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What is Bombay Blood Group: बॉम्बे ब्लड ग्रुप 10 लाख लोगों में से किसी एक शख्स का होता है. भारत में इस ब्लड ग्रुप के लोगों की संख्या काफी है, लेकिन कई देशों में यह सबसे ज्यादा दुर्लभ ब्लड ग्रुप है. इसके नाम के …और पढ़ें

क्या है बॉम्बे ब्लड ग्रुप? इसका नाम मायानगरी पर क्यों पड़ा, 5 फैक्ट नहीं जानते होंगे आप !

बॉम्बे ब्लड ग्रुप की खोज साल 1952 में हुई थी.

हाइलाइट्स

  • बॉम्बे ब्लड ग्रुप बेहद रेयर होता है और इसके सबसे ज्यादा लोग भारत में ही हैं.
  • भारत के अलावा दुनिया के अन्य देशों में इस ब्लड ग्रुप के मामले बेहद कम हैं.
  • इस ब्लड ग्रुप की पहचान 1952 में बॉम्बे में हुई थी और तब इसका नाम यह पड़ा.

All About Bombay Blood Group: मुंबई के एक अस्पताल में पिछले दिनों 30 साल की एक महिला की किडनी ट्रांसप्लांट की गई, जिसकी पूरे देश में चर्चा हो रही है. किडनी ट्रांसप्लांट होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस महिला का ब्लड ग्रुप रेयर था, जिसे बॉम्बे ब्लड ग्रुप के नाम से जाना जाता है. इस रेयर ब्लड ग्रुप के साथ इतनी बड़ी सर्जरी करना बेहद मुश्किल काम था, जिसकी वजह से ट्रांसप्लांट करने वाले डॉक्टर्स की जमकर तारीफ हो रही है. यह खबर सामने आने के बाद लोग यह जानना चाह रहे हैं कि बॉम्बे ब्लड ग्रुप क्या है और इसका नाम मायानगरी से क्यों जुड़ा हुआ है?

नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्रिवेंटिव हेल्थ एंड वेलनेस डिपार्टमेंट की डायरेक्ट डॉ. सोनिया रावत ने News18 को बताया कि बॉम्बे ब्लड ग्रुप (Bombay Blood Group) एक बेहद रेयर ब्लड ग्रुप है, जिसे मेडिकल की भाषा में HH ब्लड ग्रुप कहा जाता है. यह सामान्य ABO ब्लड ग्रुप से अलग होता है, क्योंकि इसमें H एंटीजन की कमी होती है. इस ब्लड ग्रुप के लोग केवल इसी तरह का ब्लड ले सकते हैं. बाकी किसी ब्लड ग्रुप का खून उनके शरीर में नहीं चढ़ाया जा सकता है. यह ब्लड ग्रुप सबसे पहले 1952 में बॉम्बे में एक फैमिली में पाया गया था, जिसकी वजह से इसे बॉम्बे ब्लड ग्रुप नाम दिया गया.

डॉक्टर के मुताबिक भारत में यह ब्लड ग्रुप 10 हजार लोगों में से किसी 1 व्यक्ति में पाया जाता है. खासकर महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में बॉम्बे ब्लड ग्रुप के मामलों की संख्या थोड़ी ज्यादा होती है. हालांकि अन्य देशों में यह ब्लड ग्रुप बेहद रेयर है. भारत के अलावा अन्य देशों में 10 लाख लोगों में से किसी एक शख्स का खून बॉम्बे ब्लड ग्रुप का होता है. बॉम्बे ब्लड ग्रुप के व्यक्तियों के लिए ब्लड डोनेट करना और ब्लड लेना दोनों ही बेहद मुश्किल होते हैं. जब किसी बॉम्बे ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को खून की जरूरत होती है, तो उसे बॉम्बे ब्लड ग्रुप के व्यक्ति का ही खून चढ़ाया जा सकता है.

हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो ABO ब्लड ग्रुप के खून की बात करें, तो इसमें H एंटीजन होता है, जो A और B एंटीजन से जुड़कर ब्लड ग्रुप की पहचान निर्धारित करता है. उदाहरण से समझें तो अगर किसी व्यक्ति के खून में A एंटीजन है, तो उसे A ब्लड ग्रुप कहा जाता है. B एंटीजन होने पर उसे B ब्लड ग्रुप माना जाता है. AB ग्रुप में दोनों एंटीजन होते हैं, जबकि O समूह में न तो A और न ही B एंटीजन होता है. बॉम्बे ब्लड ग्रुप में H एंटीजन की कमी होती है. इसका मतलब यह है कि इन व्यक्तियों का खून किसी भी सामान्य ABO ब्लड ग्रुप (A, B, AB, O) में फिट नहीं आता है. इसी वजह से यह बेहद रेयर ग्रुप है.

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