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Chitrakoot News: चित्रकूट के बांभिया गांव में रवि सिंह ने शिक्षा में क्रांति लाई है. पहले डकैतों के खौफ से डरने वाला गांव अब स्मार्ट क्लास और अंग्रेजी माध्यम से प्रेरणा बना है. रवि सिंह को कई पुरस्कार मिले हैं.

क्लास में पढ़ाई करते बच्चे
हाइलाइट्स
- रवि सिंह ने बांभिया गांव में शिक्षा में क्रांति लाई है.
- बांभिया गांव के बच्चे अब फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं.
- रवि सिंह को शिक्षा के क्षेत्र में कई पुरस्कार मिले हैं.
चित्रकूट: चित्रकूट जिले के मानिकपुर ब्लॉक में स्थित बांभिया गांव, जो पहले डकैतों के खौफ के लिए जाना जाता था, अब शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रेरणा बन गया है. एक समय था जब गांव वाले घर से बाहर निकलने से भी डरते थे, लेकिन समय के साथ अब यहां कई चीजों में बदलाव आया है, खासकर शिक्षा के क्षेत्र में ज्यादा बदलाव देखने को मिला है आज यहां सरकारी स्कूल के बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं. इस बदलाव का श्रेय जाता है, गांव के प्राथमिक विद्यालय के प्रेरणास्रोत अध्यापक रवि सिंह को.
अंग्रेजी मीडियम सरकारी स्कूल
बांभिया गांव का यह प्राथमिक विद्यालय किसी निजी कॉन्वेंट स्कूल से कम नहीं है. स्मार्ट क्लास, डिजिटल लर्निंग और अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा जैसे तमाम आधुनिक संसाधनों से सुसज्जित यह स्कूल आज ग्रामीण शिक्षा का एक इंस्पिरेशन सेंटर बन चुका है. लेकिन यह सब एक दिन में नहीं हुआ. जब 2016 में रवि सिंह की ज्वाइनिंग इस स्कूल में हुई थी, तब स्कूल की स्थिति बहुत खराब थी. बच्चे स्कूल नहीं आते थे, और जो आते थे, उन्हें पढ़ाई में कोई रुचि नहीं थी. मगर रवि सिंह ने इस स्थिति को एक चुनौती के रूप में लिया और इसे बदलने की ठानी.
घर-घर जाकर किया प्रेरित
रवि सिंह ने बच्चों के माता-पिता से संपर्क करना शुरू किया. उन्होंने घर–घर जाकर लोगों को शिक्षा के महत्व को समझाया. गांव के अधिकांश अभिभावक अनपढ़ थे और उन्हें कभी उम्मीद नहीं थी कि उनके बच्चे अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे. लेकिन रवि सिंह की बातों और उनके समर्पण ने धीरे-धीरे पूरे गांव का माहौल बदल दिया.
स्मार्ट क्लास से शिक्षा को बनाया रोचक
रवि सिंह ने बच्चों की शिक्षा को प्रभावी और रुचिकर बनाने के लिए विदेशी तर्ज पर स्मार्ट क्लास बनाया. इसके लिए उन्होंने खुद के प्रयासों से तकनीकी संसाधनों की व्यवस्था की. बच्चों को पठन-पाठन सामग्री, स्टेशनरी और डिजिटल डिवाइस प्रदान किए गए. साथ ही, दूरदराज से आने वाले बच्चों के लिए वाहन सुविधा शुरू की, ताकि बच्चों को स्कूल आने-जाने में कोई परेशानी न हो. रवि सिंह ने बच्चों को केवल किताबों तक सीमित नहीं रखा. उन्होंने उन्हें समग्र विकास का अवसर दिया, जैसे कि स्कूल टूर, पिकनिक के अलावा अन्य एजुकेशनल एक्टिविटीज के माध्यम से बच्चों में आत्मविश्वास और व्यावहारिक समझ को बढ़ावा दिया.
सम्मान और पुरस्कारों से मिला हौसला
रवि सिंह की मेहनत को देखते हुए उन्हें 2018-19 में बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश द्वारा सम्मानित किया गया. इसके बाद, उन्हें 2019 में राज्य अध्यापक पुरस्कार भी मिला. उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से 73 जिलों के शिक्षकों की सूची में रवि सिंह का नाम शामिल होने से यह साबित होता है कि उनके प्रयासों का कितना अच्छा असर पड़ा. अब बांभिया गांव का हर अभिभावक अपने बच्चे को स्कूल भेजने पर गर्व महसूस करता है. यहां के बच्चे अब डॉक्टर, इंजीनियर और अफसर बनने के सपने देखने लगे हैं.
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