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टीओआई की खबर में डॉ. अरुण एल नाइक बताते हैं कि भारत में जहां दिल की सेहत पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है लेकिन दिमाग की सेहत अक्सर नजरअंदाज हो जाती है. सच्चाई यह है कि भारत में स्ट्रोक और डिमेंशिया चुपचाप बढ़ रहे हैं. एक अध्ययन के अनुसार भारत में स्ट्रोक से जुड़ी अक्षमता लगातार बढ़ रही है और डिमेंशिया की शुरुआत अब 40 की उम्र के लोगों में भी देखी जा रही है. इसके पीछे माइक्रोन्यूट्रेंट्स की कमी है. ये सूक्ष्म पोषक तत्व अगर शरीर में कम हो जाएं तो यह चुपचाप दिमाग की सुरक्षा को कमजोर कर सकते हैं. भोजन को हम इतना खराब कर देते हैं कि ये तत्व हमतक पहुंचता ही नहीं है. जैसे अधिकांश लोग पॉलिस किया हुआ चावल खाते हैं जिसकी वजह से माइक्रोन्यूट्रेंटस की कमी हो जाती है. दूसरा साग-सब्जी उतना नहीं खाते. इससे भी माइक्रोन्यूट्रेंट्स की कमी हो जाती है.
इन माइक्रोन्यूट्रेंट्स की होती है कमी
मैग्नीशियम दिमाग की रक्षा करने वाला एक जरूरी मिनरल है. यह ब्लड प्रेशर को सही बनाए रखने, नसों के कार्य को बेहतर करने और दिमाग में होने वाली सूजन को कम करने में मदद करता है. यह सूजन ही स्ट्रोक और डिमेंशिया की एक मुख्य वजह है. भारत में मैग्नीशियम की कमी आम है. 2021 की ICMR द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार ज्यादातर भारतीय पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम नहीं लेते. इसका कारण पॉलिश किया हुआ चावल खाना और मेवे तथा हरी पत्तेदार सब्जियों का कम सेवन है.
पालक की सब्जी या पालक का सूप बनाकर सेवन करें.
भुने हुए बादाम और कद्दू के बीज को जब भी मन करें एक-दो दिन पर अवश्य खाएं.
ब्राउन राइस या साबुत दालों वाली खिचड़ी खाएं. चावल पॉलिस वाला नहीं होना चाहिए.
एवोकाडो और केला कभी भी खा सकते हैं. केला अगर एक भी खा लेंगे तो काम बन जाएगा.
डार्क चॉकलेट से भी मैग्नीशियम की कमी दूर हो सकता है. इसमें 85% कोको होता है.
इन चीजों को नियमित खाने में शामिल करने से मैग्नीशियम का स्तर धीरे-धीरे बेहतर हो सकता है और यह दिमाग व रक्त नलिकाओं को सुरक्षा दे सकता है.
2. डीएचए (DHA)
डीएचए को कैसे प्राप्त करें
समुद्री शैवाल, नोरी शीट्स, अल्गल ऑयल का इस्तेमाल से भी डीएचए की कमी पूरी हो सकती है. हालांकि यह समुद्री इलाकों में होते हैं.
इसके साथ अंडा डीएचए को प्राप्त करने का सबसे सस्ता तरीका है. अगर आप देशी अंडों की जर्दी रोज एक खा लें तो आसानी से डीएचए मिल सकता है.
हफ्ते में दो बार मछली खाना या अल्गल ऑयल का इस्तेमाल करना इस कमी को पूरा कर सकता है. खासकर शहरी लोगों में जहां मानसिक तनाव ज्यादा होता है.
3. क्रिएटिन
अरुण एल नाइक के अनुसार क्रिएटिन दिमाग के ऊर्जा संतुलन के लिए जरूरी है. दिमाग की कोशिकाएं अपनी ऊर्जा बनाए रखने के लिए क्रिएटिन का इस्तेमाल करती हैं. इसकी कमी से दिमाग की गति धीमी हो सकती है और स्ट्रोक व उम्र संबंधी नुकसान को रोकता है.
शाकाहारी और कम प्रोटीन खाने वाले लोग सामान्य रूप से क्रिएटिन की कमी से ग्रस्त हो सकते हैं, भले ही वे खुद को स्वस्थ मानते हों.
इसके लिए मटन-चिकन सबसे बेहतरीन स्रोत है लेकिन आप अंडे और डेयरी उत्पाद से भी इसे प्राप्त कर सकते हैं.
सप्ताह में आप दो दिन भी चिकन-मटन खा लें तो क्रिएटिन की कमी नहीं होगी.
4. विटामिन बी कॉम्प्लेक्स
विटामिन बी कॉम्पलेक्स में कुल 8 विटामिन होते हैं. B1 से B12 तक. ये सारे विटामिन दिमाग में अलग-अलग काम करते हैं. यह न्यूरोट्रांसमीटर को नियंत्रित करता है, होमोसिस्टीन नामक खतरनाक एमीनो एसिड को कम करता है और दिमाग की नसों की सुरक्षा करता है. इनमें से सबसे ज्यादा चिंता की बात विटामिन B12 की कमी है. एक अध्ययन में पाया गया कि लगभग 47 प्रतिशत शहरी भारतीयों में B12 की कमी है. जो लोग मटन और दूध के कम सेवन करते हैं उसमें यह कमी ज्यादा होता.
सबसे पहले यह ध्यान दें कि विटामिन बी पानी में घुलनशील विटामिन है. इसलिए विटामिन बी वाले स्रोत को पानी में साफ तो करें लेकिन पानी में देर तक न छोड़ें वरना इससे विटामिन बी निकल जाएगा. विटामिन बी के लिए आप दूध, अंडे, मशरूम, दालें, शकरकंद, पालक, केले, खट्टे फल और बीज का पर्याप्त सेवन करें.यह मांस और मछली से भी प्राप्त हो सकता है लेकिन भारत में ज्यादातर लोग मांस-मछली का सेवन नहीं करते हैं. इसलिए शाकाहारी चीजों से इसे प्राप्त करें. विटामिन बी की कमी जल्दी नजर नहीं आती लेकिन समय के साथ यह याददाश्त और सोचने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती है.
5. विटामिन डी
भारत में पर्याप्त धूप है, इसके बावजूद विटामिन डी की कमी यहां आम है. विटामिन डीदिमाग के लिए एक हार्मोन की तरह काम करता है. यह दिमाग के विकास में मदद करता है, सूजन को कम करता है और मूड को बेहतर बनाता है. हाल के अध्ययनों में यह साफ हुआ है कि विटामिन डी की कमी से अल्जाइमर और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है.फिर भी भारत में लगभग 80 प्रतिशत लोग विटामिन डी की कमी से पीड़ित हैं. शहरी जीवनशैली, सनस्क्रीन और घर में रहने की आदत इसका कारण है.
विटामिन डी की कमी के लिए रोज 20 मिनट खुली धूप में रहना सबसे जरूरी है. विटामिन डी के लिए खाने-पीने की बहुत कम चीजें होती है. इसके लिए तेल वाली मछलियां, अंडे की जर्दी और मशरूम उत्तम स्रोत है. इसके अलावा फोर्टिफाइड दूध और अनाज से भी विटामिन डी प्राप्त किया जा सकता है.
(डिस्क्लेमर: यह लेख एम्स नई दिल्ली के न्यूरोसर्जन डॉ. अरुण एल नाइक की सलाह और वैज्ञानिक जानकारी पर आधारित है. इसका उद्देश्य केवल जानकारी देना है,यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है.)
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