[ad_1]
Last Updated:
सोशल मीडिया पर हर कोई रील्स देखता मिल जाता है. इस पर हर टॉपिक पर हजारों रील मिल जाती हैं. जिन लोगों को घूमना पसंद होता है, वह ज्यादातर ट्रैवल रील्स देखकर घूमने निकल जाते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए.

रील्स पर लोकेशन देखने के बाद उस जगह के बारे में लोगों से राय जरूर लें (Image-Canva)
हाइलाइट्स
- सोशल मीडिया रील्स देखकर घूमने का प्लान न बनाएं.
- रील्स में अधूरी जानकारी से नुकसान हो सकता है.
- रील्स की सुंदरता असली लोकेशन से अलग हो सकती है.
Impact of Social Media reels on tourism:आजकल हर कोई सोशल मीडिया पर एक्टिव है. फेसबुक हो, यूट्यूब हो या इंस्टाग्राम, हर जगह आपको ट्रैवल रील्स जरूर देखने को मिल जाएगी. इन रील्स में ट्रैवल इंफ्लूएंसर कहीं खूबसूरत पहाड़ों की सैर करते दिख जाते हैं तो कहीं बीच पर मस्ती करते हुए, ये रील्स लोगों को इतनी अट्रैक्ट करती हैं कि वह भी इन्हें देखकर घूमने का प्लान बनाने लगते हैं. लेकिन क्या यह घूमने का सही तरीका है? ऐसी रील्स से क्यों बचना चाहिए?
अधूरी जानकारी से हो सकता है नुकसान
रील्स 30 से 60 सेकंड की होती हैं जिस पर जल्दी-जल्दी कई क्लिप्स चलती हैं जो मन मोह लेती हैं लेकिन यह कुछ सेकंड की वीडियो पूरी जानकारी नहीं देती. बस अच्छी और सुंदर लोकेशन को देखकर वहां घूमने निकल जाना, समझदारी नहीं है. अगर आपको रील देखकर उस जगह घूमने का मन है तो खुद से रिसर्च करें. उस जगह की पूरी जानकारी इकट्ठा करें. वहां कैसे पहुंचना है, मौसम कैसा है, माहौल कैसा है, रहने के लिए होटल कितनी दूर है, कितना खर्च आ जाएगा. जब यह सब जानकारी हासिल कर लें तभी उस जगह पर घूमने का प्लान बनाएं.
दिखावे से रहें दूर
सोशल मीडिया पर जो रील सुंदर दिखती हैं, जरूरी नहीं कि वह असली में उतनी सुंदर हो. अधिकतर रील्स सच्चाई से बहुत अलग होती हैं. जो लोग इन रील्स को बनाते हैं, वह उस लोकेशन को अलग-अलग एंगल से शूट करते हैं और उसे एडिट करते समय कई तरह के फिल्टर इस्तेमाल करते हैं ताकि वह खूबसूरत लगे. वहीं आजकल कई इमेज आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से बनाई जाती हैं जो किसी परी कथा की कहानी से कम नहीं लगतीं. इन रील्स के दिखावे पर नहीं जाना चाहिए. जो लोग यह रील बनाते हैं, उनका मकसद लाइक, व्यू और शेयर से पैसे कमाना होता है. ऐसे में अगर कोई इंसान बिना सोचे समझे लोकेशन देखकर ट्रेन, फ्लाइट या होटल बुक कर लेता है तो समय और पैसे की बर्बादी आपकी ही है.
रील्स पर दिखने वाली लोकेशन जरूरी नहीं हकीकत में भी सुंदर हो (Image-Canva)
मार्केटिंग को समझें
सोशल मीडिया पर जो इंफ्लूएंसर रील का कंटेंट तैयार कर रहे हैं, वह मार्केटिंग का हिस्सा हो सकता है. कई कंपनी उन्हें उस जगह को प्रमोट करने के लिए अच्छी खासी रकम देती है. अधिकतर होटल, रेस्टोरेंट, टूरिस्ट अट्रैक्शन लोकेशन इसका हिस्सा होते हैं. आम लोग इस मार्केटिंग को समझ नहीं पाते और क्रिएटिव रील, स्लो मोशन और बैकग्राउंड म्यूजिक को सुनकर इमोशनल हो जाते हैं. ऐसा करना बहुत बड़ी भूल है.
रील वायरल होने पर बढ़ जाती है भीड़
सोशल मीडिया की जिंदगी में बढ़ती घुसपैठ के चलते आजकल कई रील्स रातों-रात वायरल हो जाती हैं और लोग एक ट्रैवल रील को देखकर इतना प्रभावित हो जाते हैं कि उस लोकेशन पर पहुंचने लगते हैं. नीम करोली बाबा का आश्रम, स्पीति, लेह, चैल, मशोबरा, जीभी कुछ ऐसी ही लोकेशन हैं जो रील के वायरल होने से पॉपुलर हो गईं. जब भी ऐसा होता है तो इन जगहों पर अचानक लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है जिससे वहां की सुंदरता बिगड़ने लगती हैं और शांति प्रभावित होती है. गंदगी और प्रदूषण बढ़ने से लोकल लोग परेशान होने लगते हैं.
Active in journalism since 2012. Done BJMC from Delhi University and MJMC from Jamia Millia Islamia. Expertise in lifestyle, entertainment and travel. Started career with All India Radio. Also worked with IGNOU…और पढ़ें
Active in journalism since 2012. Done BJMC from Delhi University and MJMC from Jamia Millia Islamia. Expertise in lifestyle, entertainment and travel. Started career with All India Radio. Also worked with IGNOU… और पढ़ें
[ad_2]
Source link