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Vasa Leaves Amazing Benefits: यह ऐसा प्लांट है जिसकी जड़, छाल, लकड़ी, पत्ते सभी से अमृत रस निकलता है. इसके पत्ते का काढ़ा बनाकर पीने से आंत से लेकर फेफड़े तक की गंदगियां बाहर आ जाती है. इसके कई चमत्कारिक फायदे …और पढ़ें

करिश्माई गुणों से भरपूर है यह पत्ता, आंतों से लेकर फेफड़ों तक की अशुद्धियों को खींचकर लाती है बाहर, जड़ से निकलता अमृत रस

इस पत्ते के फायदे. canva

हाइलाइट्स

  • वासा के पत्ते फेफड़ों की गंदगी साफ करते हैं.
  • वासा का काढ़ा हार्ट ब्लॉकेज का खतरा कम करता है.
  • वासा पित्त, कफ और वात को संतुलित करता है.

Vasa Leaves Amazing Benefits: करिश्माई गुणों से भरपूर है यह पत्ता. इसका नाम है वासा. इसे अडूसा के नाम से भी जाना जाता है. वैज्ञानिक खोजों में इसके अद्भुत गुणों के बारे में कई बातें सामने आई है. अडूसा के पत्ते में एंटी-फाइब्रिनलिटिक गुण पाया जाता है जो पूरे फेफड़े की गंदगी खींचकर बाहर निकाल देता है. इतना ही नहीं वासा के पत्ते का काढ़ा बनाकर पीने से हार्ट ब्लॉकेज का खतरा भी टल जाता है. वासा का वैज्ञानिक नाम जस्टिसिया अधाटोडा है और इसे आमतौर पर अंग्रेजी में मालाबार नट के नाम से भी जाना जाता है. गांवों में इसे “रूस” भी कहते हैं. इसकी पत्तियां, जड़, फूल और फल सभी में औषधीय गुण है. वासा में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमें कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं.

लंग्स की सारी समस्याओं का अंत
वेबएमडी की रिपोर्ट के मुताबिक अडूसा के पत्तों में वेसिन नाम का कंपाउड पाया जाता है. यह बहुत ही संवेदनशील कंपाउड है जो जहां-जहां जाता है वहां की नलियों को चौड़ी कर देता है. यह फेफड़े में इंफ्लामेशन पर सीधा चोट करता है. इसलिए जब छाती में बहुत ज्यादा जकड़न हो या नाक, गला जाम हो जाए तो वासा का काढ़ा पीने से तुरंत यह क्लीयर हो जाता है. वेसिन इन जगहों को चौड़ी कर देती है और म्यूकस को पतला कर देता है जिसके कारण लंग्स में जितनी भी गंदगियां है सब साफ जल्दी ही निकल जाता है. अडूसा में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण भी पाया जाता है, जो फेफड़े से लगने वाली सांस की नली में सूजन को कम करता है. वासा के पत्ते गले में खराश, अस्थमा , ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं से तुरंत राहत मिल जाती है.

पित्त और कफ को संतुलित करता है
प्राचीनकाल से ही वासा का इस्तेमाल सर्दी-जुकाम के इलाज में किया जाता रहा है. इसके फूलों से निकलने वाला शहद जैसा रस सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. आयुर्वेद के अनुसार, वासा वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करता है. यह सिरदर्द, आंखों की बीमारी, पाइल्स, मूत्र विकार और कई अन्य समस्याओं में राहत दिलाता है. अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाने या इसकी लकड़ी का दातुन करने से मुंह के घाव और छाले जल्दी ठीक होते हैं. वासा के पत्तों के काढ़े से कुल्ला करने पर दांत दर्द में आराम मिलता है. वासा के सूखे फूलों का चूर्ण गुड़ के साथ खाने से सिरदर्द गायब हो जाता है. इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों के दर्द को कम करने में सहायक हैं. इसका पाउडर या पत्तियों का लेप लगाकर दर्द से राहत पाई जा सकती है.

शहद और मिश्री के साथ लेने पर फायदे
श्वास संबंधी बीमारियों में भी वासा बहुत उपयोगी है. इसके पत्तों का रस शहद के साथ लेने से सूखी खांसी और सांस फूलने की समस्या दूर होती है. वासा के काढ़े में छोटी पीपल का चूर्ण मिलाकर पीने से टीबी और पुरानी खांसी में राहत मिलती है. 10-20 मिली वासा के पत्तों का रस दिन में 3-4 बार पीने से पेट की समस्याओं में फायदा होता है. वासा के पंचांग (पत्ते, जड़, फूल, फल, तना) का रस शहद और मिश्री के साथ लेने से पीलिया भी जल्दी ठीक होता है. वासा और नीम के पत्तों को गर्म करके सेंकने से किडनी के दर्द में काफी सुधार होता है. वासा के पत्तों को पानी के साथ पीसकर लगाने से फोड़ा जल्दी सूख जाता है. ऐसे में वासा को विभिन्न रूपों में उपयोग किया जा सकता है. जैसे- इसका रस, काढ़ा, पाउडर या लेप. सही मात्रा और विधि से इसका सेवन करने पर यह शरीर के लिए संजीवनी बूटी की तरह काम करता है.

इनपुट-आईएएनएस

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करिश्माई गुणों से भरपूर है यह पत्ता, आंतों से लेकर फेफड़ों तक की अशुद्धियों को

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