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Sikar News Hindi: सीकर जिले में स्थित हर्ष पर्वत, 3100 फीट ऊंचा है और भगवान शिव व भैरव नाथ के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. यहां 84 मंदिर थे, जिन्हें औरंगजेब की सेना ने तोड़ा था. अब यह पवन ऊर्जा का केंद्र भी है.

हर्ष पर्वत
हाइलाइट्स
- हर्ष पर्वत पर भगवान शिव और भैरव नाथ के मंदिर हैं.
- औरंगजेब की सेना ने 84 मंदिरों को तोड़ा था.
- हर्ष पर्वत पर पवन ऊर्जा का केंद्र भी है.
सीकर: अगर आप विश्व प्रसिद्ध खाटूश्याम जी मंदिर घूमने की योजना बना रहे हैं, तो आज हम आपको एक अन्य प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बताएंगे जो ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. यह जगह पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आती है और सीकर जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर स्थित हर्ष पर्वत पर है. यह पर्वत अपनी ऊंचाई और चोटी पर बने भगवान शिव और भैरव नाथ के मंदिर के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है. हर्ष पर्वत की ऊंचाई लगभग 3100 फीट है, जो प्रदेश में माउंट आबू के बाद दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत है. यहां 1018 में चौहान राजा सिंह राज ने हर्ष नगरी और हर्षनाथ मंदिर की स्थापना की थी.
औरंगजेब की सेना ने तोड़ा रहा मंदिर
इन मंदिरों के अवशेषों पर मिले शिलालेख से पता चलता है कि यहां कुल 84 मंदिर थे. अब सभी मंदिर खंडहर अवस्था में हैं, जो पहले बहुत विशाल और सुंदर थे. इस मंदिर को 1679 ई. में मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर उनके सेनापति खान जहान बहादुर और उनकी सेना ने तोड़ दिया था. अब यहां केवल मंदिर के अवशेष मिलते हैं. इतिहास और धार्मिक दृष्टि से यह मंदिर बहुत खास है.
विंड एनर्जी का है हब
हर्ष पर्वत पर पवन चक्कियां लगाई गई हैं. ये पंखे ऊंचाई पर हवा से घूमकर बिजली बनाते हैं. यहां 2004 में 7.2 मेगावाट की पवन विद्युत परियोजना शुरू हुई थी. यहां पवन को ऊर्जा में बदलने वाले टावर लगे हैं. यहां उत्पन्न होने वाली बिजली फिलहाल विद्युत निगम द्वारा विभिन्न गांवों में सप्लाई की जाती है. 3100 फीट ऊंचे पर्वत पर जाने के लिए पक्की सड़क बनाई गई है, जिससे पर्यटकों की संख्या बढ़ी है. हर्ष पर्वत का सन सेट देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. लोग राइडिंग के लिए भी यहां आते हैं. पर्वत पर पहुंचने पर प्रकृति का सुंदर नजारा दिखता है. यह टूरिस्ट पॉइंट खाटूश्याम जी से 45 किलोमीटर दूर है.
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