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Arbi cultivation: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के एक किसान सर्वेश कुमार त्रिपाठी ने पारंपरिक खेती छोड़कर घुइयां (अरबी) की खेती करना शुरू किया है. जिससे अब हर साल लाखों रुपये का टर्नओवर कर रहे है. सर्वेश बताते है कि पिछले कुछ सालों से जैविक तरीके से घुइयां उगा रहे है. इस खेती से उन्हें काफी लाभ हो रहा है.

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लोकल 18 से बातचीत के दौरान सर्वेश ने बताया कि पहले वे गेहूं, धान और गन्ने जैसी सामान्य फसलों की खेती करते थे. लेकिन उन्हें खास मुनाफा नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने कुछ नया करने की ठानी और घुइयां की खेती शुरू की. शुरुआत में थोड़ी मुश्किलें आईं. लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इसकी तकनीक को समझा और अब वे 2 एकड़ जमीन पर घुइयां उगाकर 6 महीने में करीब 4 से 5 लाख रुपये का टर्नओवर कर रहे है.

सर्वेश की क्वालिफिकेशन बीएससी एजी और B.Ed है. बचपन से ही उन्हें खेती किसानी का शौक था. अब वे लगभग 2 एकड़ में घुइयां की खेती कर रहे है. जिससे सालाना लाखों का टर्नओवर हो रहा है.

2 एकड़ में लागत लगभग 1 से 1.5 लाख रुपये आती है. मुनाफा लगभग 4 से 5 लाख रुपये का होता है. घुइयां की खेती का आईडिया सर्वेश को उनके पिता से मिला. जिन्होंने भी घुइयां की खेती की थी. उन्होंने बताया कि मार्केट में घुइयां की बहुत अच्छी मांग रहती है.

फरवरी में घुइयां की बुवाई होती है और 6 महीने बाद उसकी खुदाई की जाती है. बुवाई लाइन टू लाइन होती है. जिसमें लाइन से लाइन की दूरी 2 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 1 फीट होनी चाहिए.

सर्वेश बताते हैं कि वे लगभग 2 एकड़ में घुइयां की खेती कर रहे है. इसकी सप्लाई गोंडा मंडी और लोकल मंडी में करते है. कुछ लोग उनके घर से भी आकर घुइयां ले जाते है.

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