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एक नए अध्ययन के अनुसार नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में दिन में काम करने वाली महिलाओं की तुलना में अस्थमा का खतरा अधिक होता है. यह अध्ययन, जिसमें 2,74,541 लोगों को शामिल किया गया, ईआरजे ओपन रिसर्च में प्रकाशित हुआ है. हालांकि, पुरुषों में दिन या रात की शिफ्ट के बीच अस्थमा का कोई संबंध नहीं पाया गया.

अध्ययन में पाया गया कि केवल रात की पाली में काम करने वाली महिलाओं में मध्यम या गंभीर अस्थमा का खतरा डे शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक था. यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर, यूके के डॉ. रॉबर्ट मेडस्टोन ने बताया, “महिलाओं में अस्थमा का प्रभाव पुरुषों की तुलना में अधिक गंभीर होता है. महिलाओं में अस्थमा से अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु का दर भी अधिक है.”

यह पहला अध्ययन है जिसने शिफ्ट के काम और अस्थमा के बीच जेंडर बेस्ड अंतर की जांच की. शोधकर्ताओं ने पाया कि 5.3 प्रतिशत लोगों को अस्थमा था, जिनमें 1.9 प्रतिशत को मध्यम या गंभीर अस्थमा था यानी वे अस्थमा की दवाएं और इन्हेलर ले रहे थे.

शोध में यह स्पष्ट नहीं हुआ कि नाइट शिफ्ट और अस्थमा के बीच संबंध क्यों है, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि यह शरीर की बॉडी क्लॉक में गड़बड़ी के कारण हो सकता है, जिसमें पुरुष और महिला हार्मोन्स का स्तर प्रभावित होता है.

पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का हाई लेवल अस्थमा से सुरक्षा प्रदान करता है, जो महिलाओं में कम होता है. इसके अलावा, पुरुष और महिलाएं अलग-अलग शिफ्ट में काम करते हैं, जो एक कारण हो सकता है. डॉ. मेडस्टोन ने बताया, “एचआरटी नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में अस्थमा से बचाव कर सकता है, लेकिन इसके लिए और शोध की जरूरत है.”

मेनोपॉज के बाद उन महिलाओं में अस्थमा का जोखिम अधिक पाया गया जो हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) नहीं ले रही थीं. नाइट शिफ्ट करने वाली ऐसी महिलाओं में अस्थमा का खतरा दिन में काम करने वाली की तुलना में दोगुना देखा गया.

शोधकर्ता अब यह जानने की योजना बना रहे हैं कि क्या सेक्स हार्मोन का शिफ्ट में काम और अस्थमा के बीच कोई संबंध है.

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