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Guava Gardening Tips : उन्नत किस्मों का चयन, सही तरीके से बागवानी और उचित देखभाल से फसल न केवल रोग-मुक्त रहती है बल्कि बाजार में अच्छे दाम भी देती है. चित्रकूट के इस किसान के खेत में ऐसे 100 से अधिक पेड़ हैं.

चित्रकूट. कभी खेती-किसानी को घाटे का सौदा मानने वाले चित्रकूट के किसान अब बदलते वक्त के साथ अपनी सोच और तकनीक दोनों बदल चुके हैं. अब वही किसान आधुनिक खेती और बागवानी से न केवल आत्मनिर्भर बन रहे हैं बल्कि मुनाफे का नया रास्ता भी खोल रहे हैं. ऐसा ही उदाहरण पेश किया है मऊ कस्बे के रहने वाले रामलाल मिश्रा ने, जिन्होंने सरकारी नौकरी से रिटायरमेंट के बाद खेती को नया आयाम दिया. रामलाल मिश्रा विकास खंड से  रिटायर होने के बाद जब खेती करने का फैसला किया तो पारंपरिक फसलों की बजाय अमरूद की बागवानी करने को चुना. उन्होंने खेती के नए तरीकों की जानकारी यूट्यूब के जरिए हासिल की और वहीं से ताइवान प्रजाति के लाल अमरूद के पौधे मंगवाए. आज उनके खेत में ऐसे 100 से अधिक पेड़ हैं, जिनसे वे हर साल अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं.

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इतने महीने बाद फल

रामलाल मिश्रा के बाग की देखभाल करने वाले कर्मी ने बताया कि इसका पौधा करीब 299 रुपये का मिला था. यह ताइवान प्रजाति का अमरूद सिर्फ 7 से 8 महीने में फल देना शुरू कर देता है. हालांकि पहला फल तोड़कर हटा देना जरूरी होता है ताकि पेड़ मजबूत हो सके. इसके बाद हर साल दो बार फल आते हैं. एक पेड़ से औसतन 5 से 6 हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है.

कितना चाहिए पानी?

गर्मी के मौसम में पौधों को हफ्ते में लगभग 5 बार पानी देना पड़ता है, जबकि बरसात के दिनों में देखभाल अपेक्षाकृत आसान हो जाती है. लाल अमरूद का स्वाद रंग और मिठास बाजार में काफी पसंद किया जा रहा है, जिसके चलते स्थानीय मंडियों से लेकर आस-पास के जिलों तक इसकी डिमांड लगातार बढ़ रही है. रामलाल मिश्रा ने अमरूद की बागवानी कर ये साबित कर दिया कि चित्रकूट में भी किसान अगर मन से चाहे तो खेती किसानी के साथ बागवानी भी कर सकता है.

Priyanshu Gupta

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu… और पढ़ें

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क्यों तोड़कर फेंक देने चाहिए अमरूद पर आए पहले फल? किसान ने बताई धांसू ट्रिक

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