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Agriculture News: धान की पौध की बुवाई का समय चल रहा है. ऐसे में लोग तरह-तरह के बीच के माध्यम से धान की बुवाई करते हैं .वहीं जो किसान धान की फसल करना चाहते हैं वह धान की फसल गेहूं की फसल की तरह कर अच्छा मुनाफा क…और पढ़ें

धान की पौध की बुवाई का समय चल रहा है.ऐसे में लोग तरह-तरह के बीच के माध्यम से धान की बुवाई करते हैं. वही जो किसान धान की फसल करना चाहते हैं. वह धान की फसल गेहूं की फसल की तरह कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

मुरादाबाद के कृषि वैज्ञानिक डॉ दीपक मेहंदीरत्ता ने बताया कि धान की फसल भी गेहूं की तरह सीधे लाइन से बोआई कर नर्सरी से लेकर पलेवा तक का खर्च बचाया जा सकता है.जीरो सीड ड्रिल, हैप्पी सीडर से बोआई आसान भी है.यही नहीं इसके जरिए बोआई के दौरान खाद और बीज एक साथ गिरने से पौधों को खाद की उपलब्धता भी बढ़ जाती है।

उन्होंने बताया की फसल के लाइन से उगने के कारण फसल संरक्षा के उपाय में भी आसानी होती है. यही वजह है कि योगी सरकार लाइन सोइंग के लाभों से किसानों को लगातार जागरूक कर रही है।

सरकार का तो यहां तक भी प्रयास है कि जिस फसल के लिए लाइन सोइंग उपयुक्त हैं. उसे किसान लाइन से बोएं. जिनको बेड बनाकर बोना है. उनको बेड बनाकर बोएं. इनमें उपयोग आने वाले कृषि यंत्रों पर सरकार 50% तक अनुदान भी देती है।

इस विधा से बोआई करने पर उपज में कोई फर्क नहीं पड़ता. प्रति हेक्टेयर लागत करीब 12,500 रुपए घट जाती है. किसान अगर तकनीक का सही तरीके से प्रयोग करना सीख लें तो परंपरागत विधा की तुलना में अधिक उत्पादन भी संभव है।

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर दीपक मेहंदी रत्ता का कहना है कि मुरादाबाद में ज्यादातर कृषि की नई नई तकनीक बिलारी क्षेत्र में की जाती हैं. इसी प्रकार हमारे सेंटर से ट्रेनिंग लेकर बिलारी के कुछ किसानों ने यह काम शुरू किया है और इस बार वह इसी विधि से धान की बुवाई कर अच्छा मुनाफा कमाएंगे।
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