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Virat Kohli Heart Beat: क्या आपने विराट कोहली का संडे वाला मैच देखा है. अगर देखा हो तो आपने वो दो रन लेने में उनकी गति पर ध्यान दिए हैं. चीते की तरह चाल के बाद उनका हार्ट बीट इतना बढ़ गया कि विकेटकीपर संजू सैमस…और पढ़ें

ऐसा सिर्फ विराट कोहली ही कर सकते हैं, इतनी भीषण गर्मी में आपका करना असंभव, करेंगे तो…

विराट कोहली जयपुर में मैच के दौरान संजू सैमसन से हार्ट बीट चेक करवाते हुए. फोटो साभार -X

Virat Kohli Heart Beat: वो जयपुर की भीषण गर्मी थी. देश के बाकी हिस्सों से कहीं ज्यादा गर्मी वाली जगह. उसमें भी दिन का आईपीएल मैच चल रहा था. राजस्थान रॉयल और रॉयल चैलेजर्स बेंगलुरु के बीच महासंग्राम चल रहा था. राजस्थान रॉयल ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 173 रन की पारी खेली. जवाब में खेलने उतरी रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम जिसमें सिरमौर थे महान बल्लेबाज कोहली. जयपुर की भीषण धूप में पिछले तीन घंटे से कोहली मैदान पर थे और 15वें ओवर में विराट कोहली ने दो रन लेने के लिए चीते वाली ऐसी चाल चली कि अच्छे-अच्छे का होश उड़ जाए. लेकिन इसके बाद अचानक कोहली ने विकेटकीपर संजू सैमसन से हार्ट बीट चैक करने को कहा. मैदान पर सन्नाटा पसर गया. लोगों को लगा कि कई अनहोनी तो नहीं हो गई लेकिन ये विराट कोहली है. इस काम को सिर्फ कोहली ही कर सकते हैं अगर आपने इस तरह की चीते की रफ्तार पकड़ी तो हार्ट अटैक को बुलावा दे सकते हैं. इसके कई कारण है. आप ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं इस बारे में फोर्टिस अस्पताल, नई दिल्ली में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी बता रहे हैं.

विराट कोहली का हार्ट क्यों देता है साथ
डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि आमतौर पर एथलीट को खुद को इस तरह ट्रेन करते हैं जिससे बढ़े हुए हार्ट बीट को काबू करना आसान होता है. इसे कार्डियो पल्मोनरी ट्रेनिंग कहते हैं. जैसे-जैसे हमारी ट्रेनिंग बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे हार्ट की ट्रेनिंग बढ़ती जाती है. जब हमलोग नॉर्मल काम करते हैं तब हार्ट को नॉर्मल ब्रीदिंग की जरूरत पड़ती है. ब्लड सप्लाई बढ़ाने के लिए दो चीजों की जरूरत है. स्ट्रोक वॉल्यूम बढ़ाना होता है. स्ट्रॉक वॉल्यूम का मतलब होता है कि एक बार में हार्ट कितनी मिलीलीटर ब्लड को पंप कर सकता है. यानी ब्लड को पंप करने की हार्ट की क्षमता. दूसरा है हार्ट रेट. जो एथलीट होते हैं वह अपने आप को ट्रेन कर रखते हैं इसलिए उनमें स्ट्रॉक वॉल्यूम काफी ज्यादा होता है. इसकी वजह से हार्ट रेट कम की जरूरत होती है. यानी उदाहरण के लिए मान लीजिए कि कोई सामान्य व्यक्ति को अगर दौड़ते समय हार्ट बीट 200 तक पहुंच जाए तो वह बेहोश हो जाएगा लेकिन एथलीट में इतना हो जाए तो भी वह आसानी से दौड़ पाएगा. जब एथलीट को विपरीत परिस्थितियों में बहुत तेज दौड़ने या भागने की जरूरत होती है तो ऐसे माहौल में उनकी पहले की ट्रेनिंग काम आती है. ऐसे में जब उसे एक्सट्रीम कंडीशन में काम करना पड़े तो इसे हालात में उनका स्ट्रॉक वॉल्यूम और हार्ट बीट दोनों साथ देते हैं. यानी स्ट्रॉक वॉल्यूम ज्यादा और हार्ट बीट कम रहता है. यही कारण है कि जब संजू सैमसन से विराट कोहली की छाती को चेक किया तो कहा भाई सब कुछ नॉर्मल है. इसके बाद विराट कोहली ने फिर से खेलना शुरू किया और कुल 62 रन बनाएं.



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