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Prevention of Depression: अगर कोई भारी खालीपन में जी रहा है, उसे किसी चीज पर फोकस करने में दिक्कत हो रही है, एनर्जी का बहुत अभाव हो गया है तो इसका मतलब कि वह व्यक्ति अवसाद की चपेट में आ गया है.इससे बाहर निकलना …और पढ़ें

एनर्जी का अभाव, खालीपन, फोकस में कमी, कहीं आप अवसाद में तो नहीं, 7 लक्षणों को पहचानकर जानें इससे बचने के टिप्स

डिप्रेशन के लक्षण.

हाइलाइट्स

  • अवसाद में एनर्जी की कमी और फोकस की समस्या होती है.
  • अवसादग्रस्त व्यक्ति को मानसिक डॉक्टर से दिखाना चाहिए.
  • परिवार का प्यार और समर्थन अवसाद से उबरने में मदद करता है.

Prevention of Depression: जब तनाव चरम सीमा पर पहुंच जाए और यह लगातार महीनों तक जारी रहे तो इससे अवसाद होता है. अवसाद किसी भी व्यक्ति को मानसिक रूप से खोखला बना देता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दुनिया में 5 प्रतिशत वयस्क आबादी किसी न किसी तरह से अवसाद से ग्रस्त हैं. अवसाद वाला व्यक्ति किसी भी काम को सही से नहीं कर पाते हैं. वह अपनी जीवन में हमेशा निराशावादी सोच रखते हैं और खालीपन की दुनिया में डूबे रहते हैं. ऐसे लोग बॉडी में एनर्जी फील नहीं करते और किसी चीज पर फोकस नहीं कर पाते हैं. यह बहुत ही विकट परिस्थिति है. द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड चिल्ड्रेन 2021 ऑन माय माइंड की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अवसाद से ग्रस्त मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 15 से 24 साल की आयु के बीच के 41 प्रतिशत बच्चों और किशोरों ने अवसाद की बात स्वीकार की. यह हैरान करने वाले आंकड़े हैं. ऐसे में अवसाद की समस्या से कैसे निपटें यह जानना जरूरी है.

अवसाद को पहचानें कैसे
हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति अवसाद में आ गया है तो वह हमेशा चिंता में डूबा रहेगा. उसे लगेगा हर तरफ से कुछ न कुछ बुरा होने वाला है. वे बात-बात में आंसू निकाल सकते हैं. उन्हें भविष्य की चिंता सताने लगती है. हर ओर से निराशावादी भावनाएं मन के अंदर ज्यादा आती है. ऐसे लोग अपने जीवन में खालीपन का अहसास करते हैं और हमेशा किसी न किसी तरह के अपराधबोध से ग्रस्त रहते हैं. ऐसे लोग दूसरों के साथ समय बिताने से कतराते हैं. इन्हें दूसरों के साथ बातचीत करने में भी दिक्कत होती है. यह व्यक्ति बहुत आसानी से अपसेट हो जाता हो और जल्दी इरीटेट भी हो जाता है. ऐसे व्यक्तियों में एनर्जी का अभाव दिखता है. चलने में यह बहुत धीरे-धीरे चलता है. ऐसे व्यक्ति केयरलेस भी हो जाता है. हर चीज को अस्त व्यस्त कर रखते हैं. अपनी उपस्थिति को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं होती. सोने में भी दिक्कत होती है या तो बहुत ज्यादा सोते हैं या बहुत कम सोते हैं. किसी चीज फोकस नहीं कर पाते. या तो बहुत खाना खाते हैं या कम खाते हैं. मौत में दिलचस्पी ज्यादा होने लगती है.

ऐसे लोग कैसे अवसाद से निकलें
सबसे पहली बात तो यह है कि जो अवसाद में होता है उसे खुद पता नहीं रहता कि वह अवसाद में है. अगर पता भी रहता है तो बहुत शुरुआती दौर में. दूसरी बात कि भारत में अधिकांश लोगों को पता नहीं है कि यह बीमारी है. ऐसे में जो लोग जागरूक हैं, उन्हें ऐसे व्यक्तियों की मदद करनी चाहिए. जैसे ही ये लक्षण दिखें उन्हें मानसिक डॉक्टर से दिखाना चाहिए. उनके व्यवहार का जवाब कभी भी सख्ती से नहीं देना चाहिए. दरअसल, उन्हें अगर सम्मान और प्यार दिया जाए तो अवसाद से वापस आ सकते हैं. सबसे पहले परिवार को चाहिए कि उनका ख्याल रखें. उनके दिमाग में हमेशा सकारात्मक चीजें भरें. उन्हें भावनात्मक रूप से प्यार करें. उनके हर काम में सहायता करें ताकि लगे कि उनके साथ कोई है. हमेशा परिवार को चाहिए कि ऐसे लोगों के साथ रहें. इन एहतियाती कदम से अवसादग्रस्त इंसान नॉर्मल हो सकता है.

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एनर्जी का अभाव, खालीपन, फोकस में कमी, कहीं आप अवसाद में तो नहीं

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