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Cervical Arthritis: ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक 22 जून को सर्वाइकल आर्थराइटिस की सर्जरी कराने वाले हैं. यह बीमारी क्या है. यह क्यों होता है. इसके बारे में विस्तार से जानिए.

क्या है सर्वाइकल आर्थराइटिस जिसमें नवीन पटनायक को करानी पड़ रही है सर्जरी, कितना खतरनाक है यह, जान लें सारी बातें

नवीन पटनायक को सर्वाइकल आर्थराइटिस.

हाइलाइट्स

  • नवीन पटनायक की सर्वाइकल आर्थराइटिस सर्जरी होगी.
  • सर्वाइकल आर्थराइटिस गर्दन की हड्डियों की बीमारी है.
  • उम्र बढ़ने के साथ सर्वाइकल आर्थराइटिस का खतरा बढ़ता है.

Cervical Arthritis: ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के बड़े नेता नवीन पटनायक की सर्वाइकल आर्थराइटिस की मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में सर्जरी होने वाली है. नवीन पटनायक ने खुद इसकी जानकारी देते हुए बताया है कि मेडिकल एक्सपर्ट की सलाह से मैं 22 जून को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में सर्वाइकल आर्थराइटिस की सर्जरी कराने वाला हूं. भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से मैं जल्द ही सही होकर वापस आ जाऊंगा और पहले की तरह सेवा में लग जाउंगा. अब सवाल यह है कि सर्वाइकल आर्थराइटिस होती क्या है. यह कितनी खतरनाक बीमारी है. आइए इसके बारे में जानते हैं.

क्या है सर्वाइकल आर्थराइटिस
मायो क्लीनिक के मुताबिक सर्वाइकल आर्थराइटिस गर्दन की हड्डियों से जुड़ी बीमारी है जिसमें गर्दन की हड्डियों में कोई टूट-फूट या विकार पैदा हो जाता है. इसमें उम्र के साथ गर्दन में के पास रीढ़ की हड्डियों की डिस्क में होने वाले घिसाव और टूट-फूट होने लगता है. इसमें कई तरह की चीजें हो सकती हैं. डिस्क में पानी की मात्रा कम होती है और वे सिकुड़ती हैं, वैसे-वैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण उभरते हैं, जिनमें हड्डियों के किनारों पर हड्डी के उभार (बोन स्पर) दिखाई देने लगते हैं. इसे सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस भी कहा जाता है. यह बहुत आम समस्या है और उम्र के साथ बढ़ती जाती है. 60 साल से अधिक उम्र के 85 प्रतिशत से अधिक लोगों को यह समस्या होती है. अधिकतर लोगों में पहले से सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस का कोई लक्षण नहीं दिखता. जब लक्षण दिखाई देते हैं, तब भी सर्जरी के बिना इलाज हो सकता है.

सर्वाइकल आर्थराइटिस के लक्षण
कभी-कभी सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के कारण रीढ़ की हड्डियों के भीतर मौजूद स्पाइनल कैनाल में सिकुड़न आ सकती है. स्पाइनल कैनाल वह जहां से रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाओं की जड़ें शरीर के अन्य भागों तक जाती हैं. अगर रीढ़ की हड्डी या तंत्रिका जड़ें दब जाएं तो व्यक्ति को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. जैसे कि बाहों, हाथों, पैरों या पंजों में झुनझुनी,सुन्नता और कमजोरी होने लगती है. इसमें हाथ-पैर हिलने लगते हैं और इसपर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है. शरीर का तालमेल बिगड़ जाता है. चलने में भी कठिनाई होता है. यहां तक मल-मूत्र पर भी कंट्रोल कम हो जाता है.

सर्वाइकल आर्थराइटिस के कारण
सर्वाइकल आर्थराइटिस का सबसे बड़ा कारण बढ़ती उम्र है. दरअसल, उम्र के साथ रीढ़ और गर्दन की संरचनाएं धीरे-धीरे टूट-फूट का शिकार होती हैं. इससे कई तरह की परेशानियां आती है. इसमें डिस्क रीढ़ की हड्डियों के बीच जो कुशन होता है यानी जो गद्दों का काम करती हैं वह सूखने लगता है. 40 साल की उम्र के बाद अधिकतर लोगों की स्पाइनल डिस्क सूखने और सिकुड़ने लगती हैं. जैसे-जैसे डिस्क छोटी होती हैं, हड्डियों के बीच सीधा संपर्क बढ़ जाता है. हर्निएटेड डिस्क भी इसकी बड़ी वजह है. यानी स्पाइनल डिस्क के बाहरी हिस्से में दरारें आ सकती हैं. डिस्क का मुलायम हिस्सा इन दरारों से बाहर आ सकता है. कभी-कभी यह भाग रीढ़ की हड्डी या तंत्रिका जड़ों पर दबाव डाल सकता है. जैसे-जैसे डिस्क खराब होती हैं शरीर रीढ़ को मजबूत बनाने के प्रयास में अतिरिक्त हड्डी बनाने लगता है. ये हड्डी के उभार कभी-कभी रीढ़ की हड्डी या तंत्रिका जड़ों को दबा सकते हैं. इससे उस नर्व का फंक्शन प्रभावित होता है. कभी-कभी लिगामेंट कड़े यानी हार्ड हो जाते हैं. लिगामेंट हड्डियों को आपस में जोड़ने वाले ऊतक होते हैं. रीढ़ के लिगामेंट उम्र के साथ कठोर हो सकते हैं जिससे गर्दन की लचीलापन कम हो जाती है.

किन लोगों को है ज्यादा खतरा
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस का रिस्क कुछ लोगों में ज्यादा होता है. जैसे बुजुर्गों में इसका खतरा ज्यादा रहता है. वहीं कुछ लोगों में जेनेटिक भी होता है. यानी अगर परिवार में पहले से किसी को हुआ तो उसे भी होने का खतरा रहता है. कुछ लोग ऐसे काम करते हैं जिनमें गर्दन की बार-बार हरकतें होती है. वहीं गलत तरह से सिर की मुद्रा या सिर पर दबाव देकर काम करने से भी सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस का खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए गर्दन पर दबाव डालकर कोई भी काम नहीं करना चाहिए. अगर जवानी में कभी गर्दन में गंभीर चोट लगी है तो इससे भी खतरा रहता है. जो लोग स्मोकिंग ज्यादा करते हैं उनमें भी इस बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है.

LAKSHMI NARAYAN

Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i…और पढ़ें

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क्या है सर्वाइकल आर्थराइटिस जिसमें नवीन पटनायक को करानी पड़ रही है सर्जरी

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