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Agency:News18 Madhya Pradesh
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Health Tips: अगर आप भी प्लास्टिक के बोतल से पानी पिते हैं, तो तुरंत रुक जाइए, वरना जल्द ही बड़े-बड़े खतरनाक बीमारियों के शिकार हो जाएंगे.
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शोध में खुलासे को लेकर डॉ ने कई तरह की बात कही है.
हाइलाइट्स
- प्लास्टिक बोतल से पानी पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
- प्लास्टिक के कण मस्तिष्क, हृदय और किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
- गर्भवती महिलाओं के लिए प्लास्टिक का उपयोग अधिक खतरनाक है.
हेल्थ. अक्सर हमें यह बात डॉक्टर और सोशल मीडिया पर सुनने को मिलती है कि प्लास्टिक बोतलों या कंटेनर्स में मिलने वाला पानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. मगर अब इस बात की पुष्टि वैज्ञानिकों के शोध में निकलकर सामने आयी है. वैज्ञानिकों के मुताबिक प्लास्टिक की बोतल में भरे पानी में लाखों प्लास्टिक के छोटे-छोटे कारण मौजूद होते हैं. इससे मस्तिष्क, हृदय और किडनी समेत अन्य अंगों को खतरा हो सकता है.
लोकल 18 से बात करते हुए डाइटिशियन और एक्सपर्ट डॉक्टर रश्मि श्रीवास्तव ने बताया कि पुराने जमाने में मटकोर तांबे के बर्तनों में पीने का पानी स्टोर किया जाता था. आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में और दादी-नानी इन्हीं बर्तनों का इस्तेमाल करती आ रही है. हालांकि मॉडन जमाने में लोग प्लास्टिक की बोतल का सबसे ज्यादा प्रयोग करते हैं. पानी भरने से लेकर इसके सेवन तक में प्लास्टिक का हर जगह उपयोग देखा जाता है.
डॉ रश्मि का कहना है कि मिट्टी और तांबे के बर्तनों से हमारे शरीर को अच्छी मात्रा में न्यूट्रिएंट्स मिलते रहे हैं. हालांकि आज के समय में प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है, जिससे शरीर को कई तरह की बीमारियों का खतरा भी होता है. बॉटल्स के माइक्रो प्लास्टिक हमारे शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसके साथ हमारे ब्रेन सेल्स को भी डैमेज करता है.
गर्भवती महिलाओं को ज्यादा खतरा
डॉ रश्मि ने बताया कि प्लास्टिक के इस्तेमाल से हमें बचना चाहिए. इसका सबसे ज्यादा खतरा गर्भवती महिलाओं को हो सकता है, जिन्हें पाचन के साथ किडनी और लीवर पर भी प्लास्टिक का असर होने की संभावना बनी रहती है. प्लास्टिक की बोतल की जगह मिट्टी या तांबे की बोतल का इस्तेमाल करना ज्यादा सही रहेगा.
बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के लाखों छोटे कण
बता दें कि अमेरीकी वैज्ञानिकों के हाल में किए गए शोध में सामने आया है कि प्लास्टिक बोतल पानी में प्लास्टिक के लाखों छोटे कण मौजूद होते हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि शोध के दौरान एक लीटर बोतलबंद पानी में करीब 2.4 लाख कण पाए गए. उन्होंने कई कंपनियों की ओर से बेचे जा रहे पानी की जांच की है. वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लास्टिक के कणों की संख्या पहले के अनुमानों से कहीं ज्यादा है.
कई तरह की बीमारियों का खतरा
5 मिमी से छोटे टुकड़े को माइक्रो प्लास्टिक कहा जाता है, जबकि 1 माइक्रो मीटर को नैनो प्लास्टिक कहते हैं. नैनो प्लास्टिक इतना छोटा होता है कि इसके पाचन तंत्र और फेफड़ों तक पहुंचने की आशंका सबसे ज्यादा रहती है. प्लास्टिक के छोटे कण खून में मिलकर शरीर में पहुंच सकते हैं. इससे मस्तिष्क, हृदय, किडनी समेत अन्य अंगों को खतरा है. नैनो प्लास्टिक प्लेसेंटा से होकर गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंच सकता है.
Bhopal,Madhya Pradesh
February 23, 2025, 20:55 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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