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Wearable Technology: कार्नेगी मेलोन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने वीआर/एआर तकनीक से तनाव प्रबंधन का अभ्यास कराया. अन्ना फांग के नेतृत्व में 19 लोगों पर परीक्षण हुआ, जिसमें इसे उपयोगी पाया गया.

कमाल है तनाव दूर करने की यह टेक्नोलॉजी! नियमित अभ्यास से रोजमर्रा की जिंदगी बन जाएगी आसान! रिसर्च में खुलासा

तनाव दूर करने वाली कमाल की टेक्नोलॉजी. (Canva)

हाइलाइट्स

  • वीआर/एआर तकनीक से तनाव प्रबंधन संभव.
  • कार्नेगी मेलोन यूनिवर्सिटी ने 19 लोगों पर परीक्षण किया.
  • अन्ना फांग के नेतृत्व में शोध सफल रहा.

Wearable Technology: एक नई रिसर्च से पता चला है कि वर्चुअल और ऑगमेंटेड रियलिटी (वीआर/एआर) तकनीक के जरिए तनाव भरी परिस्थितियां कृत्रिम रूप से बनाई जा सकती हैं. इसके जरिए लोग तनाव को दूर करने के उपायों का अभ्यास कर सकते हैं. दरअसल, कई बार रोजमर्रा की जिंदगी में हम ऐसे हालात का सामना करते हैं, जो हमें बहुत तनावपूर्ण लगते हैं. जैसे किसी जरूरी काम की प्रस्तुति देना, अजनबियों की पार्टी में शरीक होना. ऐसे स्थिति होने पर किसी दोस्त या मनोवैज्ञानिक से बात करना अधिक फायदेमंद हो सकता है. इसलिए तनाव से पहले इससे निपटने के लिए वियरेबल टेक्नोलॉजी काफी कारगर हो सकती है.

स्ट्रेस पर क्या कहती है नई रिसर्च

अमेरिका की कार्नेगी मेलोन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ही प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसमें वीआर/एआर तकनीक का इस्तेमाल करके लोगों को तनाव से निपटने का अभ्यास कराया गया. इस शोध का नेतृत्व ‘ह्यूमन-कंप्यूटर इंटरेक्शन इंस्टीट्यूट’ की अन्ना फांग ने किया. उन्होंने 19 लोगों पर इस तकनीक का परीक्षण किया, जिनमें से अधिकतर ने इसे उपयोगी और असरदार माना.

कैसे तनाव को दूर करती है वियरेबल टेक्नोलॉजी

– अन्ना फांग ने बताया कि पिछले 10-20 सालों में वीआर और एआर तकनीक ने स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाई है. आज कई ध्यान और मेडिटेशन ऐप भी डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं.

– शोधकर्ताओं ने तीन अलग-अलग तनावपूर्ण परिस्थितियों के लिए कुल 24 तरह के डिजाइन बनाए. इनमें कुछ पूरी तरह वर्चुअल रियलिटी आधारित थे, कुछ मिक्स्ड थे, और कुछ केवल टेक्स्ट के माध्यम से बिना किसी दृश्य संकेत के काम करते थे. हर डिजाइन में अलग-अलग तरह की भागीदारी और प्रतिक्रिया के विकल्प थे.

– शोध से यह पता चला कि लोग इस तकनीक का इस्तेमाल करके खुद को बेहतर समझ पाते हैं और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करते हैं. उन्होंने ऐसी तकनीक को पसंद किया जो उन्हें खुद से कुछ सीखने में मदद करे, न कि केवल जानकारी दे.

– शोध में यह भी सामने आया कि प्रतिभागियों को तब बेहतर लगा जब उन्हें तकनीक से सुझाव मांगने का विकल्प दिया गया, बजाय इसके कि सुझाव अपने-आप मिलने लगें. लोग यह भी चाहते थे कि वे ये वीआर हेडसेट किसी भी जगह ले जा सकें, ताकि वे अलग-अलग तनावपूर्ण माहौल में खुद को ढाल सकें और अभ्यास कर सकें.

– अगले चरण में शोध टीम इन आभासी पात्रों को और अधिक असली जैसा बनाने की योजना बना रही है और उनमें ऐसा फीचर जोड़ेगी जिससे वे स्वाभाविक रूप से बोल सकें. इससे लोगों को बातचीत अधिक सहज और असली जैसी लगेगी.

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