम का तनाव, सामाजिक ज़िम्मेदारियां और पारिवारिक जिम्मेदारियों से जूझना पड़ता है, जिससे नींद बाधित हो सकती है. इस उम्र में नींद के दौरान पहले चरण से जागना सामान्य है, जिससे गहरी नींद की सुरक्षा होती है. उम्र बढ़ने पर यह सुरक्षा कम हो जाती है.
वरिष्ठ नागरिक (65 वर्ष से ऊपर): रोज़ाना 7-8.5 घंटे- बढ़ती उम्र के साथ सोना और नींद बनाए रखना कठिन हो जाता है. इस उम्र में नींद की प्रवृत्ति सुबह जल्दी उठने और जल्दी सोने की ओर हो जाती है. इस उम्र में नींद का कुल समय ठीक हो सकता है लेकिन नींद की गुणवत्ता बार-बार जागने के कारण प्रभावित हो सकती है.
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