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कानपुर के वैज्ञानिकों ने लीची के फटने की समस्या का समाधान खोजा है. जिंक सल्फेट, बोरेक्स और नेफ्थलीन एसिटिक एसिड के छिड़काव से लीची फटना बंद होगा, फल बेहतर होंगे और किसानों की आमदनी बढ़ेगी. यह तकनीक सस्ती, आसान …और पढ़ें

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किसानों को मिला बड़ा तोहफा! अब नहीं फटेगी लीची, आमदनी दोगुनी होगी, जानिए उपाय

लीची

हाइलाइट्स

  • कानपुर के वैज्ञानिकों ने लीची के फटने की समस्या का समाधान खोजा.
  • इससे फल की गुणवत्ता बेहतर होगी.
  • किसानों को 30-40% तक नुकसान से राहत मिलेगी.

कानपुर: उत्तर भारत के लाखों लीची किसानों के लिए खुशखबरी है. अब किसानों को लीची के फटने की समस्या से राहत मिल सकती है. चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के वैज्ञानिकों ने लीची के फटने को रोकने का सफल उपाय खोज निकाला है. इस नई खोज से किसानों की आमदनी बढ़ेगी और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.

फल फटने से होता था भारी नुकसान
बीते कई सालों से लीची के किसानों को सबसे बड़ा झटका लीची के फटने से लगता था. गर्मी के मौसम में तेज हवा और बढ़ते तापमान के कारण लीची के फल बीच से फट जाते थे. फल फटने के कारण उनमें कीड़े लग जाते और फल सड़ने लगते. इससे किसानों को 30 से 40 प्रतिशत तक नुकसान झेलना पड़ता था, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होती थी.

कानपुर के वैज्ञानिकों ने खोजा समाधान
इस समस्या को लेकर विश्वविद्यालय के उद्यान विभाग में शोध किया गया. हॉर्टिकल्चर के डीन प्रो. विवेक त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने तीन सस्ते हार्मोन जिंक सल्फेट, बोरेक्स और नेफ्थलीन एसिटिक एसिड का सही मिश्रण तैयार किया. इस मिश्रण का पेड़ों पर छिड़काव करने से लीची के फटने की समस्या खत्म हो गई. साथ ही फल की गुणवत्ता और स्वाद में भी सुधार हुआ है.

कैसे करें हार्मोन का इस्तेमाल
प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि एक लीटर पानी में 4 ग्राम जिंक सल्फेट, 4 ग्राम बोरेक्स और 50 मिलीलीटर नेफ्थलीन एसिटिक एसिड मिलाकर इस घोल को सीजन में 2-3 बार लीची के पेड़ों पर छिड़काव करना चाहिए. इससे लीची न केवल फटने से बचती है, बल्कि उसका आकार बड़ा और स्वाद बेहतर होता है.

किसानों के लिए जरूरी सुझाव
1. गर्मी के मौसम में हल्की सिंचाई करें.
2. पेड़ों के नीचे सूखी पत्तियों की परत लगाएं.
3. समय-समय पर कीड़ों की जांच करें.
4. जैविक खाद का नियमित उपयोग करें.

प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि यदि सही देखभाल की जाए तो एक पौधे से लगभग 150 किलोग्राम लीची भी मिल सकती है. सामान्य स्थिति में यह लगभग 100 किलोग्राम लीची प्रति पौधा होती है.

नई तकनीक से बढ़ेगी कमाई
सबसे खास बात यह है कि ये हार्मोन बाजार में आसानी से मिल जाते हैं और बहुत सस्ते हैं. इस नई तकनीक के जरिये किसान कम खर्च में ज्यादा उत्पादन कर सकते हैं और अपनी आमदनी कई गुना बढ़ा सकते हैं. यह खोज उत्तर भारत के लीची किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है. आने वाले मौसम में अगर किसान इस तकनीक को अपनाते हैं, तो वे बेहतर फसल के साथ आर्थिक रूप से मजबूत होंगे.

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किसानों को मिला बड़ा तोहफा! अब नहीं फटेगी लीची, आमदनी दोगुनी होगी, जानिए उपाय

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