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खाटूश्यामजी कस्बे में दिव्यांगों के लिए बनाए गए विशेष प्रवेश द्वार से थोड़ी ही दूरी पर श्याम सखा धर्मशाला के पास स्थित यह चाय की दुकान लोगों की पहली पसंद बन गई है. दुकान के मालिक महराज राजेंद्र की हाथ से बनी चाय का स्वाद दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हरियाणा और पंजाब से आने वाले भक्तों को भी आकर्षित करता है. बाबा श्याम के दर्शन के बाद सैकड़ों लोग रोजाना इस दुकान पर पहुंचते हैं और यहां की खास चाय का स्वाद चखते हैं.
महराज राजेंद्र के हाथों बनी चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि भक्तों के लिए भक्ति का स्वाद है. वह इलायची और केसर मिलाकर स्पेशल चाय तैयार करते हैं. खास बात यह है कि श्रद्धालुओं की मांग के अनुसार वे चाय का रंग और स्वाद भी बदलते हैं. कुल्हड़ में परोसी जाने वाली यह चाय भक्तों को आत्मिक सुकून देती है. उनकी चाय की खुशबू और स्वाद में खाटू की मिट्टी की महक होती है, जो दूर-दराज से आने वाले लोगों को भी बार-बार इस दुकान की ओर खींच लाती है.
साधारण रेट पर स्पेशल स्वाद, हर भक्त की पहुंच में चाय
बाबा टी स्टाल पर मिलने वाली चाय की कीमत भी आम दुकानों की तरह ही है. महराज राजेंद्र ने बताया कि सामान्य चाय 10 से 15 रुपए में और स्पेशल केसर चाय 20 से 30 रुपए में दी जाती है. उन्होंने बताया कि उनका उद्देश्य अधिक मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि भक्तों को बेहतर सेवा देना है. यही कारण है कि लोग बड़े-बड़े होटलों की बजाय इस छोटे से स्टाल की चाय पीने को तरजीह देते हैं. दुकान पर विशेष कॉफी भी बनाई जाती है, जो ग्राहकों की मांग के अनुसार तैयार होती है.
राजेंद्र महाराज बताते हैं कि वे रोजाना 100 से अधिक स्पेशल चाय के गिलास और 200 से ज्यादा सामान्य चाय के गिलास बेचते हैं. इस तरह वे प्रतिदिन करीब 5 से 6 हजार रुपए की बिक्री करते हैं. चाय के अलावा दुकान पर कुछ और जरूरी सामान भी बेचा जाता है, जिससे उनकी मासिक कमाई लाखों में पहुंच जाती है. भक्तों की लगातार बढ़ती संख्या और चाय की लोकप्रियता ने इस छोटी सी दुकान को खाटूश्यामजी का जाना-पहचाना नाम बना दिया है.
लोकेशन आसान, पार्किंग की सुविधा और सेवाभाव
अगर आप खाटूश्यामजी के दर्शन के लिए जाएं और चाय का मन हो, तो बाबा टी स्टाल जरूर जाएं. यह दुकान दिव्यांगों के लिए बने विशेष प्रवेश द्वार से लगभग 50 मीटर की दूरी पर स्थित है. यहां वाहन पार्किंग की भी खास व्यवस्था है, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती. दुकान पर हमेशा भीड़ लगी रहती है, इसलिए उन्होंने दो सहायकों को भी नियुक्त किया है, जो महाराज राजेंद्र की तरह ही चाय और कॉफी बनाते हैं.
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